पटना ऑटो हड़ताल: बिना वैकल्पिक व्यवस्था के ऑटो वालों को हटाया जाएगा?

पिछले मंगलवार को हुए ऑटो हड़ताल ने लगभग 4 से 5 लाख लोगों को प्रभावित किया था. और यह हड़ताल पिछले 4 दिनों से चल रही थी जो मंगलवार को बड़े स्तर पर किया गया. ऑटो हड़ताल को समर्थन देते हुए स्टेशन रोड के फूटपाथी दुकानदारों ने भी अपना दुकान बंद रखा था.

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ऑटो हड़ताल: क्या बिना वैकल्पिक व्यवस्था के ऑटो वालों को हटाया जाएगा?

ऑटो हड़ताल: क्या बिना वैकल्पिक व्यवस्था के ऑटो वालों को हटाया जाएगा?

पटना में पिछले चार पांच महीनों में कई बार ऑटो हड़ताल किया गया है. जिसका सीधा असर आम जनता को उठाना पड़ रहा है. रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, बस स्टैंड, अस्पताल, ऑफिस, कोचिंग और स्कूल आने-जाने वाले लोगों को हड़ताल के कारण काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

पिछले मंगलवार को हुए ऑटो हड़ताल ने लगभग 4 से 5 लाख लोगों को प्रभावित किया था. और यह हड़ताल पिछले 4 दिनों से चल रही थी जो मंगलवार को बड़े स्तर पर किया गया. ऑटो हड़ताल को समर्थन देते हुए स्टेशन रोड के फूटपाथी दुकानदारों ने भी अपना दुकान बंद रखा था.

अप्रैल महीने में हुए ऑटो हड़ताल के बाद यह दूसरी बड़ी हड़ताल थी. अब यहां यह समझना होगा कि आखिर ऑटो चालक बार-बार हड़ताल क्यों कर रहे हैं? क्योंकि हड़ताल का असर ना केवल यात्रियों को उठाना पड़ता है बल्कि इसका नुकसान ऑटो चालकों को भी होता है.

परमिट और ऑटो पार्किंग की वजह से हड़ताल

हनुमान नगर से पटना जंक्शन के बीच ऑटो चलाने वाले राजीव बताते हैं “हम नया ऑटो किश्त पर खरीदे हैं. जिसका महीने में 8 हज़ार किश्त भरना है. अगर एक दिन का कमाई चला गया तो उसका भरपाई कहां से होगा. हम लोग भी मन मारकर ही हड़ताल का समर्थन करते हैं.” ऑटो चालकों के हड़ताल का मुख्य कारण परमिट और ऑटो पार्किंग की समस्या से जुड़ा है.

ऑटो स्ट्राइक में इंतज़ार करते लोग
ऑटो स्ट्राइक में इंतज़ार करते लोग

ऑटो चालकों की मांग है कि परिवहन विभाग उनके लिए हर रूट पर गाड़ी चलाने का परमिट दे. वहीं नगर निगम ऑटो चालकों के लिए ऑटो स्टैंड चिन्हित करके दे. 50 हज़ार के लगभग ऑटो और ई-रिक्शा पर केवल तीन चिन्हित स्टैंड पटना की सड़कों पर पिछले चार सालों में तेजी से सीएनजी ऑटो और बैट्री वाले ई-रिक्शा का परिचालन बढ़ा है. लेकिन जितनी तेजी से इनकी संख्या सड़कों पर बढ़ी, उसके लिए समुचित स्टैंड और ट्रैफिक नियंत्रण का निर्माण नहीं हुआ. जिसके कारण शहर के हर रूट पर रोज़ाना जाम की स्थिति बनी रहती है.

जाम की समस्या खत्म करने के लिए परिवहन विभाग ने ऑटो चालकों के लिए रूट परमिट जारी करने का निर्णय लिया था. लेकिन रूट परमिट जारी करने का ऑटो चालकों ने विरोध किया था. उनका कहना है कि रूट परमिट जारी होने से उन्हें रिज़र्व में ऑटो चलाने में परेशानी होगी. जबकि ट्रैफिक एसपी का कहना था कि रूट परमिट ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए लिए जारी किया जाएगा. ताकि हर रूट पर एक निश्चित संख्या में ऑटो और ई-रिक्शा का संचालन हो. लेकिन अभी हाल में हुए ऑटो हड़ताल की वजह पार्किंग की समस्या को लेकर थी.

पार्किंग बंद करने से पहले वैकल्पिक व्यवस्था

ऑटो चालकों की मांग है कि पार्किंग बंद करने से पहले वैकल्पिक व्यवस्था की जाए. शहर में 30 हज़ार के करीब सीएनजी ऑटो और 12 हज़ार से ज़्यादा ई-रिक्शा चल रहे हैं. लेकिन इनके लिए शहर में मात्र तीन ही चिन्हित ऑटो स्टैंड हैं. पहला पटना जंक्शन टाटा पार्क, दूसरा बुद्ध पार्क के पास मल्टीलेवल पार्किंग में स्टैंड और तीसरा बैरिया बस टर्मिनल के पास जगह ऑटो स्टैंड चिन्हित किया गया है.

