B.Ed छात्रों की कशमकश: परीक्षा से पहले टूटा छात्रों का सपना

BPSC शिक्षक भर्ती परीक्षा को लेकर B.Ed छात्रों की कशमकश बीपीएससी अध्यक्ष के बयान ने और बढ़ा दिया. अतुल प्रसाद ने बीएड अभ्यर्थियों

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सौम्या सिन्हा
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B.Ed छात्रों की कशमकश: परीक्षा से पहले टूटा छात्रों का सपना

BPSC शिक्षक भर्ती परीक्षा को लेकर B.Ed छात्रों की कशमकश बीपीएससी अध्यक्ष के बयान ने और बढ़ा दिया. अतुल प्रसाद ने बीएड अभ्यर्थियों को कक्षा 1 से 5 में रिजल्ट की उम्मीद ना रखने का बयान दिया है. दरअसल, बिहार में 24, 25 और 26 अगस्त को अलग-अलग जिलों में बीपीएससी के द्वारा टीचर के 1 लाख 70 हजार 461 पदों पर भर्ती परीक्षा ली जाने वाली है.
इसके लिए पूरे देश से फॉर्म लिए गए थे. देशभर से करीब साढ़े 7 लाख लोगों ने इसके लिए अप्लाई किया है. जिसमें से करीब चार लाख सिर्फ बीएड अभ्यर्थी हैं जिन्होंने एक से पांचवी तक के लिए अप्लाई किया है. वही डिप्लोमा (डीएलएड) के कुल 3 लाख 80 हज़ार अभ्यर्थियों ने प्राथमिक शिक्षक के 79 हज़ार 943 पदों के लिए फॉर्म भरा है.

B.Ed छात्रों की कशमकश

सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से बीएड छात्र शिक्षक बनने से हो गए वंचित

बीएसटीसी और बीएड का मामला राजस्थान से शुरू हुआ. राजस्थान के बीएसटीसी अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में ये अपील डाली कि कक्षा 1 से 5वीं तक के लिए सिर्फ बीएसटीसी के अभ्यर्थियों को ही योग्य किया जाना चाहिए.

राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला बीएसटीसी वालों के पक्ष में सुनाया. जिसे 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने भी सही बताया और बीएड वालों को 1 से 5 तक के प्राइमरी कक्षा में टीचर बनने से हटा दिया. राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के बाद बीएड डिग्री धारकों ने एनसीटीई के नियमों के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

बीएसटीसी क्या है?

कुछ छात्रों में बीएसटीसी (Basic School Teacher Certificate) को लेकर संशय था. जिसको लेकर देव नगीना टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर एस जयशंकर बताते हैं “बीएसटीसी राजस्थान में कराया जाने वाला शिक्षक डिप्लोमा कोर्स है, जिसे आमतौर बिहार में डीएलएड के नाम से जानते है. आज से 15 साल पहले डीएलएड के इतने विद्यार्थी नहीं थे. इसलिए तब बीएड वाले ही 6 महीने का ब्रिज कोर्स करके 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाते थे.”

जब से सुप्रीम कोर्ट ने बीएसटीसी, जिसे बिहार में डीएलएड, को लेकर फ़ैसला दिया है उसके बाद से छात्रों के मन में संशय पैदा हो गया है. अब बीएड के छात्रों को ये नहीं समझ आ रहा है कि वो आगामी परीक्षा में बैठे या नहीं.

कल से पूरे राज्य में ये परीक्षा शुरू हो जायेगी. लेकिन अभी बिहार के बीएड के छात्र परीक्षा देने के बजाये सड़कों पर प्रदर्शन करते हुए नज़र आ रहे हैं.

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कई छात्रों का टूटा सपना

“मेरे पापा किसान हैं. उनकी आय इतनी नहीं थी कि मैं बीएड में एडमिशन ले सकूं. मैंने अपने चाचा से उधार ले कर बीएड में इस साल एडमिशन लिया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब मैं टीचर बनने के लायक नहीं रही.”

