मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक 'हर घर नल का जल योजना' आंकड़ों में देखने में बेहतर नज़र आ सकती है. लेकिन धरातल पर इसकी सफलता बहुत अच्छी नहीं है. नीतीश कुमार ने साल 2016 में सात निश्चय योजना कार्यक्रम शुरू किया था. इसी के तहत ‘हर घर नल का जल योजना’(Har Ghar Nal Ka Jal Yojana) लाया गया था, जिसमें प्रत्येक घर में नल के माध्यम से पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया. 27 सितम्बर 2016 को शुरू हुई इस योजना को चार साल यानी 31 मार्च 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था.
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के 97,280 वार्डों तक नल से पीने का साफ़ पानी पहुंचाया जाना था. योजना के प्रारंभ में राज्य सरकार ने नाली-गली और नल-जल योजना के लिए 37,070 करोड़ रूपए का बजट रखा था. हालांकि योजना क्रियान्वयन की रफ़्तार धीमी होने के कारण सरकार को बार-बार इसका लक्ष्य आगे बढ़ाना पड़ा है.
कागज़ पर लक्ष्य हुआ पूरा, लेकिन मोहल्ले आज भी प्यासे
राजधानी पटना की कई स्लम बस्तियां आज भी पीने के साफ़ पानी और आम दिनचर्या में उपयोग होने वाले पानी के लिए परेशान हैं.
पटना हाईकोर्ट के पीछे बसे आर ब्लॉक बस्ती में 250 से ज़्यादा घर है लेकिन बिहार सरकार की हर नल का जल योजना यहां आज तक नहीं पहुंच सकी है. आज भी यहां की महिलाएं घंटों पानी भरने में अपना समय बर्बाद कर रही हैं. एक तरफ़ नीतीश कुमार जहां गांव के कुछ घरों में नल के माध्यम से पानी पहुंचाने पर अपनी वाहवाही बटोर रहे हैं वहीं राजधानी पटना की बस्तियों में रह रहे लोग आज भी चापाकल के भरोसे है.
28 अगस्त 2020 को नीतीश कुमार ने कहा था 2020 के अंत तक बिहार में लोगों को शुद्ध पेयजल की सुविधा मिल जाएगी, हालांकि जब नीतीश कुमार ने यह बात कही थी उस वक्त तक पुरे बिहार में मात्र 56.28% लोगों को पानी पहुंच सका था.
इस योजना की कड़वी सच्चाई यह है कि जिन ज़रूरतमंदों को योजना का लाभ प्राथमिकता से मिलना चाहिए था उन्हें ही इसका लाभ नहीं मिल सका है.
घंटो चापाकल पर खड़े होकर पानी भरने को मजबूर
आर ब्लॉक स्लम बस्ती में अलग-अलग कई टोले हैं जहां लगभग 250 घर हैं. इतनी बड़ी आबादी होने के बाद भी आज तक इस बस्ती में नीतीश कुमार की नल जल योजना नहीं पहुंच सकी है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि मोहल्ले में एक बार कुछ लोग पूछने आए की आपके घर में कितने लोग है, क्या आपके घर में चपाकल है? इसके अलावा उन्होंने कुछ और जानकारियों के साथ आधार कार्ड का फोटो कॉपी लिया और कहा कुछ महीनो में आपके घर में नल लगेगा. हालांकि इस सर्वे को हुए दो साल बीत गये हैं लेकिन नल नहीं लगाया गया.
बस्ती में पिछले साल हर घर नल का जल योजना के तहत मात्र 3 से 4 घरों में पाइप और नल लगाया गया. मोहल्ले के लोग बताते हैं, जब कुछ लोगो के घर में पाइप समेत नल लगा तो कहा गया कि जब पूरे मोहल्ले में पाइप और नल लग जाएगा तब जल्द ही पानी आने लगेगा. हालांकि एक साल बीतने के बाद भी आजतक पूरे मोहल्ले में पाइप लाइन नहीं बिछ सकी है.
मोहल्ले के लोग आज भी चापाकाल का पानी पीते है. उसमे भी काफ़ी घरों में चापाकल नहीं है. लोग दूसरे के घर से पानी भरते है और अपना काम करते है.
