बिहार में आने वाले दिनों में चुनावी मौसम छाने वाला है. चुनाव को देखते हुए राज्य में सभी पार्टियां अपनी-अपनी तैयारीयों में लगी हुई है. कहीं भाजपा, पार्टी में यादवों को शामिल करने में लगी हुई है तो कहीं महागठबंधन की सरकार राहुल गांधी के गठबंधन में चौड़ी हो कर घूम रही है.
हालांकि जदयू और राजद की सरकार भले ही इंडिया गठबंधन के साथ मिली हुई हो लेकिन वह अपना राज्य में अपना चुनावी पत्ता फेंकने में पीछे नहीं है. चुनावी मौसम को देखते हुए नीतीश कुमार ने एक बार फिर से अपना वही पुराना विशेष राज्य का दर्जे की मांग केंद्र से कर डाली है.
केंद्र सरकार के खिलाफ यात्रा
पटना के बापू सभागार में युवा उद्यमियों के बीच आज पहली किस्त देने पहुंचे नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से विशेष राज्य के दर्जे की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि अगर केंद्र सरकार विशेष राज्य का दर्जा नहीं देती है तो वह इसके खिलाफ आंदोलन शुरू करेंगे. आने वाले दिनों में विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर वह यात्रा पर भी निकलेंगे.
2022 तक एनडीए की सरकार के साथ रहने वाले नीतीश कुमार ने भाजपा से राज्य को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिलवाया. वहीं अब उससे अलग होकर एक बार फिर से उन्होंने इसकी मांग तेज कर दी है.
राज्य के पास विकास के पैसे नहीं
नीतीश कुमार ने गुरुवार को केंद्र सरकार से यह मांग की है कि अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलता है तो 2 सालों के अंदर ही राज्य काफी विकसित हो जाएगा. कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि केंद्र में जो योजनाएं बनती हैं उसका पैसा राज्यों से वसूला जाता है. केंद्र के बने हुए योजना का राज्य को कोई फायदा नहीं हो पता है. राज्य सरकार को केन्द्रीय योजनों में 40 प्रतिशत खर्च करना पड़ता है. अगर विशेष राज्य का दर्जा मिलता है तो उस पैसे का इस्तेमाल राज्य के विकास में किया जाएगा.