क्या केंद्र सरकार आवास आवंटित करने में बिहार से भेदभाव कर रही है?

प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत गांव या शहरों में रहने ज़रूरतमंद परिवार को साल 2022 तक पक्का घर देने का लक्ष्य रखा गया था. इसके तहत साल 2022 तक देश भर में 2.71 करोड़ लोगों को घर मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया था.

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पल्लवी कुमारी
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क्या केंद्र सरकार आवास आवंटित करने में बिहार से भेदभाव कर रही है?

केंद्र सरकार आवास आवंटित करने में बिहार से भेदभाव

केंद्र सरकार आवास आवंटित: गांव में रहने वाले लाखों ग्रामीण परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAYG) के तहत पक्का मकान नसीब हो सका है. इन ग्रामीण परिवारों की एक पीढ़ी कच्चे और खपरैल मकानों में अपना समय गुजारते हुए बूढ़ी हो चुकी है. लेकिन इन लोगों को आज संतोष है कि इनके बच्चे आज पक्के मकान में रह रहे हैं.

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नालंदा जिले के नूरसराय प्रखंड के सरगांव के रहने वाले रामाश्रय सिंह को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का घर मिला है. रामाश्रय सिंह की उम्र आज 65 वर्ष के करीब हो चुकी है. लेकिन सर पर पक्की छत का आसरा पिछले 5 सालों से ही हुआ है.

रामाश्रय बताते हैं

मेरे तीन बच्चे और पत्नी, दो कमरों के खपरैल मकान में रहते थे. तीन बच्चों की  पढ़ाई-लिखाई और उनकी शादी करना मेरे एक आदमी के ऊपर था. ऐसे में घर बनाने के लिए पैसा कहां से लाता. बड़े बेटे की शादी के बाद घर में रहने में और ज़्यादा दिक्कत होने लगी थी. हमारे गांव के मुखिया जी ने आवास योजना के लिए फॉर्म भरने को कहा. हमने फॉर्म भर दिया लेकिन उम्मीद नहीं थी कि पैसा आएगा. लेकिन मेरा आवास पास हो गया.

आज रामाश्रय के पास गांव में अपना दो कमरों का पक्का घर है जिनमें आज उनके साथ, उनके बहु-बेटे और पोता-पोती रह रहे हैं. घर में आज शौचालय भी है जो सरकारी सहायता से मिले पैसों से ही बना है. रामाश्रय सिंह की बहु रेणु कुमारी पक्का घर मिलने से बहुत खुश हैं. क्योंकि बरसात के दिनों में अब पूरे परिवार को रात में जागना नहीं पड़ता है.

रेणु बताती हैं

बाकी मौसम में तो उतना परेशानी नहीं होती थी जितना बरसात के दिनों में था. क्योंकि हमारे घर में केवल एक कमरा और बरामदा ही था. मां और पिताजी घर के बरामदे में ही आराम करते थे. ऐसे में जब रात या दिन में बारिश होने लगता तो सभी लोग एक ही कमरे में बैठे रहते थे. बरसात के अधिकतर रात हमलोग बैठकर गुज़ारे हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं है. हमारे पास अब दो कमरे, किचन और बाथरूम है.

ज़रूरतमंदों को 2024 तक केंद्र सरकार आवास आवंटित करने का लक्ष्य 

प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत गांव या शहरों में रहने ज़रूरतमंद परिवार को साल 2022 तक पक्का घर देने का लक्ष्य रखा गया था. इसके तहत साल 2022 तक देश भर में 2.71 करोड़ लोगों को घर मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया था. 2022 में योजना के पूरा होने के बाद इसे अब साल 2024 तक के लिए बढ़ा दिया गया है.

प्रधानमंत्री आवास योजना के वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार साल 2024 तक देश में 2,93,50,586 घर बनाये जाने का लक्ष्य रखा हैं. देश भर में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंतर्गत अब तक कुल प्रथम और द्वितीय दोनों फ़ेज़ में 2,32,46,523 आवासों का निर्माण किया गया है. इसमें सबसे ज़्यादा आवास पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और बिहार में बनाए जाने हैं. बिहार में 37,03,355 आवास बनाने का लक्ष्य रखा है.

वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 तक देश में 2,32,05,544 आवास बनाए गये हैं. जिनमें सबसे अधिक आवास बिहार (35,82,895), मध्यप्रदेश (34,48,905), पश्चिम बंगाल (34,04,926) और उत्तर प्रदेश (29,27,789) बने हैं.

केंद्र सरकार आवास आवंटित

3 सालों से बिहार को नहीं मिला नया लक्ष्य

हालांकि ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार केंद्र द्वारा बिहार को पिछले तीन वित्तीय वर्ष में कोई नया लक्ष्य नहीं दिए जाने की आलोचना करते हैं. केंद्र द्वारा बिहार को वर्ष 2018-19, 2022-23 और 2023-24 में आवास बनाने का नया लक्ष्य नहीं दिया है. नया लक्ष्य नहीं मिलने के कारण बिहार को इन वित्तीय वर्ष में बजट राशि भी आवंटित नहीं की गयी है.

