महिला सशक्तिकरण और लड़कियों की शिक्षा की बात करने वाली सरकार आज भी स्कूल जाने वाली छात्राओं को सुरक्षित माहौल नहीं दे सकी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां सदन में महिलाओं को सेक्स एजुकेशन देने की हिमायत करते नजर आते हैं. वहीं बिहार के सरकारी स्कूल के पुरुष शिक्षक स्कूल में छात्राओं के साथ अश्लील हरकत करते हैं.
राजधानी पटना(patna) के बी. एन. कॉलेजिएट (B N collegiate) के नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्राओं ने शिक्षक राजेश कुमार पर छेड़खानी, गाली-गलौज और मारपीट का आरोप लगाया है. छात्राओं का कहना है कि शिक्षक उन्हें पिछले एक महीने से परेशान कर रहे हैं. शिक्षक किसी ना किसी बहाने छात्राओं को गलत तरीके से छूते है और उनसे अश्लील बाते करते हैं.
प्रिंसिपल ने नहीं की कोई कारवाई
छात्राओं ने इसकी शिकायत पहले स्कूल की प्रिंसिपल से की. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर छात्राओं ने इसकी शिकायत अपने परिजनों से की. पीड़ित छात्राओं ने डेमोक्रेटिक चरखा से बातचीत के दौरान कहा “शिक्षक क्लास में अकेले बुलाकर गलत हरकत करते हैं. जब हम लोगों ने इसकी शिकायत प्रिंसिपल मैम से की तो उन्होंने उल्टा हमें ही डांट दिया. और कहा अगर तुम लोग कार्रवाई करोगी तो तुमलोग को सस्पेंड कर देंगे और परीक्षा में भी फेल कर देंगे.”
छात्राओं के शिक्षक के खिलाफ आवाज उठाने से नाराज स्कूल प्रशासन ने पांच छात्राओं को 10 दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया है. छात्राओं को सस्पेंड किए जाने से परेशान परिजन गुरुवार को स्कूल पहुंचकर मामले में स्कूल प्रशासन से बात करने का प्रयास किया.
लेकिन परिजनों का कहना है कि आरोपी शिक्षक ने बाहरी लड़कों को बुला लिया. जिसके बाद अज्ञात लड़कों ने छात्राओं के परिजन से मारपीट करना शुरू कर दिया. आरोपी शिक्षक स्कूल में फिजिक्स पढ़ाते हैं.
छात्राओं ने डायल 112 पर दी मारपीट की जानकारी
छात्राओं ने डायल 112 पर कॉल कर पुलिस को घटना की जानकारी दी. स्कूल पहुंची डायल 112 की टीम आरोपी शिक्षक पर कार्रवाई के बजाए छात्राओं और परिजनों को समझाने लगी. जिससे नाराज छात्राएं नजदीकी थाने में आवेदन देने पहुंच गईं जहां थानेदार ने आवेदन लेने से मना कर दिया.
छात्राओं ने बताया कि “हम लोग शिकायत करने थाने में गए थे लेकिन हमें वहां से लौटा दिया गया. हमारी कोई बात नहीं सुनी. थाने से कोई अधिकारी स्कूल में आकर बात करके चले गए.”
छात्रा की अभिभावक कहती हैं “बच्चियों ने पहले भी बताया था कि राजेश सर क्लास में हाथ पकड़ लेते हैं. हमने समझाया पिता समान है, ऐसे ही कभी हो गया होगा लेकिन बीते दिन तो हद हो गया जब शिक्षक ने जबरदस्ती एक लड़की को गला लगा लिया और मेरी बेटी को गन्दी गाली भी दिए. बच्चियों ने जब शिकायत की तो उल्टा प्रिंसिपल मैम ने बच्चियों को ही सस्पेंड कर दिया.”
पुलिसिया कार्रवाई से निराश छात्राएं गुरूवार रात ही डीएम आवास पहुंच गई. छात्राएं डीएम आवास के बाहर से हटने को तैयार नहीं थी. इसी बीच गांधी मैदान की गश्ती टीम मौके पर पहुंच गई और छात्राओं को समझाने का प्रयास किया लेकिन छात्राएं केस दर्ज कराने के लिए अड़ी रहीं.
छात्राओं के डटे रहने के बाद जिला नियंत्रण कक्ष के मजिस्ट्रेट रवि भूषण छात्राओं से मिलने पहुंचे और उनसे आवेदन लिया. दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन देते हुए एडीएम ने कहा “हमने छात्राओं से ज्ञापन ले लिया है. मामले में जो भी दोषी होगा उसपर कार्रवाई होगी.”
डीएम ने दिए जांच के आदेश
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी डॉ चंद्रशेखर ने जांच के आदेश दिए हैं. डीएम ने मामले पर संज्ञान लेते हुए तीन सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया है. जांच कमेटी में तीन महिला पदाधिकारी अभिलाषा सिन्हा, आभा प्रसाद और पूनम कुमारी को रखा गया है. डीएम ने कहा कि यह एक संवेदनशील मामला है. शिक्षक के खिलाफ जो आरोप लगाए गए है वो काफी गंभीर है.
डीएम ने कमेटी से 24 घंटे के अंदर जांच कर प्रतिवेदन जमा करने का आदेश दिया है. कमेटी के जांच रिपोर्ट जमा करने के बाद ही आरोपित शिक्षक के विरुद्ध कार्रवाई की जा सकती है.
वहीं मामला उच्च अधिकारीयों तक पहुंचने के बाद पीरबहोर थाने ने भी छात्राओं के बयान के आधार पर पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है.
स्कूल भी सुरक्षित नहीं: परिजन
प्रियांशी (बदला हुआ नाम) अपनी कक्षा की तेज विद्यार्थियों में से एक हैं. लेकिन पिछले कुछ दिनों से वो पढ़ाई में पीछे होती जा रही थी. प्रियांशी को स्कूल जाने का मन भी नहीं कर रहा था. परिजनों को लग रहा था कि शायद प्रियांशी पढ़ाई से कोताही कर रही हैं. लेकिन प्रियांशी स्कूल में होने वाली अश्लील हरकतों से परेशान थी. कहीं उसकी पढ़ाई बंद ना करवा दी जाए, इस डर से वो अपने परिजनों से ये बात साझा नहीं कर पा रही थीं.
लेकिन जब स्कूल में बच्चियों ने प्रदर्शन किया तब प्रियांशी ने भी अपने परिजनों से बात साझा की. प्रियांशी के परिजनों ने डेमोक्रेटिक चरखा से बात करते हुए कहा कि "हमें लगता था कि ये ज्ञान का मंदिर है और हमारी बच्ची यहां सुरक्षित रहेगी. लेकिन अगर हमारी बच्चियां स्कूल में भी सुरक्षित नहीं है तो कहां सुरक्षित हैं?
अभी इस मामले में पुलिस जांच चल रही है और काफी दबाव के बाद पुलिस ने POCSO Act (एक्ट) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है.