जब आप बिहार आएंगे और बिहार की खूबसूरती का मुजायरा करेंगे तो आपको केसरी धब्बों की कलाकृति हर जगह देखने को मिलेगी चाहे, वह रेलवे स्टेशन का प्लेटफार्म हो या पटना नगर निगम का बस. ये कलाकृतियां बिहार की एक अलग कहानी बयां करती है जो इंसानों की मुंह से पिचकारी की तरह निकलती है और अपने कला की छाप छोड़ देती है. यह कुछ और नहीं बल्कि तंबाकू यानी गुटखे की देन है. हालांकि बिहार में गुटखा बैन है, पर गुटखा खाने वाले लोगों का अंदाज उस प्रचलित गाने कि तरह है जिसके बोल ठोक देंगे कट्टा कपाड़ में आइये ना हमरा बिहार में. गुटखा खाने वाले शायद यही गुनगुनाते हैं “थूक देंगे गुटखा कपाड़ में आइये ना हमरा बिहार में.” तभी तो बेधरक कही भी गुटखा खाकर थूकने वाले लोग इसमें अपनी शान समझते हैं.
बिहार में गुटखे पर प्रतिबंध की अवधि एक वर्ष के लिए बढ़ी
बिहार सरकार ने तंबाकू और उससे बने हर प्रकार के पान मसाले और गुटखा पर प्रतिबंध की अवधि एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया है. खाद्य सुरक्षा आयुक्त संजय कुमार सिंह ने इस संबंध में गुरुवार 28 मार्च को आदेश जारी किया है. सर्वोच्च न्यायालय के सितंबर, 2016 (Supreme Court On Tobacco Ban) के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि इस प्रकार के खाद्य पदार्थों की बिक्री पर पूरी तरह रोक रहेगी.
प्रतिबंध के तहत तंबाकू और निकोटिन युक्त किसी भी प्रकार के पान मसाले या गुटखा का निर्माण, भंडारण, वितरण, परिवहन, प्रदर्शन या बिक्री पर रोक रहेगी. पैक और बिना पैक निकोटिन युक्त पान मसाले और गुटखा पर यह प्रतिबंध पूरे बिहार में लागू रहेगा.
शराबबंदी के तरह तंबाकू पर बैन भी फेल
बिहार में शराब पीना और उसकी बिक्री करना कानूनी अपराध है. राज्य में अगर आप शराब बेचते या पीते हुए पकड़े जाते हैं तो आपके ऊपर कठोर कार्रवाई का प्रावधान है. इसके साथ ही राज्य में गुटखा और पान मसाला के बिक्री पर भी रोक है. इस रोक को राज्य सरकार ने एक वर्ष के लिए और बढ़ा दिया है. पिछले वर्ष भी सरकार ने पान मसाला और गुटखा की बिक्री पर रोक लगाया था.
बिहार और पूरे देश में माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर गुटखा, पान मसाला और तंबाकू उत्पासद बेचा जा रहा है. इसी कड़ी में हर साल खाद्य सुरक्षा कानून के तहत पान मसाला तंबाकू पर प्रतिबंध की सूचना जारी की जाती है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के आदेश के बावजूद पान मसाला, गुटखा और तंबाकू उत्पाीद धड़ल्लेआ से बेचे जा रहें हैं.
साल 2019 में स्वास्थ्य विभाग की उच्च स्तरीय बैठक के बाद बिहार में गुटखा और पान मसालों पर प्रतिबंध लगाया गया था. यह प्रतिबंध एक साल की अवधि के लिए लगाया गया था. जिसे साल दर साल बढ़ाया जाता रहा है. फूड सेफ्टी एक्ट 2011 के रेगुलेशन 2.3.4 के तहत किसी भी खाद्य पदार्थ में तम्बाकू या निकोटिन की मिलावट प्रतिबंधित है.
ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि तंबाकू बेचने और खाने वाले लोग इस मुद्दे पर अपनी क्या राय रखते हैं. सब्जीबाग के रहने वाले राजू (बदला हुआ नाम) नियमित तौर पर गुटखा खाते हैं, गुटखे पर बैन से अनजान राजू डेमोक्रेटिक चरखा से बात करते हुए कहते हैं “पूरे पटना में गुटखा बिक रहा है और आसानी से हमें मिल रहा है. इतने आसानी से जब मार्केट में बिक रहा है तो हम खा भी रहे हैं.” राजू का कहना है कि, सरकार इसकी बिक्री बंद कराए तो उनके जैसे लोग खाना बंद कर देंगे.
सब्जीबाग में पान और तंबाकू बेचने वाले दुकानदार से जब हमने बात करने की कोशिश की तो उन्होंने तो पहले माना कर दिया और फिर गुस्से से कहा कि “देखिए सरकार ने बैन कर दिया है पर इसका उत्पादन तो रहा है और आसानी से मिल भी रहा है, और जब मिलेगा तो हम सब बेचेंगे ही, सरकार को अगर बंद ही करना है तो पहले इसके बनने पर रोक लगाए तब जाकर पूरी तरह से गुटखा बंद होगा. हमारा भी घर है, हमारे भी बच्चे हैं और बेचेंगे नहीं तो घर कैसे चलेगा. ये कंपनी वाले हमें पान मसाला अलग देते हैं और तंबाकू अलग देते हैं. ये थोड़ी ना बैन है, अब सरकार भी कुछ नहीं कर पाती है.”
