बिहार के पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. आनंद मोहन पर 1994 में गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया की हत्या का आरोप है. जी. कृष्णैया की पत्नी उमा ने सुप्रीम कोर्ट में आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ याचिका की थी.
आनंद मोहन 2007 से जी. कृष्णैया की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे. जिसके बाद नीतीश सरकार ने जेल नियमवाली में संशोधन कर आनंद मोहन को रिहा करा दिया. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार आनंद मोहन को बिहार में राजनीति करते हुए देखना चाहते हैं. जिसके लिए उन्होंने ओर से छोर तक की ताकत लगाई है.
जेल नियमवाली में संशोधन कर कैदियों की रिहाई
11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी. जिसमें कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि इस तरह से संशोधन कर कितने और कैदियों को रिहा किया गया है. जिन पर लोकसेवकों की हत्या का आरोप है. आज राज्य सरकार इस मामले में जवाब दाखिल कर सकती है.
उमा कृष्णैया ने मामले में री ज्वाइंटर पिटीशन फाइल की है. जिसमें उन्होंने गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो केस का भी जिक्र किया है. उमा कृष्णैया ने कहा है कि जिस तरीके से बिलकिस बानो केस के अभियुक्त को आउट ऑफ टर्न जाकर छोड़ गया. इसी तरह बिहार सरकार ने भी मेरे पति जी. कृष्णैया की हत्या के दोषी आनंद मोहन को रिहा किया है. उमा कृष्णैया ने नीतीश कुमार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने सारे नियमों को बदल दिया ताकि आनंद मोहन को रिहा किया जा सके.
जी. कृष्णैया की हत्या आजीवन कारावास की सजा
बता दे कि इस साल 27 अप्रैल को आनंद मोहन जेल से रिहा होकर बाहर आए थे. जी. कृष्णैया की हत्या में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई की थी. जिसमें उन्होंने 16 साल की सजा काटी थी.
शुक्रवार के दिन सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा, की आनंद मोहन फिर जेल जाएंगे, या फिर बाहर रह कर चुनाव में अपनी राजनितिक किस्मत आजमाएंगे. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपंकर दत्ता के पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है.