बीते दिनों अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर गोली चलाई गई थी. इस गोलीबारी की घटना में मौके पर ही आरोपी को भी मार गिराया गया था. अमेरिका की तेज तर्रार पुलिस ने चंद मिनट में ही जवाबी कार्रवाई की थी. आज बिहार में एक भी एक नेता के घर एक आपराधिक घटना हुई. बिहार की एक बड़ी पार्टी के सुप्रीमो के पिता की हत्या हो गई. जिसमें बिहार पुलिस भी अमेरिकन पुलिस की तरह कार्रवाई करने में लगी हुई है. बिहार पुलिस पूरी तत्परता के साथ नेता के पिता के हत्यारे को तलाशने के लिए काम कर रही है.
दरभंगा में हुई इस हाई प्रोफाइल हत्या ने पटना तक सुशासन के सरकार को झकझोर दिया है. दरभंगा पुलिस के अलावा पटना पुलिस भी इस मामले में अपना पूरा सहयोग दिखा रही है. जिसके लिए पटना से एफएसएल की टीम, डॉग स्क्वाड और न जाने किन-किन को दरभंगा भेजा गया है. इस हत्या के बाद बिहार में पक्ष और विपक्ष दोनों एकजुट भी नजर आ रहे हैं. इस राजनीतिक जुटान से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हत्यारे खुद ही सरेंडर कर देंगे. सीएम नीतीश कुमार ने खुद इस हाई प्रोफाइल हत्या के बाद पार्टी सुप्रीमो को जांच और गिरफ्तारी का आश्वासन दिया है. सीएम के इस आश्वासन में काफी वजन भी नजर आ रहा है, क्योंकि यह एक बड़े नेता के पिता की हत्या है.
अब फर्ज कीजिए कि एक आम आदमी के साथ भी इसी तरीके की घटना होती, तो क्या पूरी बिहार पुलिस ऐसे ही तत्परता दिखाती?
राज्य में जिस तरीके से VIP सुप्रीमो मुकेश सहनी के पिता जीतन सहनी की हत्या हुई है. उसी तरीके की घटना कई बार राज्य में घटित हो चुकी है. मगर उन खबरों को इसलिए प्राथमिकता नहीं दी गई क्योंकि वह परिवार किसी पार्टी से संबंधित नहीं था. क्योंकि उस परिवार के सदस्यों को सीएम की ओर से सांत्वना नहीं दी गई थी. क्योंकि उस परिवार की पहुंच पुलिस महकमे में नेता-मंत्रियों जैसी नहीं है. एक आम इंसान की जिंदगी हर शासक की नजर में आम होती है.
सन ऑफ़ मलाह के पिता के साथ हुए इस आपराधिक घटना की बाद सैकड़ो पुलिस कर्मियों को मौके पर तैनात किया गया है. यह तैनाती इस कारण भी की गई है ताकि कोई हिंसा न भड़के. मगर एक दलित नेता के घर हुए इस घटना को समाज ने अब जाना है. जबकि इसके पहले और आज भी देश में कई दलित हिंसाएं और हत्याएं रोजाना होती है. मगर किसी पार्टी के नेता न होने के कारण इन दलितों की आवाज बहुत बुलंद नहीं होती. या यूं कहें कि कई बार इन आवाजों को दबाया भी जाता है.
दलितों के साथ हिंसा में एक इंसान अपने सारे मानवता की हदें पार कर देता है. इसी साल जनवरी में राजधानी पटना से दो महादलित लड़कियों को अगवा कर उनके साथ बलात्कार किया गया. छपरा में भी दो महिलाओं को हैंडपंप से पानी भरने के दौरान गलियां दी गई. इस दौरान दोनों महिलाओं पर हमला भी किया गया था.
बिहार में हुए 2023 जनगणना के अनुसार बिहार में 19.65% दलित मौजूद हैं. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के अध्यक्ष ने कहा कि अनुसूचित जाति के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में बिहार देश में दूसरे स्थान पर है. बिहार में दलितों पर शोषण कोई नई बात नहीं है. पिछले कई सालों से दलितों पर शोषण होता आ रहा है.
जीतन सहनी की हत्या किन कारणों से हुई, इसका पता पुलिस 8 घंटे में लगाने का दावा कर रही है. मगर इन दलित और आमजनों की हत्याओं का खुलासा कब होगा. इन हत्याओं के इंसाफ के लिए आज भी लाखों परिवार इंतजार में बैठे हैं. अब इन परिवारों को भी अपनी आवाज बुलंद करते हुए दलित लाइव्स मैटर जैसा अभियान शुरू करना होगा.