कंकड़बाग, आदर्श कॉलोनी में रहने वाले शुभदेव कुमार एक्जीबीशन रोड स्थित एक निजी अस्पताल में काम करते हैं. सुबह नौ बजे अस्पताल पहुंचने के लिए शुभदेव को अपने घर से आठ बजे निकलना पड़ता है. तब जाकर वे पांच से 10 मिनट पहले अस्पताल पहुंच पाते हैं. जबकि कंकड़बाग 90 फीट से एक्जीबिशन रोड की दूरी महज 20 से 22 मिनट में पूरी की जा सकती है. लेकिन शहर में बढ़ते निजी वाहनों और ऑटो की संख्या ने सड़क पर यातायात सुविधाओं को जटिल बना दिया है.
लोगों के पास यात्रा के लिए गाड़ियां तो हैं लेकिन न्यूनतम समय पर अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए निर्बाध सड़के नहीं हैं. राजधानी पटना के किसी भी इलाके में रहने वाले लोगों को ऑफिस या स्कूल टाइम पर पहुंचने के लिए तय समय से एक-दो घंटे पहले निकलना ही पड़ता है. इस समस्या का कारण है शहर की सड़कों पर लगने वाला जाम है. पटना जिला प्रशासन शहर को जाम से मुक्त कराने में विफल है और इसका पूरा ठीकरा ऑटो चालकों पर डालता रहा है.
प्रशासन का कहना है कि ऑटो को बढ़ती संख्या और बेतरतीब ढंग से उसका परिचालन किए जाने के कारण ही सड़कों पर जाम लगा रहा है. ऑटो परिचालन पर नियंत्रण किये जाने के उद्देश्य से पटना जिला प्रशासन पिछले साल से ही जोन वाइज रूट परमिट जारी किए जाने की बात कह रहा है. वहीं रूट परमिट के साथ ही ऑटो के लिए कलर कोड लाए जाने की तैयारी भी की जा रही है.
पुराना परमिट रद्द करने की तैयारी
राजधानी पटना को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए पटना जिला प्रशासन ने ऑटो और ई-रिक्शा चालकों के पुराने परमिट रद्द करने का फैसला लिया है. शहर में करीब 14000 ऑटो पुराने परमिट पर चल रहे हैं. इन परमिटों को रद्द करके नया परमिट जारी करने के लिए प्रशासन की तरफ से तैयारी शुरू कर दी गई है. ऑटो को नए परमिट रूट और जोन वाइज जारी किया जाएगा. शुक्रवार को प्रमंडल आयुक्त मयंक वरवड़े के नेतृत्व में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है. पुराना परमिट रद्द किये जाने के बाद परिचालन के लिए सीमित संख्या में नए परमिट जारी किए जाएंगे.
इसके लिए ऑटो और ई-रिक्शा चालकों को नए सिरे से आवेदन करना होगा. इसके बाद प्रत्येक रूट पर जिला प्रशासन सिमित संख्या में परमिट जारी करेगी. प्रशासन के इस फैसले का ऑटों चालकों द्वारा विरोध होने की संभावना देखते हुए प्रशासन ने निर्णय लिया है कि जिला परिवहन पदाधिकारी पहले ऑटो और ई-रिक्शा यूनियन प्रतिनिधि से समन्वय करेंगे. इसके बाद ही शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अनुमंडल वार ऑटो और ई-रिक्शा के परिचालन के संबंध में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.
परमिट रद्द किये जाने के फैसले का ऑटो और ई-रिक्शा चालक शुरू से ही विरोध करते आ रहे हैं. इसको लेकर वर्ष 2023 और इस वर्ष सितम्बर माह में भी चालकों ने विरोध प्रदर्शन किया था. नए साल से होने वाले इस बदलाव को लेकर ऑटो चालक एकबार फिर हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे रहे हैं.
हमने इस संबंध में ऑटो मेंस यूनियन के महासचिव अजय कुमार पटेल से बात की. अजय कुमार ने कहा विभाग ने अबतक उनलोगों से इस संबंध में कोई बात नहीं की है. लेकिन अगर इसतरह की कोई योजना बनाई जा रही है तो वे लोग इसका विरोध करेंगे. सरकार द्वारा सुनवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
परमिट रद्द करने का अधिकार नहीं: ऑटो यूनियन
ऑटो यूनियन आरोप लगा रही है कि सरकार ऑटो और ई-रिक्शा चालकों का स्वरोजगार समाप्त करना चाहती है. पुराने परमिटधारी ऑटों जिन्हें पूरे पटना जिले में किसी भी रूट पर ऑटो चलाने का परमिट मिला हुआ है, उसे किस आधार पर रद्द किया जाएगा.
