झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन केंद्र से लगातार झारखंड का बकाया रॉयल्टी देने की मांग करते हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान भी यह एक बड़ा मुद्दा रहा था. राज्य सरकार ने केंद्र से 1.36 लाख करोड़ रुपए की रॉयल्टी मांगी थी, जिसे लेकर सीएम ने प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था. सीएम के सवाल का जवाब केंद्र से मिल चुका है. केंद्र सरकार ने लोकसभा में स्पष्ट किया कि झारखंड का रॉयल्टी का 1.36 लाख करोड़ रुपए का बकाया नहीं है. ऐसी कोई बकाया राशि केंद्र के पास नहीं है. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि झारखंड के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं हो रहा है.
लोकसभा में पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कोयला और खनिजों की रॉयल्टी से जुड़े मुद्दे को लेकर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था कि 1.36 लाख करोड़ रुपए झारखंड का केंद्र पर बकाया है. इस पर केंद्र ने जवाब दिया कि ऐसी कोई बकाया राशि उनके पास नहीं है. वित्त मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई कि कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए सहायता अनुदान, पूंजीगत व्यय और निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता के लिए राशि देती है. झारखंड को पिछले 3 साल में करीब 7790 करोड़ रुपए की राशि दी गई है. साल 2023-24 में 4580 0.61 करोड़ रुपए की राशि दी गई थी, जबकि 2022 में 296 4.32 और 2021-22 में 246 करोड़ रुपए की राशि दी गई है.
इधर झारखंड सरकार की ओर से मुख्य सचिव ने केंद्रीय खान मंत्रालय को भी पत्र लिखा है. जिसमें 1.36 लाख करोड़ रुपए के बकाया की बात कही गई है. झारखंड सरकार ने दावा किया का कोयला और स्टॉक रॉयल्टी के मामले में 2900 करोड़, एमएमडीआर के तहत 3200 करोड़ और भूमि अधिग्रहण के एवज में 1 लाख 1142 करोड़ रुपए बकाया है. सभी जिलों के खनन पदाधिकारियों से रिपोर्ट मिलने के बाद इस राशि में और बढ़ोतरी हो गई है. यह बकाया राशि अब 1.48 लाख करोड़ रुपए हो गई है.
झारखंड सरकार ने केंद्र से बकाया राशि वापस लेने के लिए कानूनी रास्ता भी अपनाने को मंजूरी दी थी. पिछले दिनों हेमंत सोरेन ने कैबिनेट बैठक में इसे लेकर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए थे.