डेंगू का प्रकोप पिछले वर्ष पटना में बड़ी संख्या में फैला था. इस वर्ष वापस डेंगू फैलने की संभावनाओं को देखते हुए 15 जुलाई से नगर निगम की टीम लोगों को घर-घर जाकर जागरूक करने वाली थी. रोस्टर अनुसार निगम के सभी वार्ड में फॉगिंग एवं एंटी लारवा का छिड़काव किया जाना था. नगर निगम की टीम इन बीमारियों से बचाव के लिए एवं जागरूकता संबंधित जानकारी घर-घर जाकर उपलब्ध कराएगी.
पटना में लगातार डेंगू के मरीज़ मिल रहें हैं. मलेरिया ऑफिस के अधिकारी कल्याणी से जब हमने बात कि तो उन्होंने हमें बताया कि "मंगलवार के दिन पटना में 8 नए डेंगू के मरीज़ मिले हैं. पटना में अब तक 46 लोग डेंगू से पीड़ित हो चुके हैं."
इसी समय डेंगू फैलने की संभावना सबसे अधिक
पूरे बिहार में बारिश लगातार हो रही है. मानसून ने वापसी की है. इसी सीज़न में सबसे ज़्यादा मच्छर भी पैदा होते हैं. वैसे तो देश में 404 प्रजातियों के मच्छर पाये जाते हैं. पटना जिला मलेरिया और संक्रामक रोग कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार पटना जिले में चार प्रजाति के मच्छर अधिक पाये जाते हैं. इनमें कई ऐसे होते हैं, जो लोगों को जानलेवा बीमारियों का शिकार बनाते हैं. इनमें डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया जैसी घातक बीमारियां शामिल हैं.
इनमें ख़ासकर डेंगू बीमारी ऐसा बुख़ार है, जिसे महामारी के रूप में देखा जाता है. वयस्कों के मुकाबले, बच्चों में इस बीमारी की तीव्रता अधिक होती है.
पटना नगर निगम कमिश्नर अनिमेष कुमार के निर्देश पर सभी सेक्टर में एंटी लारवा छिड़काव करने के लिए संबंधित वार्ड के कर्मियों को जिम्मेदारी दी गई है. सभी वार्डों के प्रत्येक सेक्टर के लिए एक टीम का गठन किया गया है. एक टीम में दो कर्मी होंगे जिनमें एक एंटी लार्वा का छिड़काव करेगा वहीं दूसरा फीडबैक पत्र भरेगा.
फॉगिंग और एंटी लारवा का छिड़काव नहीं होने के कारण पटना में इस वर्ष डेंगू का प्रकोप मंडरा रहा है. पिछले कुछ वर्षों से सितम्बर मध्य के बाद इसका प्रकोप तेज़ी से बढ़ता था. उससे पहले अगस्त में एकाध मरीज़ ही मिलते थे. लेकिन इस वर्ष जुलाई से ही मरीज़ मिलने लगे. अगस्त आते-आते डेंगू मरीज़ों की संख्या बढ़नी शुरू हो गयी थी.
गंदगी होने की भी वजह से फैल रहा डेंगू
राजधानी में डेंगू के मामले बढ़ने के दो कारण हैं- पहला कारण यहां वायरस की सक्रियता बढ़ने के अनुकूल तापमान और नमी है और दूसरा आसपास फैली गंदगी. इसके साथ ही लोगों में डेंगू को लेकर जागरूकता की कमी भी इसके रूप को और भयावह बना देता है.
पीएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में 29 सैंपल के जांच में 2 पीड़ित मिलें हैं वहीं एनएमसीएच में 1 मरीज़ वहीं अन्य पीड़ित दूसरे अस्पतालों से हैं. जुलाई में पटना में 11 मरीज़ मिले थे. लेकिन अब पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
वार्ड 39 में भावर पोखर बस्ती में एंटी करवा का छिड़काव नहीं हुआ है. जिसके वजह से वहां के लोगों को काफ़ी समस्या हो रही है.
वार्ड 39 में रहने वाली मीरा गुप्ता बताती हैं कि "हमारे वार्ड में एंटी करवा और डेंगू के लिए कुछ स्प्रे वगैरा नहीं हुआ है, ऊपर से हमारे इलाके में काफ़ी गंदगी है और सफाई भी नहीं होती. हमें हमेशा डर लगा रहता है की कहीं डेंगू ना पनप जाए."
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, संपतचक की डॉक्टर रिमझिम से जब हमने बात की तो उन्होंने हमें बताया कि "डेंगू से बचने के लिए साफ़ सफ़ाई सबसे ज़्यादा ज़रूरी है. डेंगू का मच्छर साफ़ पानी में होता है."
जब हमने उनसे पूछा कि प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में डेंगू को लेकर क्या हो रहा है. तो उन्होंने जवाब में कहा कि अभी प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में डेंगू को लेकर कुछ नहीं चल रहा है.
नगर निगम के कमिश्नर ने दिया काम करवाने का आश्वासन
भंवर पोखर में रहने वाले अमन बताते हैं कि "पिछले वर्ष भी इधर किसी का ध्यान नहीं था. यहां हमेशा पानी जमा रहता है और इस पर कोई ध्यान नहीं देता. पिछली बार यहां पर डेंगू काफ़ी फैल गया था. इस वर्ष अगर ध्यान नहीं दिया गया तो काफ़ी बड़ी संख्या में लोग पीड़ित हो जाएंगे."
इस मामले पर जब हमने पटना नगर निगम के कमिश्नर अनिमेष कुमार से बात किया तो उन्होंने कहा कि "डेंगू को लेकर एंटी करवा का छिड़काव जारी है वार्ड 39 में तो ठीक काम हो रहा है भंवर पोखर का हम पता करवाते हैं."
पटना में बांकीपुर, पाटलिपुत्र, असीमाबाद, फुलवारी और कंकरबाग अंचल में डेंगू के मरीज़ मिलें हैं. बिहार में कोरोना के बाद डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों ने लोगों के मन में डर बना रखा है. ऐसे में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराने से लोगों के जीवन पर गहरा असर देखने को मिल रहा है.
हालांकि पटना नगर निगम ये दावा ज़रूर कर रही है कि काम पूरे ज़ोरों शोर से हो रहा है लेकिन हक़ीक़त क्या है इससे हम सब वाकिफ हैं. अगर एंटी लारवा या फॉगिंग का छिड़काव ढंग से नहीं होगा तो एक बार फिर पटना डेंगू के चपेट में होगा.