देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्लोबलाइजेशन और डिजिटलाइजेशन की बात करते हैं. डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देते हुए प्रधानमंत्री ने 1 जुलाई 2015 को आधिकारिक तौर पर डिजिटल इंडिया मिशन की शुरुआत की थी. इस मिशन के तहत सभी भारतीय नागरिकों को आसानी से इंटरनेट से जोड़ा जाना था, ताकि आने वाले दिनों में वैश्विक स्तर पर भारत क्रांति लाए.
डिजिटलाइजेशन होने से हर चीज आजकल इंटरनेट से जुड़ चुकी है, चाहे रोजगार, स्वास्थ्य, बैंक, रोजाना के काम या फिर शिक्षा. शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए डिजिटल इंडिया का होना बहुत जरूरी है. डिजिटल इंडिया के शुरू होने से भारत में सूचना के क्षेत्र में एक नई क्रांति आई है. इंटरनेट पर सभी के लिए सूचनाएं, नौकरियां और ई-गवर्नेंस जैसी सुविधा मौजूद है.
डिजिटल इंडिया और छात्र
डिजिटल इंडिया के कारण आज देश के लगभग हर गांव तक मोबाइल, उसमें इंटरनेट और हर तरह की जानकारी पहुंच पा रही है. इंटरनेट के कारण ही आज लाखों युवा गांव में बैठकर ऑनलाइन तरीके से क्लास कर रहे हैं और गांव से ही अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं. इंटरनेट ने वाकई हमारे जीवन में कई सकारात्मक बदलाव किए हैं. इंटरनेट खासकर युवाओं की जिंदगी में बड़ा महत्व रखता है, स्कूल-कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे और युवा अमूमन अपने पढ़ाई से संबंधित चीजों को इंटरनेट पर हमेशा तलाशते रहते हैं. घर से कॉलेज जाते हुए, कॉलेज में फ्री टाइम में बैठे हुए या क्लास के बीच में भी कई छात्र सवालों की उलझन को इंटरनेट से दूर करते हैं.
वर्तमान के समय में इंटरनेट केवल आवश्यकता ही नहीं बल्कि अनिवार्यता बन चुका है. एक छात्र के जीवन में इंटरनेट का यह महत्व बिहार जैसे विकासशील राज्य में कही ज्यादा मायने रखता है. इंटरनेट से कम लागत में छात्र पढ़ाई कर सकते हैं, शिक्षा का नया मॉडल इंटरनेट मॉडल बन चुका है. यह बदलाव खासकर कोरोना के बाद से देखने को मिला है. लेकिन कोरोना के पहले ही बिहार सरकार ने इंटरनेट की अहमियत को समझ लिया था.
बिहार में फ्री वाई-फाई योजना
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2016 में यह घोषणा की थी कि वर्तमान परिवेश में राज्य के युवाओं को ई-गवर्नेंस से जोड़ने के लिए राज्य के सभी विश्वविद्यालय और महाविद्यालय में नि:शुल्क WiFi की सुविधा शुरू की जाएगी. इस सुविधा के शुरू होने से राज्य के युवाओं को इंटरनेट से जोड़ा जा सकेगा, ताकि युवा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे घटनाक्रम बदलाव और विकास के बारे में जानकारी लेते रहें.
सीएम नीतीश कुमार का यह सपना विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, कृषि महाविद्यालय सहित कई संस्थानों में शुरू करने का था. योजना के तहत लक्ष्य था कि राज्य के कुल 312 शैक्षणिक संस्थानों, 16 विश्वविद्यालयों, 262 महाविद्यालय, 7 अभियंत्रण महाविद्यालय, 9 चिकित्सा महाविद्यालय, 8 कृषि महाविद्यालय और 10 अन्य संस्थाओं में WiFi हॉटस्पॉट केंद्र लगाए जाएंगे.
योजना को "आर्थिक हल, युवाओं को बल" 7 निश्चय योजना(7 nischay yojana) के तहत 2016 में शुरू किया गया था.
योजना के अनुसार विश्वविद्यालय बिल्डिंग के अंदर 30 WiFi, हॉटस्पॉट और परिसर में 10 WiFi, हॉटस्पॉट, कॉलेज के अंदर 10 WiFi, हॉटस्पॉट और परिसर में 5 वाई-फाई, हॉटस्पॉट लगाए जाने थे. योजना को सार्थक करने के लिए सरकार ने 220 करोड़ रुपए की स्वीकृति भी दी थी. साल 2017 से योजना के लिए धरातल पर काम शुरू हो गया था.
विश्वविद्यालयों में योजना की स्थिति
पटना विश्वविद्यालय के दरभंगा हाउस में पत्रकारिता की पढ़ाई कर चुके विश्वजीत, चौंक कर पूछते हैं कि दरभंगा हाउस में WiFi भी था? उन्होंने आगे बताया कि जब वह पढ़ने जाते थे, तब उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी. पत्रकारिता की पढ़ाई दरभंगा हाउस में होती थी, जो गंगा किनारे था वहां पहले से ही मोबाइल इंटरनेट की दिक्कत थी. इंटरनेट के दिक्कत की वजह से कई बार दूसरे विश्वविद्यालय के प्रोफेसर का लेक्चर नहीं हो पाता था.
दरभंगा हाउस की छात्रा रह चुकी मौसम झा बताती है कि विश्वविद्यालयों में कई कारणों से जैमर लगाए जाते और WiFi को कुछ वेबसाइटस को ब्लॉक कर लगाया जाता है. आज के समय में WiFi कैंपस में कई तरह की एक्टिविटीज ऑनलाइन होती हैं. पढ़ाई के बीच कोई पीडीएफ डाउनलोड करता होता था तो उसमें दिक्कत आती थी. ऑनलाइन इंटर्नशिप और ट्रेनिंग भी डिपार्टमेंट में नहीं हो पाती थी. आज के समय सिर्फ़ किताबें चीजों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, खासकर पत्रकारिता जैसे सब्जेक्ट में.
पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स के एमकॉम सेमेस्टर-2 की छात्रा पल्लवी बताती है कि उनके कॉलेज में भी WiFi की सुविधा नहीं है. कॉलेज की बिल्डिंग में WiFi कनेक्शन लगा हुआ नहीं दीखता है, ऐसे में कई बार फ़ोन इंटरनेट पर ही उन्हें निर्भर रहना होता है. सिलेबस में दिए गए कई कॉन्सेप्ट्स को वह हॉस्टल के WiFi पर सर्च करती हैं.
भारत में आज भी एक बड़ा डिजिटल डिवाइड मौजूद है. इंटरनेट तक पहुंच के मामले में आज भी देश के कई राज्य ऐसे हैं जो पीछे हैं. एक ओर जहां इंटरनेट छात्रों और शिक्षकों की मूलभूत जरूरत है, तो वहीं कई राज्यों में आज भी इंटरनेट और फ्री वाई-फाई जैसी सुविधा के लिए छात्र इंतजार में बैठे हुए हैं.