बकाया रॉयल्टी पर संग्राम, झारखंड सरकार ने कहा- जवाब नहीं तो रोक देंगे कोयला

झारखंड में बकाया रॉयल्टी पर संग्राम छिड़ गया है. सरकार ने कोल कंपनियां को 15 दिनों के भीतर जवाब देने का अल्टीमेट टाइम दिया है. अगर जवाब नहीं आया तो कोयला नहीं देने की बात भी कही है.

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बकाया रॉयल्टी पर संग्राम

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केंद्र सरकार और झारखंड सरकार के बीच रॉयल्टी को लेकर संग्राम छिड़ गया है. कोयला रॉयल्टी और राजस्व मद में झारखंड ने 1.36 लाख करोड़ रुपए का बकाया दावा किया है, जिसे केंद्र ने खारिज कर दिया. मांग खारिज होने के बाद हेमंत सरकार एक्शन में आ गई है. झारखंड सरकार ने कोल कंपनियां को 15 दिनों के भीतर जवाब देने का अल्टीमेट टाइम दिया है. अगर जवाब नहीं आया तो कोयला नहीं देने की बात भी कही है.

झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि कोयला और जमीन हमारी है, इसे हम लोग छोड़ने वाले नहीं है. उन्होंने कहा कि राजमहल से लेकर राजधनवार तक एक ढेला कोयला भी राज्य से बाहर नहीं जाएगा. कोल इंडिया के अधिकारी भी सुन ले कि यह पैसा आपका नहीं है, हम अपना हक और अधिकार लेना चाहते हैं. पहले बकाया देंगे तभी खदानों में फावड़ा चलेगा.

झामुमो के महासचिव ने आगे कहा कि भाजपा के सांसद गूंगे और बहरे हो गए हैं. पूरा का पूरा विस्थापन का दंश और पर्यावरण का नुकसान झारखंड झेले. हमारे जंगल कट गए, कई बीमारियां हुई. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर किस मद में कितना पैसा बकाया है, इसका ब्योरा दिया है. झारखंड के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्णय दिया है.

बकाया रॉयल्टी की लड़ाई में भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी भी कूद गए है. उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर झामुमो के बकाया राशि का जवाब देते हुए लिखा कि झामुमो हवा-हवाई बातें कर केंद्र सरकार पर 1.36 लाख करोड़ का बकाया रखने का निराधार और भ्रामक आरोप लगा रहा है.

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