नीतीश कुमार ने साल 2013-14 में बिहार के पंचायतो में पंचायत सरकार भवन बनाने की घोषणा की थी. लेकिन आज भी राज्य के 8,053 पंचायतों में से 1,447 में पंचायतो में ही पंचायत सरकार भवन का निर्माण हो सका है. 5 जनवरी को पंचायती राज विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की समीक्षा के दौरान नीतीश कुमार ने पंचायत सरकार भवन के निर्माण में तेजी लाए जाने का निर्देश दिया है.
नीतीश कुमार ने कहा “जिन पंचायत सरकार भवनों के लिए भूमि चिन्हित कर ली गयी है, उसका निर्माण जल्द शुरू कर दिया जाए. बाकी के लिए भूमि चिन्हित की जाए. साथ ही सभी पंचायत सरकार भवन के लिए जो भी सुविधाएं तय की गई है वह जरूर उपलब्ध रहे.”
हालांकि यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि 10 साल बीत जाने के बाद भी राज्य में पंचायत सरकार भवन बनाने की योजना बहुत धीमी गति से चल रही है. नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा की बात की जाए तो यहां के 20 ब्लॉक में 249 पंचायत हैं. जिसमें से अब तक मात्र 94 पंचायत में ही योजना की शुरुआत की जा सकी है. वहीं 94 पंचायतों में भी अभी आठ पंचायत में भूमि का चयन नहीं हो सका है.
बिहार सरकार की यह योजना क्षेत्र में धरातल पर नहीं उतर सकी है. वहीं जिन पंचायतों में भवन बना भी है वहां पंचायती राज विभाग द्वारा मिलने वाली सारी सुविधाएं आज भी नदारद हैं.
पंचायतों के सारे काम आज भी ब्लॉक के सहारे
नालंदा जिले के नूरसराय प्रखंड में कुल 17 पंचायत हैं. लेकिन इनमें से मात्र तीन पंचायत में ही योजना की शुरुआत हो सकी है. बाकी 14 पंचायत के अंदर आने वाले ग्रामीण आज भी ब्लॉक या साइबर केन्द्रों में पैसे खर्च करने को मजबूर हैं. नूरसराय प्रखंड के नदियौना पंचायत में लगभग 14 गांव है. सरगांव भी इसी पंचायत के अंदर आता है.
इस अकेले गांव की आबादी लगभग एक हजार है. गांव के किसान और बुजुर्ग किसी भी सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए ब्लॉक जाने को मजबूर हैं. ब्लॉक नहीं पहुंच पाने की स्थिति में उन्हें साइबर कैफे में मुफ्त की सुविधाओं के लिए भी ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं.
सरगांव के रहने वाले रामनिवास शर्मा पिछले महीने अपनी बेटी का आवासीय बनवाने के लिए ब्लॉक का चक्कर लगाने को मजबूर थे. रामनिवास बताते हैं “नवंबर के महीने में मुझे मेरी बेटी का आवसीय समेत दूसरे जरूरी कागजात बनवाने थे. कागज बनवाने के लिए समय नहीं था इसलिए मैं साइबर वाले के पास गया. लेकिन साइबर वाले ने सर्वर डाउन रहने की बात कह कर ज्यादा समय लगने की बात कही. उस दिन मुझे अपने गांव से लगभग 10 कीलोमीटर दूर नूरसराय ब्लॉक जाना पड़ा.”
रामनिवास का कहना है कि उनके पंचायत में पंचायत सरकार भवन का निर्माण नहीं हुआ है. सरकारी योजना से संबंधित कोई भी काम ब्लॉक जाकर ही करवाना पड़ता है. इसमें सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्गों को होती है. वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन या विकलांग पेंशन लेने वाले लाभार्थियों को भी परेशानी होती है. साधारण से कागजात जैसे आवासीय के लिए साइबर संचालक लोगों से 150 रूपए लेते हैं. वहीं ब्लॉक आने जाने में भी दो घंटे का सफर और 120 रूपए खर्च हो जाते हैं. इसलिए ग्रामीण बहुत जरूरी होने पर ही ब्लॉक जाना चुनते हैं.
