रविवार 19 मई को पुणे में तेज रफ़्तार पोर्श कार (Porsche car) ने बाइक में टक्कर मार दी. इस टक्कर में दो IT इंजीनियर्स युवक-युवती की मौत हो गयी है. टक्कर मारने वाला कार चालक एक 12वीं पास 17 साल का युवक था. घटना के बाद नाटकीय रूप से नाबालिग लड़के को जुबेनाइल बोर्ड ने 15 घंटों के अन्दर कुछ सामान्य शर्तों के साथ जमानत दे दिया था.
वहीं 21 मई को आरोपी नाबालिग लड़के के पिता विशाल अग्रवाल को छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) से गिरफ्तार किया गया था. इसके अलावा जिस पब में आरोपी युवक ने शराब पी थी उसके मालिक और मैनेजर को भी गिरफ्तार किया गया था.
घटना के तीन दिनों बाद 23 मई को आरोपी युवक के दादा सुरेंद्र अग्रवाल ने दावा किया था कि घटना के वक्त कार फैमिली ड्राइवर चला रहा था. आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल ने भी यही बात कही थी. पुलिस की पूछताछ में ड्राइवर ने भी गाड़ी चलाने की बात कबूल की थी. लेकिन बाद में वह अपनी बात से मुकर गया. ड्राइवर ने सुरेंद्र अग्रवाल पर उसे बंधक बनाने और जबरन फंसाने का आरोप लगाया. ड्राइवर की शिकायत पर पुलिस ने IPC की धारा 365 और 368 के तहत मामला दर्ज किया है.
पुलिस ने शनिवार 25 मई को सुरेंद्र अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया है. सुरेंद्र पर फैमिली ड्राइवर को बंधक बनाने का आरोप लगा है. पुलिस के अनुसार सुरेन्द्र अग्रवाल ने 18-19 मई की रात नाबालिग को बचाने के लिए ड्राईवर को फंसाने की प्लानिंग की थी.
ड्राइवर ने लगाया आरोप
पुलिस को बाद में दिए बयान में ड्राइवर ने बताया कि घटना के तुरंत बाद सुरेंद्र अग्रवाल ने फोन किया. जबरन अपनी कार में बिठाकर अपने घर ले गये. यहां 19-20 मई तक बंधक बनाकर रखा. इस दौरान इल्जाम अपने सर लेने को कहा. साथ ही इसके बदले पैसे देने का भी लालच दिया. अग्रवाल फैमिली ने ड्राइवर को धमकी भी दी कि घटना के बारे में किसी को कुछ नहीं बताना.
शनिवार 25 मई को पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि ड्राइवर ने शुरुआत में कहा था कि कार वही चला रहा था. लेकिन बाद में पुष्टि हुई है कि कार नाबालिग ही चला रहा था. पुलिस कमिश्नर ने इस मामले में दोपुलिस अधिकारीयों को भी निलंबित किया है. आरोप हा कि दोनों ने घटना कि जानकारी कंट्रोल रूम को नहीं दिया और ना ही नाबालिग को मेडिकल जांच के लिए ले गये.