लेकिन मेट्रो निर्माण कार्य के लिए 1 सितम्बर को टाटा पार्क स्थित पार्किंग का घेराव करके बंद कर दिया गया. ऑटो चालकों का कहना है कि पार्किंग घेरने से पहले ऑटो चालकों को कोई नोटिस नहीं दिया गया. बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के उन्हें पार्किंग से जबरन बाहर निकाल दिए गया. हालांकि पटना नगर निगम का कहना है कि यात्रियों और ऑटो चालकों की सुविधा के लिए लगभग ढ़ाई एकड़ में पार्किंग का निर्माण किया जा रहा है. जिसमें 1000 से ज़्यादा ऑटो लगाने की क्षमता है.

इस स्टैंड से पटना के विभिन्न दिशाओं के लिए एक ही जगह से ऑटो मिलेगा. इस स्टैंड में मल्टी मॉडल हब भी बनाया जाएगा जिसमें 300 वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था रहेगी. ऑटो संघ की मांग है कि प्लेटफार्म नंबर 1 से लेकर जीपीओ तक बनने वाले इस पार्किंग में ऑटो चालकों को जगह दिया जाएगा इसकी लिखित जानकारी निगम उन्हें दें. 

हड़ताल के दौरान ऑटो चालक
हड़ताल के दौरान ऑटो चालक

ऑटो चालकों ने बढ़ाया ऑटो किराया, यात्रियों की बढ़ी परेशानी

वहीं ऑटो चालक ऑटो में पांच से छह यात्री बैठाकर ऑटो चलाते हैं जो सुरक्षा के लिहाज़ से खतरनाक है. अब ऐसे ऑटो रिक्शा जिसमें 4 से ज़्यादा यात्री बैठे होंगे उनका चालान काटा जा रहा है. बिहार पुलिस को मोटरयान अधिनियम के धारा-194 (क) के तहत क्षमता से अधिक यात्री बैठाने पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है. वाहन में क्षमता से अधिक यात्री बैठाने पर पर प्रति अधिक यात्री 200 रूपए जुर्माना लगाया जाएगा. हालांकि यह नियम पहले से है लेकिन इधर कुछ दिनों से इस पर सख्ती किये जाने से ऑटो चालकों में चालान कटने का डर है.

ऑटो ड्राईवर का कहना है कि उन्हें पांच पैसेंजेर बैठाने का परमिट मिलता है लेकिन पुलिस डंडा और चलान काटने का भय दिखाकर हमसे 200-300 ले लेती है. इसलिए हम लोगों ने तय किया है कि अब चार पैसेंजर ही बैठाएंगे. हनुमान नगर से पटना जंक्शन के रूट में ऑटो चलाने वाले एक ऑटो चालक बताते हैं “सरकार कोई नियम लायी है तो आगे के लिए अच्छा ही है. लेकिन इसमें ऑटो चालकों के नुकसान का भी ध्यान रखना चाहिए. हम लोग जब पांच सवारी बैठाकर ले जाते हैं तो चलान काट दिया जाता है. जबकि तीन सवारी बैठाकर लाने में हमें नुकसान उठाना पड़ता है.”

बुधवार को खत्म हुए ऑटो हड़ताल के बाद कुछ ऑटो चालकों ने ऑटो किराया बढ़ा दिया है. पहले हनुमान नगर से पटना जंक्शन का किराया 15 रूपए लिया जाता था जो बढ़ाकर 20 रूपए कर दिया गया है. ऑटो चालकों का कहना है कि तीन से ज़्यादा पैसेंजेर बैठाने पर पुलिस तंग करती है. चालान भी काट दिया जाता है. इसलिए बिना ऑटो किराया बढ़ाये इसका समाधान नहीं हो पायेगा. ऑटोचालक विष्णु कुमार बताते हैं “आज से हमलोग 20 रूपया भाड़ा लेंगे और 4 आदमी ही बैठाएंगे. पहले पांच आदमी बैठाने पर 75 रूपया होता था. लेकिन अब 3 से 4 आदमी ही बैठाने के लिए कहा जा रहा है. अगर हमलोग 15 रूपया भाड़ा लेगें तो एक ट्रिप में 45 रुपया ही होगा जिसमें तेल का पैसा भी नहीं निकलेगा.”

हालांकि यात्री अचानक बढ़े भाड़े से परेशान हैं. उनका कहना है कि इस तरह अचानक इतना किराया बढ़ा देना गलत है. पहले ऑटो हड़ताल और अब ज़्यादा किराया आम लोगों के ऊपर बोझ है. खेमनिचक से बोरिंग रोड काम पर जाने वाली एक महिला यात्री का कहना है “ऑटो चालक तो अपनी बात हड़ताल करके मनवा लेते हैं. सरकार और निगम अपने पॉवर का इस्तेमाल करके नियम बना देता है. लेकिन हम यात्रियों की परेशानी कोई नहीं समझता है. मुझे ऑफिस पहुंचने के लिए तीन बार ऑटो लेना पड़ता है. अगर हर रूट पर 10 रूपए बढ़ेगा तो एक दिन में मुझे 30 रूपए से ज़्यादा ख़र्च करना पड़ेगा यानी महीने का 900 रुपया ज़्यादा.” बार-बार होने वाले हड़ताल और यात्रियों को होने वाली परेशानी को दूर करने के लिए परिवहन विभग और नगर निगम को मिलकर कोई ठोस निर्णय लेना होगा.