बिहार (Bihar) में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया का दूसरा चरण अक्टूबर में आने वाला है. इस भर्ती प्रक्रिया में छठी से आठवीं तक की कक्षाओं के लिए आवेदन लिया जाएगा. अक्टूबर में आने वाली इस वैकेंसी में पहली से पांचवी कक्षा के लिए आवेदन नहीं आएगा. वहीं 11वीं से 12वीं कक्षा के बाकी बचे सीटों के लिए भी आवेदन लिया जाएगा.
छठी से आठवीं कक्षा के लिए आवेदन करने के लिए अभ्यर्थियों को CTET का दूसरा पेपर पास होना आवश्यक है. वहीं 9वीं से 10वीं कक्षा में आवेदन करने के लिए STET का पहला पेपर (paper 1) पास होना आवश्यक है. जबकि उच्च माध्यमिक कक्षा यानी 11वीं से 12वीं के लिए STET का दूसरा पेपर (paper 2) पास होना आवश्यक है.
इस परीक्षा से अभ्यर्थी सरकारी स्कूल (government schools) में छात्रों (school students) को पढ़ा पायेंगे. सरकारी शिक्षक (government teacher) बनने के लिए छात्र इस परीक्षा का हर साल इंतज़ार करते हैं.
बीएड के फाइनल ईयर का रिजल्ट अब तक नहीं
शिक्षक भर्ती परीक्षा में 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं के लिए कम आवेदन आने के बाद बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (BSEB) ने सेकेंडरी टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (STET) के लिए आवेदन निकाला था.
9 अगस्त से शुरू हुई आवेदन प्रक्रिया 23 अगस्त तक चली थी. इस भर्ती प्रक्रिया में पेपर 1 के लिए आवेदन करने के लिए अभ्यर्थियों को स्नातक के साथ बीएड पास होना ज़रूरी था. वहीं पेपर 2 के लिए बीएड के साथ स्नातकोत्तर (Post Graduate) होना आवश्यक था.
राज्य में चार सालों के बाद STET परीक्षा का आयोजन किया गया है. इससे पहले STET के लिए 2019 mएन नोटिफिकेशन निकाला गया था. जिसकी परीक्षा जनवरी 2020 में ऑफलाइन ली गयी थी. लेकिन कुछ सेंटर पर फ़र्ज़ीवाड़े की वजह से परीक्षा रद्द करनी पड़ी. जिसके बाद वापस सितंबर 2020 mएन ऑनलाइन परीक्षा ली गयी.
इन चार सालों में बीएड के तीन बैच 19-21, 20-22 और 21-23 से करीब 10 लाख के करीब शिक्षक अभ्यर्थी बीएड पास कर गए. इसमें 19-21 और 20-22 के अभ्यर्थियों का रिजल्ट तो किसी तरह तीन सालों में आ गया. लेकिन 21-22 के बैच का रिजल्ट अभी तक नहीं आया है. जिसके कारण इस पात्रता परीक्षा से 21-23 के बीएड अभ्यर्थी छूट गए. क्योंकि बीएड में पढ़ने वाले छात्रों को इसमें आवेदन का मौका नहीं दिया गया.
सेशन लेट होने की वजह से हो रही है परेशानी
दरअसल मगध और पाटलिपुत्रा यूनिवर्सिटी में सेशन लेट चल रहा है. किसी तरह सेशन को समय पर पूरा करने के लिए यूनिवर्सिटी ने तीन महीने के अंतराल पर पहले और दूसरे वर्ष की परीक्षा का आयोजन कर दिया. पहले वर्ष की परीक्षा मई 2023 में जबकि दूसरे वर्ष की परीक्षा अगस्त 2023 में लिया गया.
लेकिन जैसे-तैसे परीक्षा लेने के बाद दोनों यूनिवर्सिटी रिजल्ट देने में पीछे रह गयी. पाटलिपुत्रा यूनिवर्सिटी के बीएड फाइनल ईयर का रिजल्ट इसी महीने सितंबर में आया है. जबकि मगध यूनिवर्सिटी में 20-22 बैच का रिजल्ट पिछले महीने अगस्त में जारी किया गया. वहीं 21-23 सेशन वाले छात्रों का रिजल्ट अब तक जारी नहीं किया गया है.
अभ्यर्थियों का कहना है कि यूनिवर्सिटी और आयोग की लेट-लतीफ़ी का ख़ामियाज़ा उन्हें भुगतना पड़ रहा है.
परसा की रहने वाली अंजली कुमारी, प्रकाश पुंज टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज के सेशन 2021-23 की छात्रा हैं. रिजल्ट नहीं आने के कारण अंजली STET का फॉर्म नहीं भर सकीं.
डेमोक्रेटिक चरखा से बात करते हुए अंजली बताती हैं "हमारे बैच की हालत धोबी के कुत्ते की है. हमलोग ना घर के हैं और ना घाट के. पहले प्राइमरी शिक्षक से हमें बाहर किया गया. फिर अब STET में हमें मौका नहीं मिला. ना सरकार को और ना यूनिवर्सिटी को हमारी चिंता है. कॉलेज को बस फ़ीस से मतलब है और सरकार को अपनी कुर्सी से. अब आगे STET कब आएगा, कब हम लोग परीक्षा देंगे भगवान जानें."
