मुजफ्फरपुर में दलित को मज़दूरी मांगने पर पीटा, चेहरे पर पेशाब किया

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के अध्यक्ष ने कहा कि अनुसूचित जाति के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में बिहार देश में दूसरे स्थान पर है. बिहार में दलितों पर शोषण कोई नई बात नहीं है. पिछले कई सालों से दलितों पर शोषण होता आ रहा है.

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आमिर अब्बास
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मुजफ्फरपुर में दलित को मज़दूरी मांगने पर पीटा, चेहरे पर पेशाब किया

(हिंसा के दौरान बनाये गए वीडियो को पुलिस को सौंपा गया है)

बिहार विकास और रोज़गार के मामले में तो पिछड़ा हुआ है, लेकिन जातीय हिंसा में कहीं से भी पीछे नहीं है. पिछले महीने ही नवादा में एक दलित बस्ती को जला दिया गया. लेकिन सरकार हमेशा की तरह चुप ही रहती है. डेमोक्रेटिक चरखा ने पिछले 3 सालों में जातिगत हिंसा से संबंधित कई रिपोर्ट्स की हैं.

हालिया घटना मुज़फ़्फ़रपुर के बोचहां प्रखंड की है. बोचहां प्रखंड के चौपार मदन गांव के रहने वाले रिंकू मांझी ने करणपुर गांव के रमेश पटेल के मुर्गी फ़ार्म पर दो दिन काम किया था. जब उन्होंने दो दिन की अपनी मज़दूरी मांगी तो रमेश पटेल और उसके साथी गोपाल पटेल और अरुण पटेल ने जातिगत टिप्पणी की. विरोध करने पर रिंकू मांझी को बुरी तरह से पीटा गया. ग्रामीणों के मुताबिक रिंकू मांझी की पिटाई के साथ ही आरोपियों ने उनके चेहरे पर पेशाब भी किया. इसके बाद रिंकू मांझी का इलाज बोचहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में किया गया. 

दलितों के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में बिहार देश में दूसरे स्थान पर

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के अध्यक्ष ने कहा कि अनुसूचित जाति के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में बिहार देश में दूसरे स्थान पर है. बिहार में दलितों पर शोषण कोई नई बात नहीं है. पिछले कई सालों से दलितों पर शोषण होता आ रहा है.

बिहार में हुए 2023 जनगणना के अनुसार बिहार में 19.65% दलित मौजूद हैं. बिहार में दलितों पर अत्याचार के मामले कम नहीं हो रहें हैं. बिहार के अलग-अलग जिलों से लगातार ऐसे मामले सामने आ रहें हैं जहां दलितों पर शोषण की समस्या दिख रही है. हालांकि ये कुछ ही मामले हैं जो मीडिया तक सामने आते हैं वहीं ज़्यादातर मामले तो सामने ही नहीं आते.

केंद्रीय गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा प्रकाशित भारत में अपराध-2022 रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में दलितों के ख़िलाफ़ सबसे ज़्यादा अत्याचार दर्ज करने वाले आठ राज्य हैं: उत्तर प्रदेश (15,368), राजस्थान (8,952), मध्य प्रदेश (7,733), बिहार (6,509), ओडिशा (2,902), महाराष्ट्र (2,743), आंध्र प्रदेश (2,315) और कर्नाटक (1,977).

जहां बिहार चौथे स्थान पर है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि 2015 से 2020 तक दलित महिलाओं के ख़िलाफ़ बलात्कार के मामलों में 45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 

बिहार दलित एलियंस फोरम के संयोजक धर्मेंद्र कुमार से हमने बात कि तो उन्होंने बताया कि “देखिए ये बिहार ही नहीं पूरे भारत में दलितों पर अत्याचार हो रहा है. जहां देश अमृतमहोत्सव की तैयारी मना रहा है और जो बाबा साहब भीम राव अंबेडकर का सपना था और संविधान में दलितों को जो अधिकार मिला है लेकिन क्या दलितों को न्याय मिल पा रहा है ये खुद में ही बहुत बड़ा सवाल है.

"पुलिस अपनी कार्रवाई कर रही है: एसपी-मुज़फ़्फ़रपुर ग्रामीण"

विद्यासागर (एसपी-मुज़फ़्फ़रपुर ग्रामीण) ने मीडिया में दिए बयान में कहा है कि "हमें रिंकू मांझी द्वारा की गयी शिकायत मिली है. 8 अक्टूबर को रिंकू मांझी की ओर से बोचहां पुलिस थाना में शिकायत दर्ज की गयी थी. इस शिकायत को दर्ज कर लिया गया है. पुलिस FIR पर अपनी कार्रवाई कर रही है. शुरूआती जांच में रमेश पटेल और उनके साथियों के द्वारा मारपीट और जातिगत टिप्पणी की बात सामने आयी है. आगे जांच में और बातें सामने आएंगी." 

हालांकि पुलिस ने अपनी शुरूआती जांच में रिंकू मांझी पर पेशाब करने की बात की पुष्टि नहीं की है.

बोचहां पुलिस स्टेशन के थानाध्यक्ष राकेश कुमार ने बताया कि "हमने 8 अक्टूबर को शिकायत मिलने पर FIR दर्ज कर ली है. SC-ST एक्ट में भी इस मामले को दर्ज किया गया है. इसके अलावा भारतीय न्याय संहिता की धारा 324, 307, 504 और 506 के तहत भी मामला दर्ज किया गया है. आरोपियों की गिरफ़्तारी के लिए लगातार छापेमारी चल रही है."    

"हमें जान से मारने की धमकी दी जा रही है- रिंकू मांझी"

डेमोक्रेटिक चरखा की टीम ने जब रिंकू मांझी और उनके परिवार वालों से बात करनी चाही तो उन्होंने इससे साफ़ इंकार कर दिया. उन्होंने हमारी टीम से बात करते हुए सिर्फ़ इतना कहा कि "जिस समय हमें पीटा जा रहा था उस समय कई लोग वहां से गुज़रे, उन्होंने देखा लेकिन किसी ने भी हमारी मदद नहीं की. सभी लोग सिर्फ़ वीडियो बना रहे थें. चार दिन के बाद जब हमारा इलाज हो गया तब हमने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज की. अब हमें जान से मारने की धमकी दी जा रही है. हमें अब घर से बाहर निकलने में भी डर लग रहा है. हमने अपने हक की मज़दूरी मांगी थी. सिर्फ़ अपनी मज़दूरी मांगने के लिए हमें इतना मारा गया है."

बिहार में नीतीश कुमार की सरकार भले ख़ुद को पिछड़ों की सरकार बताने का दावा करे, लेकिन सच्चाई तो यही है कि बिहार में हर दिन दलितों पर हिंसा के मामले बढ़ते जा रहे हैं. अगस्त के महीने में मुज़फ़्फ़रपुर से ही एक दलित को मोटरसाइकिल चोर बता कर उसके चेहरे पर पेशाब करने की घटना सामने आयी थी. ऐसे में जनता को ये सोचना चाहिए कि क्या सच में बिहार प्रशासन दलितों की सुरक्षा के लिए कोई कदम उठा रही है?