डीजल बस का परिचालन जारी, सरकारी आदेश की उड़ी धज्जियां

1 अक्टूबर से डीजल बसों के संचालन पर पूर्णता रोक लगाने के बावजूद डीजल बस चल रहीं हैं. 15 से 20 साल पुराने वाहनों के परिचालन पर राजधानी पटना में 2019 से ही रोक लगा हुआ है. इसके बाद भी परिवहन विभाग लापरवाह बना हुआ है .

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रोक के बाद भी दौड़ रहीं डीजल बस, परिवहन विभाग लापरवाह

रोक के बाद भी दौड़ रहीं डीजल बस, परिवहन विभाग लापरवाह

बिहार में वायु प्रदूषण बढ़ने का एक मुख्य कारण डीजल वाहनों का परिचालन है. इससे निकलने वाले हानिकारक तत्व सीधे तौर पर वायु प्रदूषण के मुख्य कारण हैं. डीजल व पेट्रोल ईंधन से चलने वाले वाहनों पर रोक लगाने के लिए  प्रशासन को सख्त होने की जरूरत है.

15 से 20 साल पुराने वाहनों के परिचालन पर राजधानी पटना में 2019 से ही रोक लग चुकी है. बीएस के विभिन्न मानकों को लेकर सरकार कदम उठाती रहती है. हालांकि फिर भी राज्य में ऐसे वाहनों की संख्या काफी है जो तय मानकों पर खड़े नहीं उतरते है. ऐसे में सीएनजी या फिर इलेक्ट्रिक वाहनों के परिचालन को बढ़ावा देना बेहतर कदम साबित हो सकता है. 

डीजल वाहनों के परिचालन को बंद करने के लिए परिवहन विभाग एक बार फिर से सख्त होने की तैयारी कर रही है. राजधानी पटना के साथ-साथ गया और मुजफ्फरपुर जिले में भी अब 15 साल पुराने वाहन नहीं चलेंगे. बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए परिवहन विभाग ने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह प्रस्ताव  दिया था.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में लिया गया फैसला

30 सितम्बर के आधी रात राजधानी पटना में चल रही डीजल बसों पर रोक लगा दिया गया है. इसमें वैसे कमर्शियल तिपहिया वाहन भी शामिल होंगे, जो डीजल से चल रहे हैं जिनमें मुख्य रूप से ऑटो शामिल हैं.

रोक के बाद बाद भी चल रही डीजल बस
रोक के बाद बाद भी चल रही डीजल बस

पटना के डीटीओ श्रीप्रकाश का कहना है कि “शहर से सभी डीजल बसों को बाहर करने के लिए 1 अक्टूबर से कार्रवाई की जाएगी.” हालांकि डीजल बसों पर रोक के बाद भी शहर में ऐसे बस और ऑटो चलाएं जा रहे हैं.

अभी भी दानापुर, पटना सिटी, फुलवारी, बाईपास, सगुना मोड़, दीघा, ट्रांसपोर्ट नगर और कंकड़बाग जैसे इलाकों में डीजल 200 के करीब डीजल बसें चल रही हैं वहीं इन सभी इलाकों में 2000 से ज्यादा डीजल ऑटो चल रहे हैं.

लेकिन इस नियम के लागू होने के तीन दिन बाद भी शहर में इसका असर नज़र नहीं आ रहा है. प्रशासन की कार्रवाई नहीं होने के कारण सुबह से शाम तक 40 फीसदी डीजल सिटी बसों का परिचालन हो रहा है. 

जंक्शन से कंकड़बाग के बीच बस चलाने वाले एक बस चालक बताते हैं “हमलोग आज तक डीजल बस चला रहे हैं क्योंकि चालान नहीं कट रहा है. ट्रैफिक पुलिस के तरफ से कोई समस्या नहीं थी. इसलिए चला रहे थें. लेकिन फिर शनिवार से डीजल गाड़ी पर रोक सुनने को मिल रहा है. हमसब डीजल बस चालकों ने बैठक करके निर्णय लिया है की आने वाले 10 दिनों के अंदर इसे बदल लेंगे.”

