थोड़े दिन पहले मैं घूमने के लिए मध्य प्रदेश गई थी. मध्य प्रदेश मेरी मौसी का भी घर है इसलिए मैं वहां पर करीब एक हफ्तों तक ठहरी थी. इस दौरान मुझे यह मालूम चला कि हमारे बिहार के भोजपुर में बोली जाने वाली भोजपुरी को लोग कितना पसंद करते हैं. मौसी की सास जो की खुद बिहार से थीं उन्होंने मुझसे हर दिन भोजपुरी में ही बात करने कहा. इसके अलावा वह मुझसे भोजपुर की खास चीजें, पाक-पकवान, भोजपुरी में बोले जाने वाले कहावतें जैसी कई जानकारियां लेती थी. वह खुद दरभंगा से थी और मैं भोजपुर से इसलिए घर में पूरे दिन बिहारी माहौल बना रहता था, आखिरी दिन आने तक घर के कई लोगों ने मुझसे टूटी-फूटी भोजपुरी सिख ली. उनके लिए मेरा भोजपुरी भाषी होना रोमांचक था, क्यूंकि उन्होंने सिर्फ़ भोजपुरी गाने सुनी थे कभी भोजपुरी में बात नहीं की.
एक तरफ जहां वह भोजपुरी सीखते थे, तो वहीं दूसरी तरफ़ मैं यह सोचती थी कि जिस भाषा को खुद अपनी शुध्त्ता बचाने की लड़ाई करनी पड़ रही है उसे बाहर में कितना सम्मान मिलता है. इसी दौरान मैं भी यह एहसास करने लगे कि मुझे भी अपनी संस्कृति, अपनी भाषा को बताने में कितना गर्व महसूस होता है. भोजपुरी भाषी होने के कारण मैंने हमेशा ही एक गर्व और एक द्वंद भी महसूस किया है. गर्व अपनी भाषा, अपनी बोली, उसकी मिठास इन सब चीजों के लिए. और द्वंद भोजपुरी बोली के साथ जुड़ रही एक नेगेटिव सोच के लिए.
जिस भोजपुरी भाषा को किसी देश ने अपने राष्ट्रीय भाषा के तौर पर चुना है, जिस भोजपुरी भाषा को फैलाने के लिए देसी शेक्सपियर ने किसी ज़माने में कड़ी मेहनत की, जिस भोजपुरी भाषा और गीत के लोग लायल हैं, उसमें अब बस अश्लीलता का बाजार लग रहा है. भोजपुरी में अब हर जगह गाने बनाए जा रहे हैं.
भोजपुरी को इस स्तर तक पहुंचाने में बहुत लोगों की मेहनत रही है. वही इसे एक अश्लील भाषा बनाने में भी कई लोगों का हाथ रहा है. इनमें से कई लोग अब सफेद कुर्ता झाड़कर संसद की कुर्सी पर बैठ गए हैं. सांसदों की कुर्सी पर जमे हुए अश्लील गानों के यह पुजारी किसी दौर में न जाने कितने ही फूहड़ गाने गा चुके हैं. उनके गानों के कारण भोजपुरी में अश्लीलता का मिश्रण अब कई गुना तक बढ़ गया है. इन नकली साफ़-सुथरे सांसदों को देख-सुनकर ही आने वाली जनरेशन ने अश्लील गानों को और बनाना शुरू किया. कुछ गन्दी मछलियों के कारण भोजपुरी भाषी लोगों का तालाब गन्दा होता चला गया.
मौजूदा समय में एक और भोजपुरी गायक और अभिनेता संसदीय कुर्सी तक पहुंचने के लिए हाथ पैर मार रहा है. लेकिन कभी इस गायक के लोकसभा चुनाव का टिकट इन्हीं फूहड़ गानों के कारण कट गया था. अपने गानों में अश्लीलता की हदें पार कर रहे यह गायक पावर पॉलिटिक्स की उम्मीद लिए राजनीति में कदम रखते हैं. हालांकि वह कभी इसे मानने को तैयार नहीं होते और हर बार जनता की सेवा का ढोल बजाते हैं. ऐसा ही काम इन्होने अपने गायकी करियर में भी किया है. शुरुआत भजन से और अब के गानों में अश्लीलता परोसते यह भावी सांसद किस उम्मीद से लोगों के सामने आते है.
आज भोजपुरी के शेक्सपियर स्वर्गीय भिखारी ठाकुर की 53वीं पुण्यतिथि है. उनकी पुण्यतिथि के मौके पर भोजपुरी के जितने भी फूहड़ता वाले गायक हैं उन्हें भिखारी ठाकुर से सीख लेकर अपनी भाषा और अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने की सीख लेनी चाहिए. भोजपुरी गायकों को खासकर युवाओं को अपनी भाषा, अपने समाज और अपनी संस्कृति का एक पॉजिटिव पहलू लोगों के बीच में रखने के लिए मेहनत करनी चाहिए. फूहड़ता वाले गाने सिर्फ एक भाषा, संस्कृति को ही चोट नहीं पहुंचाते, बल्कि उस भाषा को जीवित रखने वाले लोगों को भी ठेस पहुंचाते हैं. सांसदों को भी अब जिम्मेदारी लेकर अपनी गन्दगी खुद साफ़ करने की ओर कदम उठाना चाहिए.