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चुनाव का माहौल गरम है, और हर ओर वादों की बौछार हो रही है। चाहे नीतीश कुमार हों या तेजस्वी यादव, सभी नेता चुनावी मकसद से निर्माण और सम्मान की बातें कर रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का रंग प्रदेशवासियों पर चढ़ता जा रहा है। नेता लगातार यात्राएँ कर रहे हैं और जनता को लुभाने के लिए विभिन्न तरीकों से प्रचार अभियान चला रहे हैं.
उड़ान
उड़ने की चाहत हर किसी में होती है, और हमारा देश इतनी प्रगति कर चुका है कि इंसान कुछ ही घंटों में एक स्थान से दूसरे स्थान तक हवाई यात्रा कर सकता है। आधुनिक दुनिया में समय की कमी के कारण लोग अब अधिकतर हवाई यात्रा करना पसंद करते हैं। हवाई जहाज (airplane) की बात है, उसका आविष्कार राइट ब्रदर्स ने किया था. आज विश्वभर में हवाई जहाजों की संख्या तेजी से बढ़ चुकी है, जिससे हवाई यात्रा आम हो गई है. भारत में भी कई स्थानों पर हवाई अड्डों का निर्माण किया गया है और यात्री सुविधाओं में लगातार सुधार किया जा रहा है.
बिहार में हवाईअड्डे
भारत में कुल 487 हवाईअड्डे हैं, जिनमें बिहार में केवल तीन सक्रिय हवाईअड्डे हैं—पटना, गया और दरभंगा। पटना और गया हवाईअड्डे अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं, जबकि दरभंगा घरेलू हवाईअड्डा है। इसके अतिरिक्त, बिहार में कई अन्य हवाईअड्डे भी हैं जो परिचालित नहीं हैं या केवल विशेष (VVIP) उपयोग के लिए हैं। इनमें मुजफ्फरपुर, रक्सौल, मुंगेर, भागलपुर, बेगूसराय, राजगीर, बिहटा, पूर्णिया, सहरसा, सबेया, बीरपुर, छपरा और कटिहार शामिल हैं। पटना के बिहटा, पूर्णिया और गोपालगंज के सबेया में सैन्य हवाईअड्डे हैं, जबकि कटिहार, छपरा और बीरपुर में केवल हवाई पट्टियाँ बनी हुई हैं.
राज्य सरकार के नियंत्रण में जो क्षेत्रीय हवाईअड्डे हैं, वे मुजफ्फरपुर, सहरसा, मुंगेर, रक्सौल, भागलपुर और बेगूसराय में स्थित हैं। हाल ही में सहरसा हवाईअड्डे को विकसित करने के लिए एक सर्वेक्षण भी किया गया है.
सहरसा का रनवे
सहरसा का रनवे लगभग 50 वर्ष पूर्व बनाया गया था, लेकिन यह केवल निजी उपयोग के लिए संरक्षित कर दिया गया। इसे अर्धनिर्मित रनवे कहा जा सकता है क्योंकि इसमें सिर्फ रनवे ही बनाया गया है, जिसकी लंबाई मात्र 860 मीटर है। 2025 के बजट में सहरसा हवाईअड्डे को ब्राउनफील्ड परियोजना के तहत विकसित करने की घोषणा की गई है.
क्या है ब्राउनफील्ड परियोजना?
ब्राउनफील्ड परियोजना का अर्थ है किसी मौजूदा संरचना और बुनियादी ढांचे का पुनर्विकास और विस्तार. इसमें पहले से विकसित भूमि, जैसे पुराने कारखाने या कार्यालयों को नए उपयोग के लिए पुनः तैयार करना शामिल है. सरकारी अधिकारी ऐसे स्थलों को संरक्षित करने और उन्हें नए उद्देश्यों के लिए विकसित करने की कोशिश करते हैं. हालांकि, ब्राउनफील्ड परियोजनाओं की लागत अधिक होती है, क्योंकि इसमें पुराने ढांचे से अवशेष हटाने और आवश्यक परमिट प्राप्त करने पर खर्च करना पड़ता है.
