दरभंगा: श्यामा मंदिर में भारी विरोध के बाद बहाल हुई बलि प्रथा

दरभंगा जिले का श्यामा मंदिर में पिछले दिनों लगी बलि प्रथा पर रोक को हटा दिया गया है. मंगलवार को समिति ने मीडिया के सामने इस बात को रखा है कि आस्था के अनुसार बलि दी जा सकती है.

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बलि प्रथा फिरसे बहाल

बलि प्रथा फिरसे बहाल

बिहार के दरभंगा जिले का श्यामा मंदिर काफी प्रसिद्ध है. इस मंदिर में बलि देने की परंपरा सदियों से चली आ रही थी, लेकिन कुछ दिनों पहले ही "बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद" ने श्याम मंदिर में बलि प्रथा पर रोक लगा दी थी. 

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इस फैसले के बाद से लगातार बिहार सरकार के खिलाफ विरोध तेज हो गया था. नीतीश सरकार पर हिन्दुओं की आस्था पर चोट पहुंचाने का इल्जाम लगाया जा रहा था, जिसके बाद इस फैसले को वापस ले लिया गया है. 

चलती रहेगी बलि प्रथा

समिति ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की इस बात की जानकारी दी है कि पहले से आ रही प्रथा से छेड़-छाड़ नहीं किया जाएगा. जिसकी जैसी श्रद्धा है वैसे ही श्रद्धा के अनुसार प्रथा चलती रहेगी. इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी. दरभंगा न्यास बोर्ड ने कहा कि इससे बलि प्रथा के समर्थकों या विरोधियों दोनों को ठेस नहीं पहुंचेगा. जिसे बलि देनी है वह दे सकता है.                                   न्यास समिति ने बलि प्रथा का ना तो समर्थन किया और ना ही विरोध किया है. हालांकि बलि प्रथा के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा और ना ही मंदिर की तरफ से किसी सहयोग राशि को दिया जाएगा.

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बलि पर गरमाई विपक्ष

श्याम मंदिर में बलि प्रथा पर रोक के पास है सियासत बहुत गरमा गई थी. भाजपा ने इसे सनातनी प्रहार बताया था. वही बजरंग दल भी बलि प्रथा पर रोक पर भड़क गया था. दल ने धार्मिक न्यास के अध्यक्ष को हटाने तक की मांग कर दी थी.

श्याम मंदिर में बलि प्रथा के रोक पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी अपने बयानों को दर्ज कराया था. केन्द्रीय मंत्री का कहना था कि पशु प्रेमियों की जुबान बकरीद पर क्यों नहीं खुलती है.                                                                            देश में सनातनी हिंदू की कई चीजों पर पूर्ण विचार करते हैं, कई जगहों पर बंद बलि प्रथा को लोगों के मांग पर पुनर्विचार करके फिर से शुरू किया जाता है. लोगों का कहना है की बलि प्रथा बंद होनी चाहिए. यह बंद करवाने वाले लोगों की जुबान बकरीद पर क्यों नहीं चलती. जो एनिमल लवर्स स्वच्छता की दुहाई देते हैं उनकी जुबान बकरीद पर क्यों चुप हो जाती है. उस दिन लाखों करोड़ों बकरे काटे जाते हैं. 

चिता पर बना काली मंदिर

श्यामा मंदिर राजा रामेश्वर की चिता पर बना है. इस मंदिर में तंत्र-मंत्र रहित पूजा भी की जाती है. महाराजा रामेश्वर सिंह के चिता पर बने इस काली मंदिर को 1933 में  महाराज कामेश्वर सिंह ने बनवाया था. मंदिर के गर्भ गृह में मां काली की प्रतिमा स्थापित की गई है. इस मंदिर को रामेश्वरी में मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर में मनोकामना पूर्ति के बाद पशु बलि की परंपरा बनी हुई थी.

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