आखिर मामला कहां अटका?
आखिर पंचायत सरकार भवन बनाए जाने में क्या समस्या आ रही है? इस पर जानकारी के लिए हमने पंचायत के मुखिया बिशुन पासवान से सम्पर्क किया. बिशुन पासवान ने हमें बताया कि उन्होंने बीते दिसंबर महीने में भवन बनाए जाने के लिए भूमि का चयन कर जिले में भेजा है.
बिशुन पासवान कहते हैं “पिछले महीने हमने अपने गांव नदियौना में भवन बनाये जाने के लिए जगह चिन्हित किया है. सारी कागजी कार्यवाई पूरी करने के बाद मैंने इसे जिले में भेज दिया है लेकिन अब तक उस पर कोई जबाव नहीं आया है. अभी हमारे पंचायत के सारे काम ब्लॉक से ही होते हैं. पंचायत प्रतिनिधियों और वार्ड सदस्यों की मीटिंग मेरे घर पर होती है.”
10 सालों में आधे पंचायतो में भी नहीं बने पंचायत सरकार भवन
पांच जनवरी को हुए समीक्षा बैठक में पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह ने जानकारी दी कि राज्य के कुल 8,053 पंचायतों में से 1,447 पंचायत में सरकार भवन का निर्माण हुआ है. हालांकि पंचायती राज विभाग के पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़े कहते हैं कि 1,428 भवनों का निर्माण हुआ है.
वहीं 789 पंचायतो में अभी भवन निर्माणाधीन है. जबकि दो हजार नए पंचायत भवन बनाने की स्वीकृति मिल चुकी है. वहीं मुख्य सचिव ने बताया कि 2,165 भवनों के लिए जमीन चिन्हित की जा चुकी है. जबकि शेष 1,652 भवनों के लिए भूमि चिन्हित करना अभी शेष है.
पंचायत सरकार भवन का निर्माण ग्रामीणों के लिए आवश्यक
पंचायत के कार्यों के सफल क्रियान्वयन के लिए भवन का होना आवश्यक है. जिसमें पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों और पंचायत स्तर के सरकारी कर्मियों के बैठने के लिए स्थान और ग्राम कचहरी के लिए न्यायालय कक्ष होगा. साथ ही अभिलेखों के संरक्षण के लिए स्थान, पंचायत कमिटी के बैठकों के लिए हॉल, नागरिकों के लिए स्वागत कक्ष, कंप्यूटराइजड सेवा प्रदान करने के लिए सेवा केंद्र, स्टोर, पैन्ट्री एवं शौचालय का प्रावधान किया गया है.
इसके लिए प्रत्येक पंचायत में दो मंजिला पंचायत सरकार भवन का निर्माण किया जाना है. ऐसे भवन के निर्माण से पंचायतों को अपने कार्य संचालन और आम नागरिकों के प्रति उत्तरदायी बनने साथ ही क्रियाकलापों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने में सुविधा होती है. प्रत्येक पंचायत को भवन बनाने के लिए सरकार ने 1.50 करोड़ रूपए निर्धारित किए हैं. पंचायतों द्वारा जगह चिन्हित करने के बाद जिले से राशि स्वीकृत की जाती है. हालांकि कई जिले आवंटित राशि को पंचायतों में खर्च करने में विफल हो रहे हैं. जिलों की उदासीनता के कारण योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है.
पंचायत सरकार भवन में ही मुखिया, पंचायत सचिव, आवास सहायक, जनसेवक कर्मचारी के साथ ही सभी जनप्रतिनिधि एवं पंचायत से जुड़े अधिकारी और कर्मी की बैठने की अनिवार्यता है. सरकार द्वारा संचालित सभी कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी सरकार भवन के माध्यम से ही मिल जाएगी. योजनाओं का लाभ लेने के लिए ग्रामीणों को इधर-उधर की भाग दौड़ नहीं करनी होगी.