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कुलसुम सयानी ने रूढ़िवादी जंजीरों को तोड़कर समाज की कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद की. वह स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ शिक्षित समाज की बड़ी पक्षधर थी.
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