चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश को पत्र लिखकर उस दावे के सबूत मांगे हैं जिसमें रमेश ने दावा किया कि गिनती से पहेल गृह मंत्री अमित शाह ने 150 कलेक्टर्स को फोन किया है. आयोग ने जयराम रमेश से मामले पर 3 जून शाम तक सबूत पेश करने को कहा है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसके लिए एक हफ्ते का समय मांगा था, जिसे चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया.
दरअसल, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शनिवार एक जून को सोशल मीडिया एक्स पर ट्वीट किया “निवर्तमान गृह मंत्री आज सुबह से ज़िला कलेक्टर्स से फ़ोन पर बात कर रहे हैं. अब तक 150 अफ़सरों से बात हो चुकी है. अफ़सरों को इस तरह से खुल्लमखुल्ला धमकाने की कोशिश निहायत ही शर्मनाक है एवं अस्वीकार्य है. याद रखिए कि लोकतंत्र जनादेश से चलता है, धमकियों से नहीं.
रमेश ने आगे कहा “जून 4 को जनादेश के अनुसार श्री नरेन्द्र मोदी, श्री अमित शाह व भाजपा सत्ता से बाहर होंगे एवं INDIA जनबंधन विजयी होगा. अफ़सरों को किसी प्रकार के दबाव में नहीं आना चाहिए व संविधान की रक्षा करनी चाहिए. वे निगरानी में हैं.”
चुनाव आयोग ने इसपर एक्शन लेते हुए रविवार 2 जून जयराम रमेश को पत्र लिखा था. आयोग ने 2 जून शाम सात बजे तक मामले से जुड़ी पूरी जानकारी देने को कहा. लेकिन जयराम रमेश ने कोई उत्तर नहीं दिया.
क्या है आयोग के पत्र में
सोमवार 3 जून को लिखे पत्र में आयोग ने एक बार फिर कांग्रेस नेता को आज शाम सात बजे तक का समय दिया है. आयोग ने कहा “आपके आरोप से 4 जून को होने वाली काउंटिंग पर सवाल उठते हैं. आयोग ने आगे कहा अबतक किसी भी डीएम ने ऐसी किसी घटना का जिक्र नहीं किया. ऐसे में जवाब दाखिल करने के लिए आपको सात दिन का समय नहीं दिया जा सकता.
साथ ही आपको आदेश दिया जाता है कि आज शाम (3 जून) 7 बजे तक तथ्यों के साथ जवाब दाखिल करें. आयोग ने आगे कार्रवाई की बात करते हुए कहा “अगर आज शाम तक जवाब दाखिल नहीं हुआ तो मान लिया जाएगा कि आपके पास बताने को कुछ नहीं है. साथ ही आयोग आगे की कार्रवाई करेगा.
वहीं जयराम रमेश ने रविवार को प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि “कांग्रेस इलेक्शन कमिशन का सम्मान करती है. लेकिन अब यह संस्था जिस तरह से काम करती है उसपर भरोसा नहीं किया जा सकता. आयोग संवैधानिक संस्था है, इसे निष्पक्ष होना चाहिए.