आजादी के 77वें साल में सदन में क्या है महिलाओं की स्थिति?

चुनाव के दौरान 330 सीटों पर महिला वोटरों का वोटिंग प्रतिशत 60% से ज्यादा रहा. यानि महिलाएं घर से निकलकर वोट देने पहुंची. महिलाओं के वोट से कारण बीजेपी ने 133 जबकि कांग्रेस ने 71 सीटें जीती.

New Update
 वोट के लिये कतार में लगी महिलाए

सदन में क्या है महिलाओं की स्थिति

लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. देश की जनता क्या चाहती हैं और किन मुद्दों पर वोट देना चाहती है इसके परिणाम साफ़ तौर पर देखे जा रहे हैं. आम वोटरों ने BJP के उन दावों की भी पोल खोल दी हैं जिनमें दावा किया जा रहा था ‘अबकी बार 400 पार’. ये किसी पार्टी का अति आत्मविश्वास ही था जो मान रहा था कि जनता उनके अलावा अन्य किसी पार्टी पर भरोसा नहीं करेगी. लेकिन वोटरों ने बता दिया कि उन्हें जाति, धर्म और अलगाव के मुद्दे से इतर रोजगार, मंहगाई, शिक्षा और शांति के लिए वोट करना है.

Advertisment

चुनाव आयोग के अनुसार इसबार चुनाव में 642 मिलियन मतदाताओं ने चुनाव में भाग लिया है जिनमें महिला वोटरों की संख्या 312 मिलियन यानि 31.2 करोड़ रही. वहीं इसबार 14.1 मीलियन नई महिला वोटरों ने अपना पंजीकरण कराया था. जाहिर है इतनी बड़ी संख्या में महिला वोटरों (Female voters) ने चुनाव में भी अहम् भूमिका निभाई है.

अगर सबसे ज्यादा वोट पाने वाली पार्टी बीजेपी को देखें तो उसे कुल वोट का 36.56% वोट मिला जबकि कांग्रेस को 21.19% वोट मिले हैं.

इन वोटों में एक बड़ा हिस्सा महिलाओं का भी था. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार चुनाव के दौरान 330 सीटों पर महिला वोटरों का वोटिंग प्रतिशत 60% से ज्यादा रहा. यानि महिलाएं घर से निकलकर वोट देने पहुंची. महिलाओं के वोट से कारण बीजेपी ने 133 जबकि कांग्रेस ने 71 सीटें जीती.

Advertisment

कुछ सीटों पर महिलाओं के वोट निर्णायक साबित हुए हैं. 176 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा वोट किया जिनमें 62 सीटें बीजेपी तो 32 सीटें कांग्रेस के खाते में गई.

महिलाओं को मौका नहीं

“हम लड़कियों को काहे मौका नहीं देते, काहे इतना लाचार बना देते हैं” किरण राव द्वारा निर्देशित लापता लेडिज का यह डायलोग भारतीय राजनीति में भी साफ़ झलकता है. जहां महिलाओं को 33% आरक्षण देने की बात कागजों पर तो बड़े जोर-शोर से की जा रही हैं. लेकिन जमीन पर इसकी सच्चाई कुछ और ही है.

लोकसभा चुनाव 2024 के 543 सीटों के लिए 8337 उम्मीदवार (Loksabha 2024 Candidates) मैदान में खड़े थे. जिनमें महिला प्रत्याशियों की संख्या 797 थी जो की 2019 के लोकसभा चुनावों से मात्र 81 ज्यादा थी. 2019 में 716 महिला प्रत्याशी चुनावी (Female Candidate) मैदान में थी.

आजादी के 77 वर्ष पूरे होने को हैं लेकिन आज भी महिला प्रत्याशियों की उम्मीदवारी चुनावी मैदान में कम नजर आती हैं. क्योंकि राष्ट्रीय स्तर की पार्टियां उनपर भरोसा नहीं जताती हैं.

2024 के चुनाव में 797 महिला उम्मीदवारों में 75 ने चुनाव जीता है यानि महिलाओं के जीत का प्रतिशत 9.41% रहा है जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में 78 महिलाएं जीती थी.

महिलाओं की संख्या बता रही हैं कि राजनीतिक पार्टियों ने महिला प्रत्याशियों पर भरोसा जताने के बजाए पुरुष उम्मीदवारों को ही ज्यादा टिकट दिए थे. सबसे ज्यादा 240 सीट जीतने वाली पार्टी BJP ने चुनाव में 441 सीटों पर अकेले अपने उम्मीदवार उतारें. इनमें महिला प्रत्याशियों की संख्या मात्र 69 थी.