ऑटो मेंस यूनियन के महासचिव अजय कुमार पटेल सरकार और परिवहन विभाग से सवाल करते हुए कहते हैं “क्या परमिट में बदलाव करने का अधिकार बिहार सरकार या बिहार परिवहन विभाग को है?
अजय कुमार कहते हैं “मोटर व्हीकल एक्ट के तहत परमिट में बदलाव करने का अधिकार सेंट्रल गवर्नमेंट के पास हैं. मोटर व्हीकल एक्ट के तहत जो कानून बनाए जाते हैं वह पूरे देश में लागू होता है. उसी कानून के तहत हमलोग को दो तरह का परमिट जारी होता हैं. पहला- कॉन्ट्रैक्ट कैरिज परमिट जिसमें सवारी को एक जगह से उठाकर दूसरे जगह ड्राप कर दिया जाता है. दूसरा- स्टेज कैरिज परमिट जो एक तरह से रूट परमिट की तरह ही काम करता है. इसमें अगर हम पटना गांधी मैदान से दानापुर के बीच ऑटो चलाते हैं तो उस बीच आनेवाले राजापुल और कुर्जी जैसे जगहों का भी सवारी बैठाते हैं. इस तरह का परमिट वाला गाड़ी किसी और रूट पर नहीं चल सकता है.”
अजय कुमार का कहना है कि “नियम पहले से ही हैं लेकिन अब परिवहन विभाग इसे थोपने की कोशिश कर रहा है. ताकि पटना शहर से ऑटों और ई-रिक्शा का व्यवसाय समाप्त हो जाए और परिवहन निगम कि बसें संचालित हो सके. साथ ही ओला उबार का व्यवसाय बढ़े.”
बीते कुछ वर्षो में ओला, उबर, रैपिडो जैसी ऑनलाइन बुकिंग एप के कारण ऑटों चालकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं साल 2025 में राजधानी पटना के कुछ रूटों पर मेट्रो शुरू किए जाने की संभावना है. इससे जाहिर हैं ऑटो चालकों को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है.
अजय कुमार कहते हैं “पटना मेट्रो शुरू होने के बाद 50 फीसदी ऑटो स्वतः बंद हो जाएंगे. लेकिन विभाग ऑटों चालकों के पीछे पड़ा है. लेकिन ओला, उबर, रैपिडो जैसे एप के माध्यम से जितना भी निजी मोटरसाइकिल है उसका उपयोग कमर्शियल किया जा रहा है. उसपर सरकार और परिवहन विभाग का कोई ध्यान नहीं है.”
ऑटो यूनियन का आरोप है कि किसी भी नए कानून को लाये जाने से पहले सरकार अधिकृत लेबर यूनियन के साथ बैठक कर उनकी राय लेकर नियम नहीं बना रही हैं. अजय पटेल कहते हैं “अंग्रेजों के जमाने में जैसे कानून बनाए और मनवाए जाते थे. वही हाल अभी बिहार में हो रहा है. खुद कानून बनाते है और उसको मनवाने के लिए लाठी का प्रयोग करते है.”
नए परमिट पर रोक, लेकिन ऑटों की बिक्री जारी
लगभग 10 सालों से पटना शहरी क्षेत्र में नए ऑटो को परिचालन के लिए परमिट नहीं दिया जा रहा है. सड़क एवं परिवहन विभाग ने साल 2019 के बाद से नए परमिट देने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. 2019 में करीब 1500 सीएनजी ऑटो को परमिट मिला था. लेकिन इस दौरान प्रदुषण नियंत्रण और स्वच्छ इंधन को बढ़ावा दिए जाने के लिए सीएनजी ऑटों और बैटरी चालित ई-रिक्शा की बिक्री तेजी से हुई.
अजय पटेल कहते हैं “पटना शहरी क्षेत्र में 2014 या 2016 से परमिट बंद हैं. उपर से कहा जाता है कि ऑटों चालकों के वजह से ही पटना में जाम लगता है तो, मैं परिवहन सचिव से पूछना चाहता हूं कि परमिट बंद शहरी क्षेत्र में इतनी संख्या में ऑटों और ई-रिक्शा बाजार में कहां से आ गए.”
