झारखंड में नगर निकायों का चुनाव नहीं होने से राज्य सरकार को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. चुनाव में देरी के कारण वित्त आयोग की अनुशंसा पर केंद्र सरकार ने राज्य को दिए जाने वाले अनुदान पर रोक लग गई है. शहरी निकायों के विकास के लिए आयोग से लगभग 1600 करोड़ रुपए पर हेमंत सरकार का दावा है. सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर सहायता राशि से वंचित नहीं करने का आग्रह किया है. राज्य सरकार ने ट्रिपल टेस्ट कराने के बाद चुनाव कराने की बात करते हुए राशि आवंटित करने का अनुरोध किया है.
झारखंड में शहरी विकास, शहरों की नागरिक सुविधाएं विकसित करने और संशोधन बढ़ाने के लिए नगर निकायों के लिए 2020 से 13 नगर निकायों में चुनाव नहीं हुए हैं. इसके अलावा 35 अन्य शहरी निकायों का कार्यकाल मार्च-अप्रैल 2023 में खत्म हो गया है. संविधान के 74वें संशोधन के तहत निकाय चुनाव आयोजित ना होना स्थानीय निकायों को कमजोर करने के समान माना गया है.
झारखंड सरकार ओबीसी को आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया पूरा करना चाहती है. लेकिन ओबीसी समुदाय के बिना भी चुनाव आयोजित हो सकते हैं. मगर इससे ओबीसी वर्ग की नाराजगी का डर है. ट्रिपल टेस्ट की जिम्मेदारी झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की है. आयोग के अध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद के मंत्री बनने के बाद से अध्यक्ष का पद खाली हो गया है. जिससे यह प्रक्रिया अटक गई है.
बता दें कि जनवरी 2023 में हाईकोर्ट ने तीन हफ्ते के अंदर चुनाव आयोजित करने का आदेश दिया था. लेकिन सरकार ने हलफनामा देकर बताया कि ट्रिपल टेस्ट के बाद ही चुनाव संभव है. हालांकि निकाय चुनाव की तैयारी राज्य निर्वाचन आयोग ने पूरी कर ली थी. इसके लिए बूथों का गठन, सुरक्षा बलों की आवश्यकता, ईवीएम मशीन और स्याही का भी इंतजाम हो चुका था.