बिहार में बढ़ रहे पत्रकार हत्या के मामले

बिहार में पत्रकारों की हत्या की ख़बर कोई नई बात नहीं है. बिना किसी सुरक्षा इंतज़ाम के स्थानीय पत्रकार जोखिम उठाकर शराब, बालू या इन जैसी दूसरी मुनाफ़ाखोरी वाले व्यवसायों में हो रही धांधली की रिपोर्टिंग करते हैं.

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बिहार में पत्रकार हत्या

बिहार में पत्रकार हत्या

किसान आंदोलन, सीएए कानून विरोध और दिल्ली दंगों की रिपोर्टिंग के दौरान कई संस्थानों के पत्रकार पर मुकदमे दर्ज किये गए और कईयों को गिरफ्तार भी किया गया था. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने साल 2021 में 37 नेताओं की लिस्ट जारी की थी जो मीडिया पर अंकुश लगा रहे थे उनमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे.

बिहार में पत्रकारों की हत्या की ख़बर कोई नई बात नहीं है. बिना किसी सुरक्षा इंतज़ाम के स्थानीय पत्रकार जोखिम उठाकर शराब, बालू या इन जैसी दूसरी मुनाफ़ाखोरी वाले व्यवसायों में हो रही धांधली की रिपोर्टिंग करते हैं. लगातार रिपोर्ट्स बनाने के कारण ये पत्रकार इन माफ़िया संचालकों की नज़र में आ जाते हैं. राज्य के ग्रामीण पत्रकारों पर होने वाले हमले पिछले 10 सालों में काफ़ी बढ़े हैं. लेकिन ग्रामीण पत्रकारों पर हमले की ख़बरें अक्सर दब जाती है. 

इसी वर्ष 26 जून को मुज़फ्फ़रपुर जिले के माड़ीपुर चौक क्षेत्र में एक 40 वर्षीय पत्रकार शिव शंकर झा की गला रेतकर हत्या कर दी. हत्या के पीछे शराब माफ़िया का हाथ बताया जा रहा है. हालांकि पुलिस इस हत्या के पीछे पैसे की लेनदेन और शराब माफ़िया दोनों एंगल से जांच कर रही है.

यह पहली बार नहीं था जब शराब माफ़िया ने किसी पत्रकार की हत्या की हो. मई 2022 में बेगूसराय जिले के बखरी प्रखंड में एक 26 वर्षीय युवा पत्रकार सुभाष कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. इस हत्याकांड के पीछे भी शराब माफ़िया का हाथ बताया गया था.

पूरा लेख पढ़ें- बिहार: पत्रकार हत्या के मामले बढ़ें, ग्रामीण पत्रकारों की सुरक्षा नदारद

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