पटेल कहते हैं “आज जाम का दोष ऑटो और ई-रिक्शा चालकों पर मढ़ा जा रहा है लेकिन उन गाड़ियों की बिक्री पर जो वन टाइम टैक्स लिया गया है वह किसके खजाने में गया. आपने गाड़ी विक्रेता को पैसा कमाने का छूट दे रखा है. गाडी का रजिस्ट्रेशन धड़ल्ले से हो रहा है. ई-रिक्शा बेधड़क बिक रहा है क्योंकि प्रदुषण मुक्त शहर बनाना है.”
ऑटो चालक यहां परिवहन विभाग से सवाल करते हैं, जब पटना की आबादी और सड़के गाड़ियों का बोझ नहीं उठा सकती थी तो नई गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर रोक क्यों नहीं लगाई गई?
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के वहां डैशबोर्ड पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार बिहार में वर्ष 2024 में अबतक 76,344 ई-रिक्शा और 36,091 ऑटों का रजिस्ट्रेशन किया गया है. इसमें सबसे अधिक गाड़ियां पटना जिले में पंजीकृत हुई हैं.
रूट सिस्टम में ना बांधे सरकार: ऑटो चालक
ऑटो चालकों की मांग है कि परिवहन विभाग उन्हें हर रूट पर गाड़ी चलाने का परमिट दे. खासकर उन ऑटो चालकों को जिनके पास पुराना परमिट हैं.
1987 से पटना की सड़कों पर ऑटों चलाने वाले 62 वर्षीय ऑटो चालक विजय कुमार वर्मा वर्तमान में पटना जंक्शन से गांधी मैदान तक ऑटो चलाते हैं. परमिट रद्द किये जाने के फैसले पर कहते हैं "1992 में मेरा परमिट बना था. उस समय हर चार महीने पर रिनुअल करवाना पड़ता था. लेकिन इधर कुछ साल से पांच साल के लिए बनने लगा. हमलोग समय पर अपना पैसा भरते हैं. इधर भी सरकार के खाते में 5600 रूपया जमा किया हूं और सरकार हमारा ही परमिट ही रद्द करना चाहती हैं."
ऑटो चालक बताते हैं कि सरकार द्वारा परमिट जारी नहीं किए जाने के बावजूद फाइनेंस कंपनियां ऑटों खरीदने वालों से 5600 रुपए का भुगतान परमिट के नाम पर करवाती है.
रूट परमिट जारी होने से होने आमदनी पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर विजय कहते हैं “पटना जंक्शन मेन पॉइंट हैं. दिनभर तो जंक्शन से गांधी मैदान ऑटो चलाते रहते हैं. लेकिन इसी बीच अगर रिजर्व में दानापुर, कंकड़बाग या पटना सिटी जाने के लिए सवारी मिलता है तो उसको पहुंचा देते हैं. इधर से जाने में रिजर्व में चले गए, फिर लौटते समय जंक्शन का सवारी लेते चले आते हैं. लेकिन जब रूट बंध जाएगा तो कमाई कम हो जाएगा.”
ऑटो चालक शहर में ऑटो स्टैंड नहीं होने का मुद्दा भी उठाते हैं. उनका कहना है कि शहर में ऑटो स्टैंड नहीं होने के कारण उन्हें चौक-चौराहों पर ऑटों रोककर सवारी उतारनी और बैठानी पड़ती हैं. इसके कारण ही उनलोगों पर जाम लगाने का आरोप लगता है. पटना नगर निगम क्षेत्र में 40 हज़ार के लगभग ऑटो और ई-रिक्शा पर केवल तीन चिन्हित स्टैंड- पटना जंक्शन स्थित टाटा पार्क, बुद्ध स्मृति पार्क स्थित मल्टीलेवल पार्किंग और बैरिया टर्मिनल है.
ऑटो चालक अनिल वर्मा कहते हैं “पूरे पटना बसों को सवारी उतारने और चढ़ाने के लिए बस स्टॉप बना हुआ है. लेकिन इसके बाद भी बीच सड़क पर ही सवारी उतारा चढ़ाया जा रहा है. लेकिन उसपर कोई कार्रवाई नहीं होता है क्योंकि वह निगम और विभाग का गाड़ी है.”
पटना की सड़कों पर पिछले चार सालों में तेजी से सीएनजी ऑटो और बैट्री वाले ई-रिक्शा का परिचालन बढ़ा है. लेकिन जितनी तेजी से इनकी संख्या सड़कों पर बढ़ी, उसके लिए समुचित स्टैंड और ट्रैफिक नियंत्रण के लिए तैयारी नहीं हुआ. जिसके कारण शहर के हर रूट पर रोज़ाना जाम की स्थिति बनी रहती है.