जो कि महिला आरक्षण बिल पास करते समय पीएम मोदी के संसद में दिए गये भाषण के विपरीत था. पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा था “महिला आरक्षण विधेयक से महिलाओं के विकास के नए रास्ते खुलेंगे. मैं भारत की सभी महिलाओं को इसके लिए बधाई देता हूं. स्वतंत्रता संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई से लेकर चंद्रयान-3 में महिलाओं तक, हमने हर युग में साबित किया है कि महिला नेतृत्व क्या है. यह कानून 30 वर्षों से लंबित था. लेकिन अब यह संसद के दोनों सदनों में पारित हो गया है.”

महिला आरक्षण बिल

लेकिन पीएम जिस महिला नेतृतव की बात कर रहे थे वह पार्टी के टिकट वितरण में नजर नहीं आया. 

महिला आरक्षण बिल को लागू होने में अभी समय लगेगा बिल पास करने का श्रेय लेने वाली पार्टियां टिकट वितरण में तो इसकी पहल कर सकती थी.

कांग्रेस ने चुनाव में 41 महिला उम्मीदवार उतारें. कांग्रेस के बाद बसपा ने 37, सपा ने 14, TMC ने 12, राजद ने सात और माकपा ने सात सीटों पर महिला उम्मीदवार खड़ा किये. वहीं पंजाब और दिल्ली में चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) ने एक भी महिला कैंडीडेट को टिकट नहीं दिया.

यूपी से सबसे ज्यादा महिलाएं मैदान में

लोकसभा सीटों के हिसाब से यूपी सबसे बड़ा राज्य हैं. कहते हैं दिल्ली में सरकार बनाने का रास्ता यही से होकर गुजरता हैं. ऐसे में क्या राजनीतिक पार्टियां इन सीटों पर महिला उम्मीदवारों पर अपना भरोसा जताते हैं? संयुक्त रूप से देखने पर यहां कि 80 लोकसभा सीटों पर 100 महिलाओं ने चुनाव लड़ा जिनमें से केवल 7 को सफलता मिली हैं.

महिला वोटर्स

बहुमत और 400 का नारा देने वाली NDA गठबंधन को यूपी में मात्र 33 सीटें हासिल हो सकीं. वहीं सपा और कांग्रेस के गठबंधन को राज्य में 43 सीटें मिली जिनमें सपा को 37 और कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं.

NDA गठबंधन ने यूपी में नौ महिलाओं को टिकट दिया था जिनमें से सात सीटों पर बीजेपी और दो पर अपना दल (S) ने उम्मीदवार खड़ा किये थे.

बीजेपी ने मथुरा से हेमा मालिनी, धौरहरा से रेखा वर्मा, अमेठी से स्मृति ईरानी, सुल्तानपुर से मेनका गांधी, फतेहपुर से साध्वी निरंजन ज्योति, बाराबंकी से राजरानी रावत और लालगंज से नीलम सोनकर को टिकट दिया था. वही अपना दल (S) ने मिर्जापुर से अनुप्रिया पटेल और रॉबर्ट्सगंज से रिकी कोल को चुनावी मैदान में उतारा था. 

लेकिन NDA कि केवल दो महिला प्रत्याशियों को चुनाव में सफलता मिली. इनमें पूर्व सांसद हेमा मालिनी ने मथुरा से और अपना दल (S) की अनुप्रिया पटेल ने मिर्जापुर से तीसरी बार चुनाव जीता हैं. यहां बीजेपी की उन महिला प्रत्याशियों को झटका लगा है जिनपर पार्टी को सबसे ज्यादा भरोसा रहा था.

अमेठी (Amethi Loksabha Seat ) से लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ रहीं केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) को यहां कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा के हाथों हार का सामना करना पड़ा. स्मृति ईरानी को 1,67,196 वोटों से चुनाव हार गईं. वहीं सुलतानपुर से मेनका गांधी भी अपनी सीट बचाने में नाकामयाब रहीं.

