लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद बिहार एनडीए में सीटों का बंटवारा हुआ. इस बंटवारे में गया कि लोकसभा सीट जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा(हम) को दी गई है. गया लोकसभा सीट 1967 से ही सबसे ज्यादा सुरक्षित सीट रही है. भाजपा का भी इस सीट पर काफी वर्चस्व देखा गया है.
हम पार्टी के खाते में गया सीट जाने के बाद मांझी के लिए यह चुनौती है कि वह इस सीट पर कैसे जीत हासिल करेंगे. दरअसल 2014 के लोकसभा चुनाव में जदयू ने मांझी को उम्मीदवार द्वारा बनाया था, हालांकि वह उस चुनाव में हार गए थे. 2014 के चुनाव में भाजपा के हरि मांझी ने जीतन राम मांझी को गया सीट पर मात दी थी. उसके बाद 2019 में जदयू से विजय मांझी को उम्मीदवार बनाया गया और उन्होंने जीतन राम मांझी को करारी हार दी थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में हम पार्टी ने राजद पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था.
लोकसभा सीटों के लिए पहले चरण का मतदान गया में 19 अप्रैल को
पिछले चुनाव में जदयू प्रत्याशी विजय मांझी को 4,67,007 वोट हासिल हुए थे, वही मांझी की पार्टी हम को 3,14,581 वोट मिले थे. यानी मांझी को करीब 1 लाख वोटों से शिकस्त मिली थी.
गया में चौधरी, मांझी उम्मीदवार ही सीट पर बने रहे. आजादी के बाद गया लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने पांच बार जीत हासिल की, हालांकि 1984 के चुनाव के बाद कांग्रेस की धाक इस सीट पर नहीं बन पाई. 1952 से 2019 तक गया सीट 6 बार कांग्रेस, एक बार प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी, एक बार जनसंघ, एक बार जनता पार्टी, 4 बार जनता दल, एक बार राजद, 4 बार भाजपा और एक बार जदयू ने जीत हासिल की है.
19 अप्रैल को गया लोकसभा सीट पर पहले चरण में वोटिंग होगी, जिसमें 18,130,183 मतदाता उम्मीदवार मांझी की पार्टी की किस्मत तय करेंगे. गया लोकसभा सीट में पुरुष वोटरों की संख्या 9,42,188 और महिला वोटरों की संख्या 8,70,974 है.
ज्ञान की इस धरती पर नक्सलियों का भी काफ़ी प्रभाव रहा है. इसके अलावा गया में पितरों के मोक्ष, सेना के ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी मौजूद है. गया संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट है.