तंबाकू के इस्तेमाल का चौंका देने वाला सर्वे
वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण (Global Adult Tobacco Survey (GATS)) 2016-17 के रिपोर्ट के अनुसार 25.9% आबादी तंबाकू का इस्तेमाल करती है जिसमें में 20.8% स्मोकलेस तंबाकू होता है. कैंसर का कारण बनने, शुरू करने या बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं.
गुटखा एक घातक कॉकटेल है और अधिकांश उपयोगकर्ता इसके कैंसर पैदा करने वाले प्रभावों से अनजान हैं. अनुमानतः 200 मिलियन वयस्क और 5 मिलियन बच्चे कथित तौर पर गुटखा के आदी हैं. सिगरेट और गुटखा से निकोटीन सेवन कीलत बढ़ती है. धुआं रहित तंबाकू से निकोटीन मुंह के माध्यम से अवशोषित होता है और फेफड़ों के माध्यम से अवशोषित होने की तुलना में इसका प्रभाव उत्पन्न होने में अधिक समय लगता है, जो इसे धूम्रपान के समान ही खतरनाक बनाता है.
बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स स्टडीज के डॉयरेक्टर प्यारे लाल चिंता ज़ाहिर करते हुए बताते हैं कि “यह दुर्भाग्य की बात है की बिहार में गुटखा बैन होने के बावजूद ये खुलेआम बिकता है. कभी भी इसको लेकर सरकार कुछ नहीं करती है. क्या इसके टैक्स से सरकार को फ़ायदा होता है? कहीं न कहीं भारत और बिहार में गुटखा कैंसर का कारक है फिर भी किसी तरह की जागरूकता नहीं है.”
तंबाकू से सबसे ज़्यादा मुंह का कैंसर
साइट केयर हॉस्पिटल के रिपोर्ट के अनुसार भारत में मौखिक कैंसर पुरुषों में सबसे आम कैंसर है (सभी कैंसरों का 11.28%), और महिलाओं में होने वाला पांचवां सबसे आम कैंसर है (सभी कैंसरों का 4.3%). भारत में वर्ष 2020 तक पुरुषों में कैंसर के अनुमानित आंकड़ों से पता चलता है कि फेफड़े (102,300), मुंह (99,495), प्रोस्टेट (61,222), जीभ (60,669) और स्वरयंत्र (36,079) के मामलों की संख्या होगी. कुल मिलाकर, यह मुंह के कैंसर को भारत के अधिकांश पुरुषों में कैंसर का प्रमुख स्थान बनाता है.
तम्बाकू का उपयोग लगभग 80% मौखिक कैंसर से सीधे जुड़ा हुआ है, खासकर 40 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में. पिछले कुछ दशकों में महिलाओं और युवा कैंसर मरीजों (Cancer Patients) में वृद्धि हुई है. हैरान कर देने वाली बात यह है कि 15 वर्ष से छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाओं भी टबैको का इस्तेमाल करती है. वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण के अनुसार 3.2% गर्भवती महिला स्मोकलेस टबैको का इस्तेमाल करती हैं. वहीं 15 वर्ष से कम उम्र के 6.6% बच्चे टबैको का इस्तेमाल करते हैं. GATS के रिपोर्ट के अनुसार हर 5 मिनट में 16.8% युवा पहली बार टबैको का इस्तेमाल करते हैं.
पीएमसीएच के डॉक्टर ऐश्वर्य, सरकार के इस फैसले को सही बताते हैं. डॉक्टर ऐश्वर्य बताते हैं कि “तंबाकू खाना निश्चित रूप से स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है. तंबाकू का नियमित सेवन किसी व्यक्ति के शरीर की इम्यूनिटी को कमजोर कर सकता है. इसके अलावा तंबाकू खाने से कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है. खासकर तंबाकू खाने वाले ज्यादातर मरीज आगे चलकर मुंह के कैंसर से पीड़ित हो सकते हैं. तंबाकू खाने से दातों में ओरल कैविटी और जीभ दोनों को नुकसान होता है. सबसे महत्वपूर्ण बात तंबाकू से लीस-लिपिडीमिया यानी कि हार्ट-अटैक का खतरा भी काफी बढ़ जाता है.”
दरअसल कोर्ट ने गुटखा और पान मसाला में तंबाकू व निकोटिन मिलाकर बेचने को प्रतिबंधित किया है. लेकिन तम्बाकू और पान मसाला बनाने वाली कंपनी बड़ी ही चालाकी से इसका तोड़ निकाल रहे हैं. कंपनी इन्हीं उत्पादों को अब अलग-अलग पैकेट में बनाकर मार्केट में भेज रही है. जैसे अलग गुटखा, अलग पान मसाला और अलग तंबाकू. यही कारण है कि आपको चौराहों और सड़कों के किनारे ये पैकेट आसानी से बिकते नजर आते हैं. ग्राहक अब खुद दुकान पर ही पैकेट खरीदकर इन तीनों को मिलाकर प्रतिबंधित सामान गुटखा बनाकर खा लेते हैं.