आर ब्लॉक में रहने वाली 70 वर्षीय असगरी खातून रोज़ाना चापाकल से पानी भरकर अपने घर का काम करती है. इन्हे रोज़ाना बर्तन और कपड़ा धोने के लिए मेहनत करना पड़ता है. हालांकि असगरी का कहना है कि “शुक्र है कि चापाकल ख़ुद का है, नहीं तो दूसरे के घर से मांगकर लाना पड़ता.”
हालांकि पिछले कुछ महीनो से असगरी के घर में लगे चापाकल से निकलने वाले पानी में गंदगी के साथ-साथ बदबू आने लगा है. जांच के बाद प्लंबर ने बोरिंग और नीचे कराने की सलाह दी है. लेकिन आर्थिक मजबूरियों के कारण परिवार गंदा पानी पीने को मजबूर है.
निगम से नहीं मिला है सबमर्सिबल करने का पैसा: वार्ड पार्षद
आर ब्लॉक के बढ़ई टोला की रहने वाली सदफ़ परवीन के घर में ना तो सरकार की हर घर नल का जल योजना पहुंच सकी है और ना शौचायल का निर्माण हुआ है.
पानी और शौचालय के लिए दूसरे पर निर्भर सदफ़ बताती हैं, “मेरे घर में नल ना होने के कारण मुझे दूसरे के घर से पानी लाना पड़ता है. बर्तन और कपड़ा धोने से लेकर नहाने और शौचालय जाने के लिए भी मुझे दूसरे के घर जाना पड़ता है. जिनके घर से मैं पानी लाती हूं वो अपने घर के कपड़े भी मुझसे धुलवाती हैं. वे लोग कहती हैं तुम हमारे घर के पानी से इतना काम करती हो तो मेरे कपड़े धो ही सकती हो. मजबूरी में मुझे उनका कपड़ा धोना पड़ता है.”
आर ब्लॉक के रोड नंबर 9 में 30 से 35 घर हैं. यहां एक भी घर में ना तो चापाकल है और ना ही सरकार की हर घर नल का जल योजना है. मोहल्ले में केवल एक सरकारी नल होने के कारण मोहल्ले के लोग रोजाना लंबी लाइन में लग कर पानी भरते हैं. केवल एक सरकारी नल होने की वजह से लोगो में पानी भरने को लेकर अक्सर लड़ाई भी हो जाती है क्योंकि सभी लोगों को काम पर जाने की जल्दी रहती है.
वार्ड 21 की वार्ड पार्षद श्वेता रंजन आर ब्लॉक में पानी की समस्या पर बात करते हुए कहती हैं “यह योजना पिछले चरण में आई थी मेरा यह पहला चरण है. मुझसे पहले जिन लोगों पर योजना की ज़िम्मेवारी थी उन्होंने इसे पूरा नहीं किया है. कमला नेहरु नगर के कुछ ही घरों में पानी का पाइप बिछाया गया था जिसे मैंने इसबार पूरा किया है. अब आर ब्लॉक में भी योजना पहुंचाने के लिए हमलोग प्रयास करेंगे.”
फिलहाल पानी के वैकल्पिक व्यवस्था के लिए आपका क्या प्रयास है, इसपर श्वेता रंजन कहती है “नगर निगम से हमें एक साल में पांच सबमर्सिबल कराने के लिए फंड दिया जाता है, लेकिन अभी तक हमें यह मिला नहीं है. हमने निगम को लिखित आवेदन भी दिया है."
जल शक्ति मंत्रालय पर उपलब्ध आंकड़ें बताते हैं कि 25 दिसंबर 2023 तक बिहार के 1,66,30,250 घरों में से 1,60,34,141 घरों में यानि 96% घरों में नल का जल पहुंचाया गया है. हालांकि केवल मौजूद आंकड़ों को देखा जाए तो आज भी 5,96,109 घर पानी की पहुंच से दूर हैं.
जल शक्ति मंत्रालय पर उपलब्ध आकंडे बताते हैं कि पटना के 6,60,789 घरों में से 6,39,764 घरों में नल के माध्यम से पानी पहुंच गया है. इस हिसाब से 21,025 घर आज भी पानी के दूसरे स्रोत पर निर्भर हैं.