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लेखिका रशीद ने करीब 11 साल के लंबे इंतजार के बाद 1881 में अपनी रचना इस्लाह-उन-निसा को प्रकाशित करवाया. इतने सालों तक उनकी रचना बेकार पड़े कागजों के बीच कहीं धूल खाती रही.
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