केजरीवाल की गिरफ़्तारी पर UN के प्रवक्ता कि टिप्पणी पर, विदेश मंत्री का पलटवार, कहा-हमें बताने की जरुरत नहीं

UN जनरल सेक्रेटरी के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने मीडिया केजरीवाल की गिरफ़्तारी पर टिप्पणी किया था. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है भारत में निष्पक्ष चुनाव को लेकर UN को चिंता करने की जरुरत नहीं है.

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केजरीवाल की गिरफ़्तारी पर UN Dr. S Jayshankar

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी पर UN जनरल सेक्रेटरी के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने मीडिया में टिप्पणी किया था. स्टीफन ने मीडिया के सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था “हम उम्मीद करते हैं कि भारत में सभी के अधिकारों की रक्षा की जाएगी. भारत में चुनाव का समय है, ऐसे में सभी नागरिकों को निष्पक्ष माहौल में वोट डालने का मौका मिलना चाहिए.”

अब विदेश मंत्री एस जयशंकर (S.Jayshankar) ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है भारत में निष्पक्ष चुनाव को लेकर UN को चिंता करने की जरुरत नहीं है. दरअसल, विदेश मंत्री एस जयशकंर केरल के तिरुवनंतपुरम में भाजपा के उम्मीदवार राजीव चंद्रशेखर के लिए प्रचार करने पहुंचे थे.

इसी दौरान उन्होंने कहा "किसी भी ग्लोबल बॉडी को हमें यह बताने की जरूरत नहीं है कि भारत में चुनाव कैसे होना चाहिए. मेरे साथ भारत के लोग हैं. भारत के लोग यह सुनिश्चित करेंगे कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हों। इसलिए, इसके बारे में चिंता न करें.”

अमेरिका और जर्मनी भी जता चुके हैं चिंता

वर्तमान राजनीतिक माहौल पर UN समेत अमेरिका और जर्मनी ने भी चिंता जाहिर की है. बीते 29 मार्च को UN प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद भारत में बने सियासी माहौल पर सवाल किया गया था. इसके जवाब में स्टीफन ने निष्पक्ष चुनाव कराए जाने की बात कही थी.

केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की गिरफ़्तारी के बाद विदेशी मीडिया ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी थी. कतर के मीडिया हाउस अलजजीरा ने केजरीवाल की गिरफ्तारी पर लिखा था 'मरा हुआ लोकतंत्र' क्या केजरीवाल की गिरफ्तारी भारत के विपक्ष को एकजुट कर पाएगी?

अलजजीरा ने आर्टिकल में लिखा था- केजरीवाल की गिरफ्तारी से भारत की राजधानी संवैधानिक संकट में फंस गई है. मोदी के सत्ता में आने के बाद CBI और ED के दायर किए गए 95% मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ हैं.

इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था "भारत की चुनावी और कानूनी प्रक्रिया पर किसी दूसरे देश की टिप्पणियां स्वीकार नहीं की जाएंगी. भारत में चुनावी प्रक्रिया कानून के शासन के हिसाब से चलती है. किसी भी सहयोगी देश, खासकर जो खुद लोकतांत्रिक है, उसे इस प्रक्रिया का सम्मान करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए."

भारत में प्रेस की स्वतंत्रता (Press Freedom) में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. ब्रिटिश अखबार द इकोनॉमिस्ट ने 167 देशों में लोकतंत्र की रैंकिंग को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. इसमें 167 देशों को 4 कैटेगरी में बांटा गया है. पूर्ण लोकतंत्र, खामियों वाला लोकतंत्र और अथॉरिटेरियन रेजीम यानि जहां तानाशाह जैसा व्यवहार करती है. वहीं चौथी कैटेगरी हाइब्रिड रेजीम की है, यानी वो देश जहां पूरी तरह से न लोकतंत्र है और न ही तानाशाही. इस लिस्ट में भारत को 7.18 स्कोर के साथ 41वीं रैंकिंग मिली है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कुछ खामियों के साथ लोकतंत्र मौजूद है.

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