स्मृति के हार के कारण क्या

स्मृति ईरानी 20 सालों से ज्यादा समय राजनीति से जुड़ी हैं. अपने 20 सालों के सफर में स्मृति ईरानी की पहचान उन नेताओं में होती है जो हर मुद्दे पर अपनी राय बेबाकी से रखती हैं. इस दौरान स्मृति की टिप्पणियों ने कई बार विवाद भी पैदा किया है. साल 2018 में केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष तक की उम्र की महिलाओं को लंबी कानूनी लड़ाई के बाद प्रवेश और पूजा का अधिकार मिला था. लेकिन इसके बाद वाद विवाद जारी था.

स्मृति ईरानी

इसी दौरान मुंबई में “यंग थिंकर्स कांफ्रेंस” में स्मृति से इसको लेकर सवाल किया गया जिसमें स्मृति ने टिप्पणी करते हुए कहा था "ये सिर्फ़ कॉमन सेंस की बात है. क्या आप पीरियड्स के ख़ून में भीगा सैनिटरी नैपकिन लेकर अपने दोस्त के घर जाएंगी? आप नहीं जा सकतीं. और फिर आप सोचती हैं कि भगवान के घर में ऐसा करना सम्मानजनक होगा?"

स्मृति की इस टिप्पणी के बाद काफी बहस हुई थी जिसमें कुछ लोग स्मृति के पक्ष में तो कुछ विपक्ष में थे.

पीरियड से जुड़ा दूसरा विवाद दिसंबर 2023 में स्मृति ईरानी के संसद में दिए जवाब के बाद शुरू हुआ. जहां स्मृति ईरानी ने कामकाजी महिलाओं को पेड मेंस्ट्रुअल लीव (वेतन सहित मासिक धर्म अवकाश) दिए जाने पर असहमति जताई. साथ ही कहा था- मेंस्ट्रुएशन महिलाओं के जीवन का नेचुरल पार्ट है. इसे दिव्यांगता यानी किसी तरह की कमजोरी की तरह नहीं देखा जाना चाहिए.”

स्मृति के इस बयान के बाद नई बहस शुरू हो गयी जिसमें कहा गया कि महिलाओं के लिए समान अवसर के मार्ग में इस तरह कि सोच निराशाजनक और असंवेदनशील हैं. वहीं स्मृति ईरानी को उस समय भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा जब उन्होंने मणिपुर में महिलाओं के साथ हुए अत्याचार, यूपी के हाथरस में दलित लड़की से हुए बलात्कार जैसे मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

ऐसे में यह सवाल उठता है कि सदन या राजनीतिक पटल पर महिलाओं कि भागीदारी बढ़ाये जाने की मांग आखिर क्यों की जाती है? ताकि उच्च पदों पर बैठी महिलाएं, महिलाओं की वास्तविक परेशानियों का हल निकालें. समाज में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए योजनाएं बनाएं. लेकिन जब कैबिनेट और मंत्रालय का सफर तय कर चूंकि महिलाएं रुढ़िवादी सोच से ग्रस्त होंगी तो जनता को वैसे प्रतिनिधियों को अपने वोट की ताकत दिखानी चाहिए.

अन्य दलों में महिलाओं की स्थिति

यूपी के बाद सबसे ज्यादा महिला उम्मीदवार महाराष्ट्र और बंगाल से खड़ी हुईं थी. महाराष्ट्र से 64 तो बंगाल से 50 प्रत्याशी मैदान में थी. TMC ने 12 सीटों पर महिला प्रत्यशियों को टिकट दिया था जिनमें 11 ने जीत दर्ज किया. वहीं बीजेपी ने 7 सीटों पर महिला उम्मीदवार उतारे थें लेकिन इनमें से किसी को सफलता नहीं मिली.

TMC की जीत की ख़ुशी मानती हुई महिला कार्यकर्ता

यूपी में I.N.D.I.A. गठबंधन के तहत सपा और कांग्रेस ने 11 सीटों पर मिलकर उम्मीदवार उतारे थे. इसमें सपा ने 10 और कांग्रेस ने एक सीट पर महिला कैंडिडेट को टिकट दिया था. जिसमें सपा की पांच महिला प्रत्याशियों ने जीत हासिल किया. इसमें मैनपुरी से डिंपल यादव, कैराना से 28 वर्षीय इकरा हसन, बांदा से कृष्णा पटेल, मुरादाबाद से रूचि वीरा और मछली शहर से 25 वर्षीय प्रिया सरोज को सफलता मिली है.

Amethi Loksabha seat Female voters Loksabha 2024 Candidates Female Candidate Smriti Irani