जीपीओ गोलंबर पर एक बस चालक बताते हैं “पापी पेट का सवाल है इसलिए हमलोग गाड़ी चलाते हैं. बस तो हमारे मालिकों का हैं. हमलोग बस महीने पर गाड़ी चलाते हैं. मालिक से बात हुआ है बोले हैं कि आवेदन दिए हुए हैं.”

कंकरबाग की तरफ डीजल बसों का परिचालन हो रहा है
कंकरबाग की तरफ डीजल बसों का परिचालन हो रहा है

नियम का कड़ाई से नहीं होता है पालन 

पिछले वर्ष दिसंबर महीने में परिवहन सचिव पंकज कुमार पाल ने शहर में डीजल के गाड़ियों पर कड़ाई से प्रतिबन्ध लगाने का निर्देश दिया था. इसमें स्कूली डीजल बसों को भी बदलने का आदेश जारी हुआ था. लेकिन सड़कों पर इसका कोई खास परिणाम नजर नहीं आया.

परिवहन विभाग ने वाहनों में स्पीड गवर्नर, परमिट, बीमा, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट और फिटनेस प्रमाणपत्र रखना भी अनिवार्य किया था. सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और सुविधा के दृष्टिकोण से इन नियमों का कड़ाई से पालन होना आवश्यकता है. 

लेकिन प्रशासन अपने ही बनाए नियमों के पालन और संचालन के लिए प्रतिबद्ध नहीं है. पहले डीजल गाड़ियों पर वैन का कड़ाई से पालन ना होना, हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के बिना गाड़ी की बिक्री, व्हीकल ट्रैकिंग मशीन (वीएलटीडी) की जांच ना होना परिवहन विभाग की लापरवाही है.

व्हीकल ट्रैकिंग मशीन (वीएलटीडी) सार्वजनिक वाहनों जैसे ओला, उबर, रैपिडो, स्कूल बस, ऑटो, बस आदि में लगाए जाने हैं. जिससे गाड़ी की लोकेशन ट्रैक की जा सकती है.

परिवहन विभाग की लापरवाही की वजह से डीजल बस चल रही हैं
परिवहन विभाग की लापरवाही की वजह से डीजल बस चल रही हैं

पटना में अपग्रेड होंगे तीन पहिया डीजल वाहन 

15 वर्ष पुराने वाहनों के परिचालन पर रोक लगाने के साथ ही मंत्रिमंडल ने मुजफ्फरपुर और गया के अलावा पटना नगर निगम क्षेत्र में 15 वर्ष से अधिक पुराने डीजल व्यावसायिक वाहन जो तीन पहिया होंगे उन्हें बैटरी, सीएनजी या पेट्रोल में अपग्रेड करने के लिए अनुदान देने का प्रस्ताव भी स्वीकृत किया है.

तीन पहिया व्यावसायिक वाहन यानि ऑटो या इस तरह के और वहां जो डीजल से चल रहे उनको पेट्रोल, सीएनजी या इलेक्ट्रिक में बदलने के लिए सरकार अनुदान भी दे रही है. 

तीन पहिया व्यावसायिक वाहन को पेट्रोल में परिवर्तित करने के लिए 40 हज़ार , बैट्री में परिवर्तित करने के लिए 25  हज़ार और सीएनजी के लिए 20 हज़ार रुपए का अनुदान दिया जाता है. जबकि नई सीएनज़ी ऑटो की कीमत ढ़ाई से तीन लाख रूपए के करीब होती है. इसलिए ऐसे वाहन चालक जिन्होंने हाल के दिनों में डीजल इंजन वाली गाड़ी खरीदी हो, वे इंजन अपग्रेड के लिए आवेदन दे सकते हैं.

वहीं, पुरानी डीजल बसों में सीएनज़ी किट लगाकर उसको अपग्रेड किया जा सकता है जिसकी कीमत 3 लाख रूपए हैं. राजेंद्रनगर स्थित हैंडलूम भवन में सीएनज़ी किट लगाई जा रही है.

बिहार में नवंबर के पहले हफ्ते से ठंढ की शुरुआत हो जाती है. ठंढ़ के मौसम में वायु प्रदुषण कोहरे के साथ मिलकर जानलेवा धूम कोहरे का निर्माण कर लेता है. इसलिए सरकार को समय रहते उसके नियंत्रण की तैयारियों पर ध्यान देना होगा.

Bihar NEWS Diesel buses transport department