सरना धर्म भारतीय धर्म परम्परा का ही एक आदि धर्म और जीवनपद्धति है. इस धर्म के अनुयायी बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, असम और महाराष्ट्र में पाए जाते हैं. भारत के अलावा नेपाल, भूटान, बांग्लादेश में भी पाए जाते हैं. परन्तु अलग-अलग राज्यों में इस धर्म को अलग-अलग नाम से जानते हैं. सरना धर्म में पेड़, पौधे, पहाड़ इत्यादि प्राकृतिक सम्पदा की पूजा की जाती है. जब आदिवासी आदिकाल में जंगलों में होते थे, उस समय प्रकृति के सारे गुण और सारे नियम को समझते थे और सब प्रकृति के नियम पर चलते थे. उस समय से आदिवासी में जो पूजा पद्धति व परम्परा विद्यमान थी वही आज भी विद्यमान है.
सरना धर्म का मूल आधार प्रकृति की पूजा है. सरना धर्म के अनुयायी प्रकृति में रहने वाले सभी प्राणियों को ईश्वर का रूप मानते हैं. वे सूर्य, चंद्रमा, तारे, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, पेड़-पौधे, जानवरों, और मनुष्यों को ईश्वर के रूप में पूजते हैं. जाहेरथान या जाहेरगार इनके पूजा स्थल है, और यह गांवों में पाया जाता है.
2011 DETAILS OF RELIGIOUS COMMUNITY SHOWN UNDER 'OTHER RELIGIONS AND PERSUASIONS' IN MAIN TABLE के रिपोर्ट के अनुसार सरना धर्म को मानने वालों की संख्या 49,57,467 है. झारखण्ड - 42,23,500 (अनुमानित), उड़ीसा - 5,00,000 से 10,00,000 (अनुमानित) असम 10,00,000 से 15,00,000 (अनुमानित), बिहार - 13,49,460 (अनुमानित) है.