छठी से आठवीं के लिए आने वाली वैकेंसी पर चिंता जताते हुए अंजली कहती हैं "दिसंबर में हुए CTET परीक्षा में मेरा पेपर 1 निकला था और पेपर 2 बस एक नंबर से रह गया था. इस बार जुलाई में हुए CTET का पेपर इतना टफ़ (मुश्किल) था ये सबकी पता है. इसलिए रिजल्ट की उम्मीद नहीं है."
रिजल्ट नहीं होने की वजह से कई छात्र परीक्षा से वंचित
दूसरे चरण की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में छह से आठ की कक्षाओं में 50 हज़ार के लगभग नियुक्तियां आने वाली हैं. लेकिन इसके लिए CTET पेपर 2 पास होना आवश्यक है. मगध यूनिवर्सिटी केंदर आने वाले श्रीराम सुहाग तिलक कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन में पढ़ने वाली आरती कुमारी भी सेशन 2021-23 की छात्र हैं. बीएड फाइनल ईयर की परीक्षा अगस्त के पहले हफ़्ते में हुई है जिसका रिजल्ट नहीं आया है. दिसंबर 2022 में हुए CTET परीक्षा में आरती ने पेपर 1 पास किया था.
लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्राइमरी शिक्षक बनने के लिए केवल डीएलएड (D.EL.ED) को मान्यता देने के बाद बीएड शिक्षक प्रक्रिया से बाहर हो गए हैं. अब इसके आधार पर आरती शिक्षिका नहीं बन सकती हैं.
डेमोक्रेटिक चरखा से बात करते हुए आरती बताते हैं "सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से तय हो गया है कि हमें प्राइमरी शिक्षक बहाली में मौका नहीं मिलेगा. तब सरकार ने जान बूझकर ही हमें STET से बाहर कर दिया. CTET की तरह अगर STET भी साल में दो बार आयोजित किया जाता तो इतना दुःख नहीं होता. लेकिन अब दुबारा STET का एग्जाम कब होगा कोई पता नहीं."
विभागों में नहीं तालमेल, ख़ामियाज़ा भुगत रहे छात्र
चार सालों बाद होने वाली इस उच्च माध्यमिक पात्रता परीक्षा में दो आयोग में सामंजस्य नहीं होने के कारण छात्र या तो परीक्षा में शामिल हो पायेंगे या डॉक्यूमेंट जांच में शामिल हो पायेंगे.
क्योंकि बीपीएससी द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन किया जा रहा है. अब जिस दिन बीपीएससी द्वारा डॉक्यूमेंट जांच किया जाना है उसी दिन उसे STET की परीक्षा में भी शामिल होना है.
ऐसे में एक ही दिन दो जगहों पर उपस्थित होना अभ्यर्थियों के लिए संभव नहीं है. या तो वो STET में शामिल होंगे या डॉक्यूमेंट जांच में.
हड़बड़ी सरकारी विभाग की तानाशाही
छात्र नेता दिलीप कुमार इस हड़बड़ी को सरकारी विभागों की तानशाही बताते हैं. दिलीप कहते हैं "बीएसईबी अध्यक्ष आनंद कुमार को जब यह पहले से पता है कि 4 और 5 अक्टूबर को कई सारे अभ्यर्थी का शिक्षक भर्ती के लिए डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन है तो उस दिन STET की परीक्षा क्यों? बीएसईबी अध्यक्ष आनंद किशोर के इस तानशाही रवैये पर सरकार और शिक्षा विभाग को संज्ञान नहीं लेना चाहिए."
दिलीप आगे कहते हैं "बीएसईबी का सर्वर स्लो (धीमा) होने के कारण कई सारे अभ्यर्थी फॉर्म भरने से चूक गए. वहीं साइबर कैफ़े की गलती के कारण कई अभ्यर्थियों का सब्जेक्ट कॉम्बिनेशन गलत भरा गया है. विभाग इसमें भी सुधार करने का मौका नहीं दे रहा है. क्योंकि इस बार परीक्षा ऑनलाइन ली जायेगी. इस कारण जिसने जो कॉम्बिनेशन भरा है केवल उसी विषय का प्रश्न खुलेगा. ऐसे में वो प्रश्न कैसे हल करेगा?
दिलीप सरकार और विभाग के कार्यशैली पर प्रश्न उठाते हुए कहते हैं कि जब STET का आयोजन भी शिक्षक भर्ती के लिए ही किया जा रहा है और वर्तमान में चल रही भर्ती प्रक्रिया भी शिक्षकों के लिए ही है. तब इससे अभ्यर्थियों को बाहर क्यों रखा जा रहा है.
पहले अपियरिंग छात्रों को छांटा गया. फिर उम्र सीमा से बांधा गया. लेकिन कोर्ट के फ़ैसले के बाद आवेदन लिया गया वो भी केवल दो दिन. अब परीक्षा की तिथि एक ही दिन रख दी गयी है. कहीं यह सब किसी ख़ास लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए तो नहीं किया जा रहा है?
हालांकि जिस राज्य में विभाग के अंदर मंत्री और अधिकारी में तालमेल ना हो वहां दूसरे विभागों से तालमेल की उम्मीद रखना बेमानी है.