लगभग 2500 किलोमीटर लंबी गंगा भारत की सबसे बड़ी नदी होने के साथ-साथ सबसे अधिक प्रदूषित नदी भी बन गई है.
साल 2014 में भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से वादा करते हुए कहा था कि वो साल 2020 तक प्रदूषित गंगा नदी को साफ करने का काम करेंगे. इसके लिए केंद्र सरकार ने "नमामि गंगे" योजना की शुरुआत की. हालांकि मोदी अपने पहले कार्यकाल में जनता से किया वादा पूरा नहीं कर पाए. वहीं मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के समाप्त होने में भी कुछ ही महीने शेष हैं.
केंद्र सरकार की ओर से सात अक्टूबर 2016 को गंगा नदी (संरक्षण, सुरक्षा एवं प्रबंधन) प्राधिकरण आदेश जारी किया गया था, जिसके मुताबिक पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय गंगा परिषद को वर्ष में कम से कम एक बार या उससे ज्यादा बार बैठक कर गंगा की सफाई और परियोजनाओं के पूरा होने का जायजा लेना था. लेकिन राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक इसके गठन के तीन सालों बाद 2019 में हुई. वहीं दूसरी बैठक इसके तीन सालों बाद वर्ष 2022 के दिसंबर माह में हुई थी.
2014 में सत्ता में आते ही मोदी सरकार ने गंगा की स्वच्छता को अपनी उच्च प्राथमिकता वाला काम बताया था. और इसके लिए नमामि गंगे योजना की घोषणा की गई थी. इस योजना का लक्ष्य गंगा में बढ़े प्रदूषण को कम करना और ठोस प्रदूषक के सीधे नदी में बहाए जाने पर रोक लगाना था. वित्तीय वर्ष 2024-25 में नमामि गंगे प्रोजेक्ट के फेज दो के लिए 3500 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है.
निर्मल, अविरल और पावन गंगा का सपना दिखाने वाली सरकार कब गंगा को स्वच्छ घोषित करेगी.