इस लोकसभा चुनाव में बिहार की जनता अपने प्रत्याशियों से नाखुश नजर आई. राज्य की ज्यादातर लोकसभा सीट पर नतीजे चौंकाने वाले रहे, तो वही इस बार वोटिंग प्रतिशत में भी चुनाव आयोग को चौका दिया. दरअसल इस चुनाव में लोगों की भागीदारी बिहार से बहुत कम रही. सबसे कम मतदान करने वाले राज्यों में शुमार बिहार पूरे देश में सबसे अधिक मतदाताओं के नोटा बटन दबाने पर भी अग्रसर रहा. बिहार के लोगों ने अपने प्रत्याशियों से नाराज होकर भारी संख्या में नोटा पर वोट डालें. 36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में वोटरों ने सबसे अधिक 2.10% बिहार में ही नोटा बटन दबाया और सबसे कम नागालैंड में 0.20% लोगों ने नोटा दबाया.
वोटिंग के मामले में पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश भी पीछे रहा, लेकिन यहां वोटरों ने नोटा पर वोट देने में दिलचस्पी नहीं दिखाई बल्कि प्रत्याशियों पर वोट लुटाए. उत्तर प्रदेश में 0.71% लोगों ने नोटा बटन दबाया. सबसे ज्यादा वोट देने के मामले में पश्चिम बंगाल टॉपर रहा.
नोटा बटन दबाने वाले टॉप 10 राज्यों में बिहार, दादर और नगर हवेली, गुजरात, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, उड़ीसा, असम, गोवा, आंध्र प्रदेश और झारखंड रहा. मध्य प्रदेश की इंदौर सीट पर नोटा वोट की चर्चा गिनती के दौरान ही शुरू होने लगी थी. दरअसल यहां से जीतने वाले भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी को छोड़कर चुनावी मैदान में खड़े अन्य सभी 13 उम्मीदवारों को वोट नहीं मिले. लोगों ने 13 उम्मीदवारों को वोट न देकर नोटा बटन का इस्तेमाल किया. भाजपा उम्मीदवार को यहां 12 लाख 26 हजार से अधिक वोट मिले, जबकि नोटा पर 2 लाख 18 हजार से ज्यादा लोगों ने वोट दिया.
इस लोकसभा चुनाव में राज्य में कुल मतदाताओं की संख्या 7 करोड़ 56 लाख के आसपास रही, जिसमें 56.19% लोगों ने मतदान किया. बिहार के 40 लोकसभा सीटों पर कुल 497 प्रत्याशी इस बार मैदान में खड़े थे.