सहरसा की संध्या सिंह ने बारहवीं में गणित लिया जिसके बाद उन्होंने स्नातक में बीबीए की पढ़ाई की. संध्या ने बीते 9 जुलाई को ही ज्ञान प्रकाश स्वामी विवेकानंद टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में बीएड में एडमिशन लिया था.

“एडमिशन में अब तक 65 हज़ार रुपये खर्च हो चुके हैं आगे चल कर अभी और 1 लाख तक लग सकते हैं. इतने पैसे मैं इस पढ़ाई के लिए कहां से लाऊं जिससे मुझे नौकरी ही नहीं मिलेगी. मैंने फैसला आने के बाद कॉलेज वालों से कहा कि मेरा एडमिशन कैंसिल करके मेरे पैसे मुझे वापस कर दे. लेकिन कॉलेज वाले मुझे अपनी जगह दूसरा बीएड कैंडिडेट लाने को कहा या फिर अगले साल इसी कॉलेज में डीएलएड में एडमिशन लेकर फीस मैनेज करने  के लिए भी कॉलेज की तरफ से कहा गया है.”

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परीक्षा दें लेकिन रिजल्ट की उम्मीद ना करें: BPSC अध्यक्ष

बीपीएससी के अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा के लिए आवेदन किया है तो वह इस परीक्षा में भाग लेने के लिए योग्य है.

बिहार में जिस समय बीपीएससी के लिए आवेदन निकला था उस समय एनसीटीई की गाइडलाइन राज्य में चल रही थी इसलिए बिहार में बीएड अभ्यर्थियों को परीक्षा देने का पूरा अधिकार है. लेकिन परीक्षा के बाद रिजल्ट के संबंध में बीएड अभ्यर्थियों का कोई अधिकार नहीं बनता है.

बीपीएससी अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने कहा की इस परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग नहीं होगी, लेकिन प्रश्नपत्र छप चुके है जिसमें नेगेटिव मार्किंग की बात भी लिखी हुई है तो अभ्यर्थी उसे नजरंदाज करें. आने वाले 25 सितम्बर को परीक्षा का रिजल्ट भी आ जाएगा. 

"टीचर बनना पापड़ बेलने के बराबर"

दिव्या सिन्हा भोजपुर जिले की रहने वाली हैं. बीएड की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिव्या ने एक ही अटेम्प्ट में सीटेट के दोनों पेपर पास कर लिए. लेकिन नियुक्ति होना तो दूर की बात है, अभी बिहार सरकार लगातार नियम ही बदल रही है. दिव्या बताती हैं

“अब टीचर बनने के लिए इतना पापड़ बेलना पड़ रहा है. सोचे 1 से 8 क्लास तक जिसका भी वैकेंसी आएगा उसके लिए जी जान से पढ़ेंगे और सरकारी टीचर बन जाएंगे. 24 को एग्जाम है तो 18 को बीपीएससी के चेयरमैन अतुल प्रसाद कह रहे हैं कि हम परीक्षा लेंगे लेकिन रिजल्ट की उम्मीद न करें. मैं पटना की रहने वाली हूं. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मैंने अपना टिकट नहीं कराया, इतनी दूर जा कर परीक्षा देना और रिजल्ट ना आना सब बर्बादी जैसा होता.”

एनसीटीई के गजट में बीएड डिग्री धारकों को लेवल1 में 1 से 5 तक के शिक्षक की भर्ती के लिए योग्य करार दिया गया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बदल दिया है. एनसीटीई कि अधिसूचना में कहा गया था कि बीएड डिग्री धारक अगर प्राइमरी शिक्षक की परीक्षा में पास होते हैं तो उन्हें नियुक्ति के बाद 6 महीने का ब्रिज कोर्स करा दिया जाएगा जिससे वो 1 से 5वी क्लास तक के बच्चों को पढ़ा सके.

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