राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है. राज्यपाल विश्वनाथ आर्लेकर और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के बीच का टेंशन सरेआम अब जाहिर हो रहा है. सोमवार को केके पाठक को राज्यपाल ने सुबह 10:00 बजे राजभवन बुलाया था, लेकिन दूसरे बुलावे पर भी केके पाठक नहीं पहुंचे. सोमवार को राज्यपाल लगभग 30 मिनट अपर मुख्य सचिव का इंतजार करते रहे, लेकिन जब वह नहीं पहुंचे तो राज्यपाल कार्यक्रम के लिए रवाना हो गए.
इसके पहले 9 अप्रैल को भी कुलपतियों के बैठक में केके पाठक नहीं पहुंचे थे, जिसके बाद राज्यपाल ने इस पर खेद जारी किया था. 12 अप्रैल को केके पाठक को आपत्ति जताते हुए राजभवन की तरफ से पत्र लिखा गया था.
शिक्षा विभाग को पत्र जारी कर वीसी की बैठक में शामिल होने का आदेश दिया गया था. इसके बाद केक पाठक ने राज्य विधायिका द्वितीय अधिनियम धारा 7 का जिक्र करते हुए कहा है कि इस धारा के तहत चांसलर, कुलपति, रजिस्टर्ड जैसे अन्य पदाधिकारी के साथ-साथ यूनिवर्सिटी का एक अधिकारी होता है.
उसके बाद केके पाठक ने राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्यू से सवाल पूछा कि क्या आपने राज्यपाल के आदेश से मुझे अवगत कराया है?
राजभवन और केके पाठक का यह पूरा मामला फरवरी से ही चल रहा है. केके पाठक ने फरवरी और मार्च में यूनिवर्सिटी की बैठक बुलाई थी, जिसमें वीसी समेत अन्य पदाधिकारियों को बुलाया गया था. मगर कोई भी वीसी बैठक में शामिल नहीं हुए थे. उसके बाद केके पाठक ने कुलपतियों के वेतन और विश्वविद्यालय के खाते पर रोक लगा दी थी.
दरअसल राज्यपाल ने वीसी को बैठक में जाने की अनुमति नहीं दी थी. इसके बाद से ही दोनों के बीच टेंशन शुरू हो गई. आज भी केके पाठक राज्यपाल के बुलावे पर नहीं पहुंचे, अब देखना होगा की राजभवन की तरफ़ से क्या एक्शन अपर मुख्य सचिव के खिलाफ लिया जाता है.