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भोजपुरी भाषी होने के कारण मैंने हमेशा ही एक गर्व और एक द्वंद भी महसूस किया है. गर्व अपनी भाषा, अपनी बोली, उसकी मिठास इन सब चीजों के लिए. और द्वंद भोजपुरी बोली के साथ जुड़ रही एक नेगेटिव सोच के लिए.
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