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बंगाली साहित्य की सबसे शुरुआती महिला लेखिकाओं में से राससुंदरी देवी को गिना जाता है. उन्होंने 26 साल की उम्र में पढ़ना-लिखना सीखा और अपनी आत्मकथा लिख दी.
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