बिहार में बीते 8 सालों से शराबबंदी कानून लागू है. नीतीश कुमार शराब के सख्त खिलाफ है. कई मौकों पर उन्होंने शराब और नशे को लेकर लोगों को जागरुक भी किया है. लेकिन उनके पुराने सहयोगी और अब विरोधी दल के नेता शराबबंदी कानून से परे हैं.
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने ऐलान किया है कि राज्य में अगर उनकी सरकार बनी है तो वह शराबबंदी को पूरी तरह से खत्म कर देंगे. पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य में शराबबंदी को फेल बताया है.
शनिवार को मीडिया से बात करते हुए मांझी ने कहा कि अगर बिहार में एनडीए की सरकार बनती है, तो शराब बंदी कानून को खत्म कर दिया जाएगा और पूरी तरह से छूट दी जाएगी.
2005 और 2010 में नीतीश की सरकार ने गांव-गांव में शराब बेचने के लिए लाइसेंस
मांझी ने कहा है कि शराब बंदी के कारण अनुसूचित जाति के अधिकांश गरीब और दलित लोग जेल में है. शराब बेचने और लाने के आरोप में जितने भी जेल में बंद कैदी हैं उनमें 80% दलित और गरीब तबके के लोग हैं. शराबबंदी कानून को वापस लिया जाना चाहिए. हम घोषणा कर रहे हैं कि अगर आगे के दिनों में एनडीए की सरकार आएगी तो या गुजरात मॉडल मध्य निषेध कानून लाएंगे या पूरी तरीके से पाबंदी हटा देंगे.
एनडीए के साथ मिलकर अपनी सरकार चला रहे हैं हम के अध्यक्ष ने यहां नीतीश सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली. 2005 और 2010 में नीतीश कुमार की सरकार ने गांव-गांव में शराब बेचने का लाइसेंस दिया था. बाद मैंने पता नहीं कहां से एहसास हुआ और इन्होंने पूर्ण शराबबंदी कर दी. पहले भी सभी शराब पी रहे थे और आज भी आसानी से लोगों के पास शराब पहुंच जाती है.
नीतीश कुमार के साथ रहते हुए भी मांझी ने कई बार शराब बंदी पर छूट देने की मांग की थी.