ग्रामीण विकास विभाग के समीक्षा बैठक में मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि

केंद्र सरकार यह दावा करती है कि वर्ष 2024 तक सभी को आवास उपलब्ध करा देगी. जबकि बिहार में 13 लाख आवास प्रतीक्षा सूची में हैं. केंद्र ने बिहार को नया लक्ष्य नहीं दिया है. लक्ष्य के अभाव में प्रतीक्षा सूची के आवास का निर्माण संभव नहीं है. ऐसे में केंद्र का यह दावा कैसे पूरा होगा?

वित्तीय वर्ष 2022-23 में राज्य में तीन करोड़ (3,36,78,575) से ज़्यादा परिवारों ने पीएम आवास के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया था. लेकिन वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 में केंद्र से नए आवास निर्माण का लक्ष्य नहीं मिलने के कारण लोगों को अभी आवास निर्माण के लिए अभी इंतज़ार करना होगा.

बजट बढ़ाने के बाद भी नहीं मिल रहा आवास

इस साल आए बजट में केंद्र द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिए 54 हज़ार 487 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया है. यह राशि पिछले साल आए बजट से अधिक है. पिछले वर्ष प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिए 4 हज़ार करोड़ रुपए का बजट तय किया गया था.

हालांकि बिहार को 2023-24 में पीएम आवास के लिए बजट नहीं दिया गया है. इससे पहले वर्ष 2018-19 और 2022-23 में भी बजट आवंटन नहीं हुआ था. जिसके कारण राज्य में आज भी कई परिवारों को आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका है. कई बार आवेदन करने के बाद भी इन परिवारों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है.

कटिहार के कोरहा प्रखंड की रहने वाली तेतरी ख़ातून को पीएम आवास योजना का लाभ आज तक नहीं मिला है. तेतरी के घर में नियमित तौर पर आय का कोई साधन नहीं है. आवास नहीं मिलने के कारण तेतरी खातून के छह लोगों का परिवार फूस (सूखा घास) और बांस की फट्टियों से बने घर में रहने को मजबूर हैं.

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तेतरी डेमोक्रेटिक चरखा को बताती हैं

मेरा घर वाला (पति) मज़दूरी करता है. कभी 100 टका (रुपया) कभी 200 टका और कभी कुछ नहीं लाता है. इतना कम पैसा में घर चलाना मुश्किल है. घर कहां से बनायेंगे. छोटा-छोटा बच्चा है. किसी तरह पन्नी डालकर रह रहे हैं. पानी पड़ता है तो तब सब भींग जाता है.

सीमांचल में कई परिवारों के पास आवास नहीं

ये सिर्फ तेतरी की कहानी नहीं है, कटिहार जिले के कोरहा प्रखंड में तेतरी ख़ातून, नुसरत ख़ातून, मेराज समेत 45 अल्पसंख्यक परिवारों को अबतक पीएम आवास योजना का लाभ नहीं मिला है.

योजना के शुरुआती वर्ष से अब तक कटिहार जिले के कोरहा प्रखंड से 11,325 लोगों ने आवास योजना के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है जिसमें 10,440 परिवार को आवास दिया गया है जिसमें से 5,666 परिवार अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं.

राज्य के अन्य जिलों में भी ऐसे परिवरों की संख्या हज़ारों में हैं जिन्हें आवास की आवश्यकता है. लेकिन केंद्र द्वारा बजट आवंटित ना होने और अधिकारीयों की धीमी कार्यशैली के कारण लोग इस लाभ से वंचित है.

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चार साल बीतने के बाद भी राशि नहीं मिलती: ज़हीब अजमल

स्लम्स ऑफ़ पटना के सह लेखक और समर संस्था से जुड़कर वंचित समुदाय के लोगों के अधिकार के लिए काम करने वाले ज़हीब अजमल कहते हैं

पक्के आवास की ज़रूरत तो सभी को है. लेकिन सरकार की योजना इसको कैसे पूरा कर पाएगी हम इसको लेकर आश्वस्त नहीं है. नेउरा से सटे मिलगिपुर गांव का एक केस है. जहां 35 से 40 परिवार ने पीएम आवास के लिए आवेदन दिया था लेकिन तीन-चार साल बीतने के बाद भी उनलोगों का पैसा नहीं आया. वहां लोगों ने हमें बताया कि पैसा आता भी है तो केवल उन्हीं लोगों का जिन्हें पहली किश्त मिल चुकी है.

ज़हीब बताते हैं उनके साथ समर संस्था में काम करने वाले साथी अभिजीत कुमार ने चार साल पहले पीएम आवास के लिए आवेदन दिया था लेकिन आज तक पैसा नहीं आया. अंत में अभिजीत के पिता ने अपने पैसे लगाकर किसी तरह घर बनाया है.

सर्दी, गर्मी और बरसात में प्रत्येक परिवार को सुरक्षित आवास की ज़रूरत होती है. सरकार द्वारा लायी गई योजनाओं का लाभ प्रत्येक परिवार को सही समय पर मिल सके इसके लिए सरकारी संस्थाओं में बैठे अधिकारी को अपनी कार्यशैली में तेजी लाना होगा. साथ ही लाभुकों के चयन में संबंधित अधिकारी को पारदर्शिता रखनी होगी.

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