बिहार: हाईकोर्ट ने पलटा नीतीश-तेजस्वी का फैसला, 65% आरक्षण का आदेश रद्द

बीते साल सीएम नीतीश कुमार ने आरक्षण को 50 फ़ीसदी से बढ़ाकर 65 फ़ीसदी किया था, जिसे आज पटना हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. मामले पर 11 मार्च को सुनवाई होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था, जिसे आज सुनाया गया.

New Update
घटाया आरक्षण का दायरा

घटाया आरक्षण का दायरा

बिहार सरकार ने बीते साल राज्य में जातिगत सर्वेक्षण कराया था. जातीय सर्वेक्षण की रिपोर्ट आने के बाद राज्य के मुखिया नीतीश कुमार ने आरक्षण का दायरा भी बिहार में बढ़ा दिया था. नीतीश कुमार ने पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को 50 फ़ीसदी से बढ़ाकर 65 फ़ीसदी किया था, जिसे आज पटना हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. 

गुरुवार को हाईकोर्ट ने बिहार पदों में सेवाओं एवम रिक्तियों के आरक्षण संशोधन अधिनियम-2023 और बिहार शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण संशोधन अधिनियम-2023 को रद्द किया है. कोर्ट ने इस अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत सामान्य खंड का उल्लंघन बताते हुए नीतीश कुमार को एक बड़ा झटका दिया है.

65% आरक्षण हुआ रद्द

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति हरीश कुमार ने बिहार विधान मंडल द्वारा बीते साल लाए संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की और अपना फैसला सुनाया. इस मामले में गौरव कुमार समेत कुछ याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में याचिका दायर की थी. मामले पर 11 मार्च को सुनवाई होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था, जिसे आज सुनाया गया.

बता दें कि बीते साल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के साथ गठबंधन के सरकार में थे. दोनों ने मिलकर राज्य में जातीय सर्वेक्षण कराया और 7 नवंबर 2023 को विधानसभा में इसकी घोषणा की गई कि बिहार सरकार आरक्षण के दायरे को बढ़ा रही है. विधानसभा में घोषणा के बाद कैबिनेट की बैठक बुलाई गई और ढाई घंटे के अंदर इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई. विधानमंडल के दोनों सदनों से इसे पारित भी कर लिया गया था.

CM nitish kumar news Patna High Court News 65 percent reservation in bihar Reservation in Bihar