सहरसा हवाईअड्डा: वादे और हकीकत
सहरसा जिले में पिछले 50 वर्षों से हवाईअड्डा मौजूद है, लेकिन यह सुव्यवस्थित नहीं है। सरकार पिछले कुछ वर्षों से इस हवाईअड्डे के लिए बजट का प्रावधान कर रही थी, लेकिन प्रगति यात्रा के फेज-3 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की कि इस वर्ष सहरसा हवाईअड्डे का विकास किया जाएगा.
वर्तमान में, रनवे 950 मीटर लंबा और 800 फीट चौड़ा है, लेकिन इस योजना के तहत इसे 2.5 किलोमीटर तक बढ़ाया जाएगा. यात्रियों के लिए टर्मिनल बिल्डिंग, पार्किंग सुविधा, एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर, वायरलेस कंट्रोल रूम, क्रू और पायलट रेस्ट फैसिलिटी जैसी सुविधाएँ भी विकसित की जाएंगी.भाजपा के पूर्व मंत्री और विधायक आलोक रंजन ने 2011 और 2012 में इस हवाईअड्डे के लिए पत्र लिखे थे, और 2020 में इसे चुनावी संकल्प में शामिल किया गया था। 2024 में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को इसी संदर्भ में पत्र लिखकर अनुरोध किया गया। इन्हीं प्रयासों के चलते 2025 के बजट में सहरसा को ब्राउनफील्ड एयरपोर्ट के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई.
एक सप्ताह पहले हवाईअड्डे पर सर्वेक्षण किया गया है, और दूसरा सर्वेक्षण जल्द होने वाला है। पटना से एक सर्वेक्षण दल ने स्थल का निरीक्षण किया और अपनी रिपोर्ट दिल्ली भेजी है. यदि सहरसा हवाईअड्डा चालू हो जाता है, तो यह कोशी क्षेत्र को पटना से जोड़ेगा और क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की घोषणाएँ की गई हैं इससे पहले भी कई बार वादे किए गए, लेकिन कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया.
रनवे बना नशे का अड्डा
डेमोक्रेटिक चरखा की टीम ने सहरसा निवासी विधाता से इस मुद्दे पर बातचीत की। विधाता ने बताया कि सहरसा में 1 से 1.5 किलोमीटर लंबा रनवे मौजूद है, लेकिन यह केवल नेताओं के दौरे के दौरान ही व्यवस्थित किया जाता है। उन्होंने आगे बताया कि वहाँ आमतौर पर लोग गाड़ी चलाना सीखते हैं, और यह स्थान अब नशे का केंद्र बन चुका है, जहाँ युवा सिगरेट और गांजे का सेवन करते हैं.
सहरसावासियों को हमेशा ठगा गया
टीम ने सामाजिक कार्यकर्ता सोहन झा से भी बातचीत की। उन्होंने बताया कि सहरसा रनवे के आसपास बड़ी-बड़ी इमारतें हैं, जिससे हवाईअड्डे का निर्माण कठिन लगता है। रनवे के पास ही चार मंजिला कोर्ट और अन्य बड़े घर स्थित हैं, जिन्हें अभी तक अधिगृहित नहीं किया गया है.
सोहन झा के अनुसार, यदि सहरसा से हवाई यात्रा की सुविधा उपलब्ध हो जाती है, तो मरीजों को इलाज के लिए अन्य शहरों तक पहुँचना आसान हो जाएगा। वर्तमान में मरीजों को दरभंगा या पटना हवाईअड्डे से यात्रा करनी पड़ती है, लेकिन यदि सहरसा में हवाईअड्डा बन जाता है, तो यह पूरे कोशी क्षेत्र के लिए लाभदायक होगा.
उन्होंने कहा, "चुनावी समय में ऐसे वादे अक्सर किए जाते हैं, लेकिन सहरसा इससे पहले भी कई बार विकास के नाम पर ठगा गया है." लालू प्रसाद यादव के समय से लेकर अब तक नेताओं ने हवाईअड्डे की बात तो की है, लेकिन कभी ठोस प्रयास नहीं किए गए। पिछले चुनाव में भी इस हवाईअड्डे को लेकर हलचल हुई थी, लेकिन कोई काम नहीं हुआ.सहरसा में हवाईअड्डा बनने की योजना लंबे समय से चर्चा में है, लेकिन यह कब तक हकीकत बनेगी, यह देखना बाकी है. चुनावी समय में इस तरह की घोषणाएँ आम हैं, लेकिन सहरसावासियों को अब ठोस कार्यवाही का इंतजार है।