विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार डायरिया रोग पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मौत का तीसरा सबसे प्रमुख कारण हैं. हर साल लगभग 44,3,832 बच्चों की मौत डायरिया के कारण हो जाती है. वहीं हर वर्ष पूरी दुनिया में बच्चों में दस्त रोग के 1.7 बिलियन मामले दर्ज किये जाते हैं.
बीते महीने लखीसराय जिले के हलसी प्रखंड के अंतर्गत आने वाला गांव ‘नोमा’ डायरिया की चपेट में था. गांव में ढाई सौ से अधिक घर हैं, जो अलग-अलग वार्ड में बंटा है. ग्रामीणों का कहना है कि अधिकांश घरों में डायरिया के लक्षण वाले मरीज़ थें. वहीं 70 से ज़्यादा मरीज़ों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था. लेकिन इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग की तरफ से गांव में कोई भी चिकित्सा सुविधा नहीं उपलब्ध कराई गयी.
WHO के अनुसार दुनिया भर में, 780 मिलियन व्यक्तियों के पास बेहतर पेयजल की सुविधा नहीं है और 2.5 बिलियन लोगों के पास बेहतर स्वच्छता की कमी है.
लेकिन भारत सरकार और बिहार सरकार राज्य स्वच्छ पेयजल पहुंचाने का दावा करती रही है. जल शक्ति मंत्रालय के हर घर नल का जल योजना के अनुसार बिहार के 96.08 फीसदी घरों में शुद्ध पानी के साधन पहुंचाए जा चुके हैं. लेकिन क्या केवल पाइपलाइन के माध्यम से पानी पहुंचना काफी है. क्या इसकी निगरानी नहीं होनी चाहिए की पानी साफ है या नही. पाइपलाइन का नियमित तौर पर रखरखाव हो रहा है या नहीं?