दिव्यांगजनों के टॉयलेट: गंगा किनारे रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट के तहत बुडको के कलेक्ट्रीयट घाट से गुलबी घाट तक 12 यूनिट टॉयलेट बनाया गया है. जिसे नगर निगम को सौंप दिया गया है. लेकिन इसके रख- रखाव को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है. जिसकी वजह से घाट पर गंदगी फैलती जा रही है. ये स्थिति महिला और पुरुष शौचालय की है. सबसे ख़राब स्थिति दिव्यांग टॉयलेट की है. पटना के किसी भी घाट के अलावा किसी और महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थल पर दिव्यांग शौचालय खुला हुआ ही नहीं है.
2022 में नगर निगम में 900 मॉड्यूलर शौचालय का टेंडर दिया गया था. लेकिन बाद में ख़ुद ही इसे रोक दिया गया. क्योंकि साल 2019 में 200 मॉड्यूलर और 2020- 21 में ओडीएफ के तहत 264वां 12 यूनिट शौचालय का मेंटेनेंस नहीं कर पा रही है.
नगर निगम के पास दिव्यांगजनों के टॉयलेट का आंकड़ा नहीं
साल 2011 के जनगणना के अनुसार बिहार में दिव्यांगो की संख्या 23,31,009 है. हालांकि ये 12 साल पुराने आंकड़े हैं और वास्तविक संख्या से काफ़ी कम है. साल 2016 में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम लाया गया. जिसमें दिव्यांगजनों को रोज़गार और शिक्षा में समान अवसर प्रदान करने की बात कही गयी है.
साथ ही इस कानून के तहत, सभी सरकारी इमारतों में रैंप, विकलांगों के लिए अलग शौचालय, विशेष पार्किंग आदि की व्यवस्था को अनिवार्य बनाया गया था. हालांकि पटना नगर निगम के पास दिव्यांगजनों के लिए कितने शौचालय बनाए गए हैं इसका डाटा मौजूद नहीं है.
कलेक्ट्रीयट घाट से गुलबी घाट तक 12 यूनिट शौचालय बनाया गया है. जिसमें दिव्यांगों के लिए विशेष शौचालय की व्यवस्था की गई है. हालांकि NIT घाट और रानी घाट स्थित बने यूनिट शौचालय में दिव्यांगों के शौचालय में ताला लगा हुआ है.
NIT घाट स्थित यूनिट शौचालय में तीन शौचालय हैं. एक पुरुष के लिए एक महिला और एक . हालांकि पुरुष और महिला शौचालय खुले हुए हैं वहीं दिव्यांग शौचालय में ताला लगा है.
शौचालय नहीं होने से दिव्यांग छात्रों की पढ़ाई बाधित
घाट पर पढ़ाई करने आए अमन जो की एक विद्यार्थी हैं और दिव्यांग भी. जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने बड़ी उत्सुकता के साथ बताया कि
आप शौचालय की बात कर रहें हैं? हम पिछले कई महीनों से यहां पढ़ाई करने आ रहे हैं. मैंने एक दिन भी नहीं देखा है कि शौचालय खुला हो. आप ही बताए कि हमें शौच आएगा तो कहां जायेंगे?
2015 में सरकारी अस्पतालों व शैक्षणिक परिसरों में विकलांगों के लिए अलग से रैंप व शौचालय बनाने के लिए केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत 5 करोड़ 86 लाख की राशि सामाजिक सुरक्षा एवं नि:शक्तता निदेशालय को मुहैया कराई है. हालांकि कई जगहें अभी भी इस सुविधा से वंचित है.
पटना जंक्शन पर बना विशेष दिव्यांग टॉयलेट बंद
पटना जंक्शन पर बड़ी मुशक्कतों बाद दिव्यांगजनों के लिए विशेष शौचालय बनाया गया. लेकिन बाकी शौचालय के तरह जंक्शन का भी शौचालय में ताला लगा हुआ है. इस पर वैष्णवी बताती हैं कि
एक बार मैं स्टेशन गई. वहां शौचालय में ताला लगा था और चाभी स्टेशन मास्टर के पास थी. अब इमरजेंसी में इंसान चाभी लाने जाएगा?
दिव्यांग अधिकारों पर काम करने वाली वैष्णवी आगे बताती हैं
दिव्यांगों के लिए बिहार में शौचालय की भरी कमी है. जहां है भी तो वहां ताला बंद है और ये ताला इसलिए बंद होता है क्योंकि अंदर कचड़ा रहता है. अगर हम लोग पूरे दिन के लिए बाहर निकलते हैं तो मजबूरी में घर भागना पड़ता है. क्योंकि सुलभ शौचालय हमारे योग्य नहीं है. कहीं भी दिव्यांगों के लिए शौचालय नहीं है. ना ही ज़ू ना ही किसी सिनेमा घर में.
सरकार करती है दिव्यांगों को अनदेखा
बिहार में हर साल अनेक मेला लगता है. कभी उद्योग मेला कभी बिहार दिवस और कई तरह के अनेक मेला. लेकिन क्या उस मेले में बिहार के दिव्यांगजनों के लिए व्यवस्था होती है? इसका जवाब देते हुए वैष्णवी बताती हैं कि
हमने बिहार दिवस में एक स्टॉल लिया था लेकिन वहां भी दिव्यांग शौचालय नहीं था. जो शौचालय महिलाओं के लिए बनाया गया था वो एक फीट ऊंचा था .अब आप ही बताएं कि हम दिव्यांग उस पर कैसे चढ़ेंगे? इससे अच्छा तो सरकार तंबू गाड़ कर नाली बना दे. वहां किसी भी तरह की सुविधा नहीं होती है. सरकार सबको बढ़ावा देती है महिला हो या ट्रांसजेंडर लेकिन दिव्यांगों पर उनका कोई ध्यान नहीं देती हमें अनदेखा करती है.
पटना नगर निगम के पास कोई डाटा नहीं
पटना नगर निगम की पीआरओ बताती हैं कि दिव्यांगों के लिए पटना में कितने शौचालय हैं इसका डाटा हमारे पास नहीं है. अगर अधिक जानकारी चाहिए तो हमारे ऑफिस आयें.
जब हमारी टीम ऑफिस पहुंची तो कहा गया सिटी मैनेजर से बात करने कहा गया. सिटी मैनेजर ने बताया कि उनकी नई नियुक्ति हुई है तो ज़्यादा जानकारी नहीं है. पीआरओ ने कहा कि शौचालय तो बहुत हैं लेकिन विशेष दिव्यांगों के लिए कितने शौचालय हैं इसका इनफॉरमेशन हमारे पास नहीं.
NIT घाट और रानी घाट पर बने यूनिट शौचालय पर प्रतिक्रिया देते हुए पीआरओ ने कहा कि
इसकी जानकारी जल्द जल्द से हम पदाधिकारी को देंगे और जल्द सारी समस्या का निदान करेंगे.
हालांकि सोचने वाली बात ये है कि पटना नगर निगम के पास कोई डाटा मौजूद नहीं है तो आख़िर निगम किस तरह से शौचालय का मेंटेनेंस करती है?