बिहार सरकार ने वर्ष 2006-07 में तलाकशुदा या परित्यक्ता मुसलमान महिलाओं के लिए योजना शुरू की. इसके तहत शुरुआत में महिलाओं को 10,000 रूपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती थी. बाद में वर्ष 2017-18 में इस राशि को बढ़ाकर 25,000 रूपए कर दिया गया. वर्ष 2018-19 से लाभार्थियों को ई-कल्याण (ई-वेल्फेयर) पोर्टल के जरिए यह सुविधा दी जा रही है. योजना का लाभ 18 से 50 साल तक की महिलाओं को दिया जा सकता है.
बिहार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023-24 में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 2023-24 में 430 जरूरतमंद महिलाओं के बीच 1.08 करोड़ रुपए वितरित किए गए हैं.
ज्यादातर तलाकशुदा महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती है. शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के बीच आर्थिक मजबूरियां उन्हें कमजोर बना देती हैं. लेकिन सरकारी मदद के दावे केवल कागजों पर दर्ज किये जाते हैं. जबकि वास्तविकता में पीड़ित महिलाएं मदद के लिए भटकती रहती हैं. सरकार की कोशिश है कि स्वरोजगार कर ऐसी महिलाएं अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें. घर में कुछ स्वरोजगार खड़ा कर आगे बढ़े. लेकिन योजना के प्रति समाज में जागरूकता और जानकारी का अभाव है.
लाइव मिनट के एक रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक 1,000 विवाहित हिंदू महिलाओं में से 2.6 तलाकशुदा हैं, जबकि 1,000 विवाहित मुस्लिम महिलाओं में से 5.6 तलाकशुदा हैं. हालांकि पुरुषों के लिए, अनुपात लगभग समान है (हिंदू पुरुषों के लिए 1.5 और मुस्लिम पुरुषों के लिए 1.6)