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मैं घर बड़े नाजों के साथ आया था, कभी मुझे कंधे पर बिठाकर लाया जाता, तो कभी सर पर सवार कर लेते. शायद मुझे उसी नुमाइश की नजर लग गई और मेरी एक टांग टूट गई.
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