बिहार में जारी हुए ताजा आरक्षण बिल को कोर्ट में चुनौती दी गई है. नीतीश-तेजस्वी की सरकार ने बीते दिन ही शीतकालीन सत्र के दौरान राज्य में 75% आरक्षण बिल को मंजूरी दिलवाई थी. इस बिल को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.
पटना हाईकोर्ट में नए आरक्षण के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में इसे संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि आरक्षण की सीमा को संविधान के नियमों के खिलाफ बढ़ाया जा रहा है. दायर पीआईएल के अनुसार संविधान में जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने का कोई प्रावधान नहीं है. बिहार सरकार आरक्षण का दायरा संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करके बढ़ा रही है.
सरकारी नौकरियों और दाखिले के लिए नई आरक्षण दर लागू
प्रदेश में पहले 60% आरक्षण लागू था, जिसे 75% कर नीतीश कैबिनेट ने सदन से पास करवा लिया था. राज्यपाल के मुहर के बाद पूरे राज्य में सरकारी नौकरी और दाखिलों के लिए नए आरक्षण दर को लागू कर दिया गया है.
राज्य में अभी इसको लेकर सियासी घमासान मचा ही हुआ था. तब तक का यह मामला पटना हाई कोर्ट में पहुंच गया.
बता दे की जातीय गणना की रिपोर्ट आने के बाद ही राज्य सरकार ने आरक्षण का दायरा बढ़ाने का फैसला किया था. जिसे विधानसभा के दोनों सदनों से सर्वसम्मति से पारित करा लिया गया.