बिहार में हुए जातीय गणना पर काफी राजनीति हो चुकी है. राजनीतिक पार्टियों की तरफ़ से बार-बार यह इल्जाम लगाया जा चुका है की जातीय गणना पूरी तरह से गलत है. नीतीश सरकार पर आरोप है कि उन्होंने जातीय गणना में हड़बड़ी दिखाते हुए कई घरों और परिवारों को इसमें छोड़ दिया है.
जातीय गणना पर सवाल उठाने के लिए अब केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस भी सामने आए हैं. उन्होंने जाती आधारित सर्वे पर का पूरी तरह से विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि जिस तरह से राज्य में सर्वे हुआ है उसे आप जनगणना कहते हैं? लेकिन मैं जिस पंचायत में रहता हूं वहां कोई नहीं गया, तो कैसे मान लिया जाए की सर्वे कराया गया है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि टीम उनके घर पर गणना करने नहीं आई है. ऐसे में सरकार को एक बार फिर से जातीय गणना करानी चाहिए और फिर उसी के आधार पर आरक्षण दिया जाना चाहिए.
पशुपति पारस गुरुवार को हाजीपुर के दौलतपुर देवरिया पंचायत में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे थे. जहां पर उन्होंने जातीय गणना पर सवाल उठाया और सरकार को एक बार फिर से इसे कराने को कहा है.
केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने कहा है कि सचिवालय या मंत्रालय में बैठकर रिपोर्ट तैयार नहीं की जाती है. सरकार ने सर्वे में जो जाती उनके खिलाफ मतदान करती है, उनकी संख्या घटकर दिखाई है. और जाती सरकार के पक्ष में वोट करती है उन्हें बहुमत में दिखाया गया है.
हालांकि केंद्रीय मंत्री ने बिहार सरकार के आरक्षण पर पूरा समर्थन दिया था. लेकिन इसके साथ अब उन्होंने जातीय सर्वे पर सवाल खड़ा किया है.