गया में 17 दिनों तक लगने वाले पितृ पक्ष मेले का 14 अक्टूबर, शनिवार को आखिरी दिन है. इस बार का पितृ पक्ष मेला कई चीजों के लिए याद किया जाएगा। इस साल उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर और कई विदेशी नागरिक भी पितृ पक्ष मेले में पिंडदान करने के लिए शामिल हुए.
प्रतिदिन हजारों लोग पिंडदान करने के लिए उपस्थित होते थे. देश-विदेश में प्रसिद्ध इस मेले में अपने पूर्वजों को पिंडदान करने की परंपरा है.
पितृ पक्ष के 14वें दिन फल्गु नदी के तट पर दीपदान
अमावस्या के मौके पर बड़ी संख्या में लोग फल्गु नदी पर तर्पण करने पहुंचे हैं. ये सभी लोग अपने पूर्वजों के पिंडदान और उनकी आत्मा की शांति के लिए यहां आ रहे हैं. पितृ पक्ष के 14वें दिन फल्गु नदी के तट पर दीपदान महोत्सव मनाया जाता है. जो लोग अपने पितरों को तर्पण देते हैं वे अपने पितरों के लिए 108, 500 या 1000 दीपक भी जलाते हैं. इस दिन को पितरों की दिवाली के रूप में मनाया जाता है.
ऐसा माना जाता है कि जो लोग 17 दिनों के इस पितृ पक्ष में अपने पितरों को पिंडदान नहीं करते हैं. अंतिम दिन दान करके वह अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं।
धार्मिक नगरी गया में हर साल पितृ पक्ष मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें देश-विदेश से लाखों लोग अपने पितरों को पिंडदान करने आते हैं.