सरकार महिलाओं के उत्थान के लिए न जाने कितनी योजनाएं लेकर आती है. एक छोटी-सी बच्ची से लेकर एक बुजुर्ग महिला तक के लिए योजनाएं मौजूद हैं. कन्या उत्थान योजना से लेकर विधवा पेंशन योजना सब योजनाएं सरकार ने बना रखी है. लेकिन क्या यह योजनाएं उतनी सफल हो पाती हैं? एक ऐसी ही योजना है मातृत्व लाभ योजना.
कहने को तो इन योजनाओं का मुख्य कार्य महिलाओं का उत्थान और सामाजिक दृष्टि से कल्याण है. लेकिन क्या यह जमीनी स्तर पर भी उतनी ही सफल हो पाती है? एक ऐसी ही योजना है 'मातृत्व लाभ योजना' जो प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के अंतर्गत आती है. सरकार के हिसाब से यह योजना महिलाओं के लिए काफी लाभकारी है.
लेकिन पटना के बस्तियों में रहने वाली ज्यादातर महिलाओं को मातृत्व लाभ योजना के तहत मदद नहीं मिल पायी है. अगर सरकारी बजट की बात करें तो 2048 करोड़ों रूपए इस योजना के लिए आवंटित किए गए हैं.
क्या है प्रधानमंत्री मातृत्व लाभ योजना
मातृत्व लाभ योजना के तहत महिलाओं और उनके बच्चों की देखभाल के लिए सरकार द्वारा उन्हें 6000 रुपये तक की आर्थिक सहायता देती है. सरकार इस पैसे को 3 चरणों में देती है. गर्भवती महिलाओं को उनके गर्भधारण और प्रसव के समय सरकार उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करती है.
सरकार सबसे पहले चरण में 1000 रुपये तथा दूसरे और तीसरे चरण में 2-2 हजार रुपये तक की आर्थिक सहायता प्रदान करती है. बाकिं के 1000 रुपये सरकार बच्चे के जन्म के पश्चात देती है.
इस योजना के तहत सरकार का मुख्य उद्देश्य गर्भावस्था प्रसव और स्तनपान के दौरान महिलाओं के देखभाल को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही शुरुआती महीनों में महिलाओं को स्तनपान और बच्चे के पोषण के बारे में जानकारी देना भी है. बच्चों में होने वाले कुपोषण और मृत्यु दर को कम करना भी इस योजना का मुख्य उद्देश्य है.
जानकारी के अभाव और दस्तावेजों की कमी के कारण नहीं उठा पा रही महिलाएं इस योजना का लाभ
पटना के बस्तियों में रहने वाली महिलाओं में ज्यादातर महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें इस योजना के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है. इसके पीछे दो कारण हैं.
पहला तो यह की जानकारी के लिए जो साधन मौजूद होने चाहिए जैसे टीवी, मोबाइल फोन आदि उनके पास मौजूद नहीं है. दूसरा कारण है सरकार द्वारा योजना को जन-जन तक ना पहुंचा पाने की असफलता.
इस विषय पर हमने पटना के राजेंद्रनगर स्थित बस्ती की सावित्री जी से बात की. उन्होंने हमें बताया कि
सर हम कोई योजना के बारे में नहीं जानते हैं. हम लोग ना तो पढ़े लिखे हैं और ना ही किसी से जान पहचान ज्यादा है.
कुछ ऐसी ही समस्या बस्ती में रहने वाली बबीता की भी है. बबीता ने पिछले ही महीने अपने बच्चे को जन्म दिया है. लेकिन कुछ दस्तावेज उपलब्ध नहीं होने के कारण वह इस योजना का लाभ नहीं उठा पाईं. हमने बबीता से इस विषय पर बात की. उन्होंने बताया कि
सर हम लोग किसी तरह दो वक्त की रोटी जुटा पाते हैं. हम आवेदन करने गए थे लेकिन साइबर कैफे में पैसे लिए जा रहे थे तो हमने आवेदन नहीं कराया. उस वक्त मेरा बच्चा भी होने वाला था इसलिए हमें पैसे को बचाकर रखने में ही समझदारी लगी.
केवल योजनाएं लाना काफी नहीं जानकारी देना भी बेहद जरूरी
सरकार हर रोज कोई ना कोई योजना सामाजिक उत्थान के लिए लेकर आती रहती है लेकिन यह योजनाएं जनता तक पहुंचे, इसका ख्याल भी सरकार को ही रखने की जरूरत है.
इस विषय पर हमने फुरकान अहमद जी से बात की. फुरकान ने पटना के बस्ती के इलाकों पर काफी काम किया है. उन्होंने अपने साथियों के साथ एक किताब भी लिखी है जिसका नाम है 'स्लम ऑफ पटना'. फुरकान अहमद ने हमें बताया कि
बहुत-सी योजनाएं ऐसी होती हैं जिनके बारे में आमतौर पर सभी को पता होता है. जैसे वृद्धा पेंशन योजना, विधवा पेंशन योजना, विकलांग पेंशन योजना. लेकिन बहुत-सी योजनाएं धरातल तक नहीं पहुंच पातीं. मातृत्व लाभ योजना का हाल भी कुछ ऐसा ही है. हमने अपने सर्वे के दौरान पाया कि सरकार हर रोज नई योजना लेकर चली आती है लेकिन लोगों को उसकी जानकारी नहीं मिल पाती. जिन योजनाओं के बारे में सब लोग जानते हैं और ये योजनाएं आज की नहीं हैं, वह बहुत पुरानी हैं. हालांकि ज्यादातर लोग इस योजना का लाभ उठाते हैं लेकिन योजना का लाभ नहीं उठा पाने वालों की संख्या भी कम नहीं है.
आमतौर पर देखने को मिलती हैं 4 तरह की समस्याएं
इस विषय पर हमें फुरकान अहमद ने बताया कि योजना का लाभ उठा पाने में महिलाओं को मुख्य रूप से चार तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
1. आमतौर पर जानकारी का अभाव होना या जानकारी ही नहीं होना.
2. सरकार के द्वारा कोशिश नहीं किए जाने की वजह से भी समस्या होती है.
3. दस्तावेजों के अभाव में भी लोग योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते. कुछ लोगों के दस्तावेज ही नष्ट हो जाते हैं. खासकर बस्ती में रहने वाले लोगों के यहां बाढ़ आ जाने या फिर बस्ती में आग लग जाने की वजह से दस्तावेज नष्ट हो जाते हैं.
4. लोकल वार्ड नेताओं के द्वारा दिलचस्पी नहीं लेने की वजह से भी महिलाएं योजना का लाभ नहीं उठा पातीं.
सवाल ये है कि अगर सरकार की मंशा सच में महिलाओं के प्रति लायी गयी योजनाओं को सफल बनाना है तो सरकार को धरातल पर युद्ध स्तर पर काम करने की जरूरत है.