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कौशल्या बैसंत्री एक पढ़ी-लिखी दलित महिला थी. उनके माता-पिता बहुत मेहनती थे और वह भी बाबासाहेब के विचारों से काफी प्रभावित थे, जिस कारण लेखिका कौशल्या पढ़ पाई थी.
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