पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी में जब्त नकदी लौटाने का दिया आदेश

हाईकोर्ट ने बिहार में लागू शराबबंदी कानून की धारा 58 के तहत नकद राशि जब्त करने पर रोक लगा दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने जब्त गाड़ियों को बेचने के मामले में अधिकारियों पर 11 लाख का जुर्माना लगाया है.

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शराबबंदी में जब्त नकदी

शराबबंदी में जब्त नकदी

पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी मामले में दो महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने बिहार में लागू शराबबंदी कानून की धारा 58 के तहत नकद राशि जब्त करने पर रोक लगा दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने जब्त गाड़ियों को बेचने के मामले में अधिकारियों पर 11 लाख का जुर्माना लगाया है.

जस्टिस पीबी बजन्थरी और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र मालवीय की खंडपीठ ने बृजलाल यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए जब्त नकदी को वापस करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने जमानत बांड पर जब्त राशि को वापस करने के लिए कहा है. बृजलाल यादव ने शराबबंदी कानून को लेकर हाईकोर्ट ने याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि शराबबंदी कानून के तहत उनसे जबरन नगद रुपए जब्त किए गए. जबकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. इस पर कोर्ट ने कहा कि इस धारा के तहत अधिकारी को आरोपी के पास से मिले किसी भी पैसे को जब्त करने का अधिकार नहीं है. 

हाईकोर्ट ने जब्ती के आदेश को अवैध करार दिया है और जहानाबाद के काको थाना में दर्ज एक मामले में जब्त 2,24,200 को आवेदक को वापस करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि शराबबंदी कानून की धारा 58 के तहत नगद जब्ती का कोई प्रावधान नहीं है.

वहीं दूसरे मामले में चोरी के स्कॉर्पियो को शराबबंदी कानून के तहत अवैध रूप से जब्त करने के मामले में राज्य सरकार के अधिकारी दोषी पाए गए हैं. जिन पर हाईकोर्ट ने 11 लाख का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राशि दोषी अधिकारियों की जेब से वसूल की जाएगी.

जस्टिस पीबी बजन्थरीऔर जस्टिस एसबीपी सिंह की खंडपीठ ने सद्दाम हुसैन की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया. अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता की स्कॉर्पियो गाड़ी 9 जून 2022 को बिहिटा से गायब हो गई थी. जिसकी शिकायत बिहिटा थाने में दर्ज कराई गई थी. 28 जून 2022 को गोपालगंज से स्कॉर्पियो को शराबबंदी कानून के तहत जब्त तक किया गया था. लेकिन अधिकारियों की मिली भगत से उक्त गाड़ी को 3.10 लाख में भोरे थाना के थाना अध्यक्ष के भांजे के नाम पर नीलाम कर दी गई.

हाईकोर्ट ने इस मामले में हैरानी जताते हुए कहा कि गाड़ी जब्त करने वाले अधिकारी ने बगैर सत्यापन किए हुए कि गाड़ी चोरी की भी हो सकती है, कैसे दूसरा मामला दर्ज कर लिया. कोर्ट ने कहा कि नीलामी में सरकार द्वारा वसूले गए 3 लाख की राशि शेष सात लाख की राशि दोषी अधिकारियों से वसूल कर याचिकाकर्ता को दी जाए.

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