बेघरों को आवास देने के उद्देश्य से ही सरकार ने पीएम आवास योजना की शुरुआत की थी. पीएम आवास योजना (PMAY) गरीबों को किफायती आवास देने के लिए भारत सरकार की एक पहल है. मूलरूप से इसे 1985 में “इंदिरा आवास योजना” के रूप में लॉन्च किया गया था, जिसे 2015 में पीएम ग्रामीण आवास योजना में बदल दिया गया. योजना के पहले चरण में सरकार ने साल 2022 तक बेघरों को आवास देने का लक्ष्य रखा था जिसे बाद में 2024 तक के लिए बढ़ा दिया.
पीएम आवास योजना के तहत सरकार ने मार्च 2024 तक बुनियादी सुविधाओं के साथ 2.95 करोड़ पक्के मकान बनाने का लक्ष्य तय रखा गया है. इस लक्ष्य के विरुद्ध विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अबतक 2.53 करोड़ घर बनाए जा चुके है.
हालांकि आंकड़ों से इतर आज भी लाखों लोग सड़कों पर अपना जीवन गुजारने को मजबूर हैं. एक तरफ जहां प्रधानमंत्री ने आवास देते हुए कहा कि महिलाएं अपने घर की मालकिन बनेगी. लेकिन उन महिलाओं का क्या जो आज भी सड़कों पर रह रही हैं? क्या उन्हें सिर पर छत और सुरक्षा नहीं चाहिए?
बिहार में 37,03,355 आवास बनाने का लक्ष्य रखा है. जिसे बाद में कम कर 37,01,677 कर दिया गया. उपलब्ध आकडे कहते हैं है कि लक्ष्य का लगभग 99% यानि 36,43,920 बनाकर कर लोगों को दे दिया गया है. अगर राज्य में शहरी बेघरों की बात की जाए शहरी बेघरों के लिए 3,24,996 घर को स्वीकृति मिली है. जिसमें 8 जनवरी 2024 तक 1,16,439 घर बनाए जा चुके हैं. वहीं राजधानी पटना में 9,070 घर बनाये जाने की स्वीकृति मिली थी जिसमें से अबतक 6,067 घर बनाये जा चुके हैं.
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