विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आरक्षण संशोधन विधेयक पेश किया गया था, जिसे दोनों सदनों से पारित कर दिया गया. सीएम नीतीश कुमार ने 7 नवंबर को विधानसभा में इसकी घोषण की थी कि बिहार में आरक्षण का दायरा बढाया जाता है. पिछड़ी, अति पिछड़ी, SC और ST समुदायों को मिलने वाले 50% आरक्षण को बढ़ाकर 65% किया गया.
बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाकर अब 75%(75% reservation) कर दिया गया है. पहले से चले आ रहे 60% आरक्षण के दायरे में 15% की बढ़ोतरी की गयी है. आरक्षण के दायरे में आने वाली प्रत्येक सुविधाओं में अब इसका लाभ SC, ST, EBC और OBC quota को दिया जाएगा.
नए प्रावधान के बाद अनुसूचित जाति (SC) को 16% से बढ़ाकर 20%, अनुसूचित जनजाति को 1% से बढ़ाकर 2%, ओबीसी का आरक्षण 18% से बढ़ाकर 25% तो ईबीसी का 12% से बढ़ाकर 18% किया गया है. जिसके साथ पीछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग को मिल रहे 30% आरक्षण बढ़कर 43% हो गया है. इसमें OBC महिलाओं को मिलने वाला अतिरिक्त 3% भी शामिल हैं. वहीं, EWS वर्ग को पहले की तरह ही 10% आरक्षण देने का प्रावधान लागू रहेगा.
साल 1993 में इंदिरा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच के फैसले के बाद यह तय किया गया था कि आरक्षण होना तो चाहिए, लेकिन इसकी सीमा 50% से ज्यादा न हो. इसी तरह से जाट और गुर्जर समुदाय को अलग से दिए गए आरक्षण पर भी सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दिया था.
अब मुद्दा यह कि बिहार में चुनाव सर पर है, जिस वर्ग को साधने के लिए सरकार ने आरक्षण का दायरा बढाया है क्या वह चुनाव में सरकार को मनमाना फल देगी?